PM Modi In Bihar: ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पूरी दुनिया ने भारत की सेना का पराक्रम देखा, आधुनिक हथियारों से लैस हिंदुस्तान का परिचय हुआ और पाकिस्तान में बैठे आतंकी खौफजदा हुए। लेकिन इस ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक और चीज हुई है जिसकी चर्चा अभी ज्यादा नहीं हो रही। कारण कुछ भी हो सकता है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक बार फिर ‘राष्ट्रवादी पॉलिटिक्स’ हावी होती दिख रही है। यह पूरी तरह बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद बने माहौल जैसा ही है। एक बार फिर पक्ष-विपक्ष का खेल बन चुका है, सरकार खुद को मजबूत इच्छाशक्ति वाली बता रही है, विपक्ष ऑपरेशन पर सवाल उठा रहा है, सीजफायर को मुद्दा बना रहा है।
अब इस पक्ष-विपक्ष की लड़ाई में ही सवाल उठता है कि राष्ट्रवादी पॉलिटिक्स का फायदा बीजेपी को कितना मिल सकता है? असल में अगले दो साल के भीतर कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। इस साल के अंतर में बिहार में चुनाव हैं, अगले साल पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल में चुनाव होने हैं। वहीं उसके अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा और गुजरात जैसे अहम राज्यों में इलेक्शन हैं। इन 13 राज्यों में 7 में अभी एनडीए की सरकार है।
अब बीजेपी को इस बात का अहसास है कि राष्ट्रवाद की पिच पर खेलना उसके लिए हमेशा से ही फायदेमंद रहा है। विपक्ष कुछ सवाल उठाए, उसके बयानों को ‘एंटी इंडिया’ घोषित किया जाए और फिर उस पूरे नेरेटिव के सेना के अपमान से जोड़ा जाए, यह वो फॉर्मूला है जिसके दम पर 2019 का लोकसभा चुनाव प्रचंड जनादेश के साथ जीता गया। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद फिर उसी माहौल को भुनाने की कोशिश हो रही है, पीएम मोदी के सियासी दौरे तो इस ओर इशारा कर रहे हैं।
‘सिंदूर वो बेच रहे हैं जो पहले चाय बेचते थे’
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी सबसे पहले आदमपुर एयरबेस गए थे। वहां पर उन्होंने सेना के शौर्य का बखान किया और पाकिस्तान को चेतावनी तक दी। पीएम मोदी ने कहा कि जिस पाकिस्तानी सेना के भरोसे ये आतंकी बैठे थे, उसे भारत की तीनों सेनाओं ने उस पाकिस्तानी सेना को भी धूल चटा दी है। आपने पाकिस्तानी फोर्स को भी बता दिया, पाकिस्तान में ऐसा कोई ठिकाना नहीं है, जहां बैठकर आतंकवादी चैन की सांस ले सकें। हम घर में घुसकर मारेंगे और बदले का एक मौका तक नहीं देंगे। अब यहां पर ‘घर में घुसकर मारेंगे’ वो बयान है जिसे मोदी सरकार ने अपनी नीति बना लिया है, यह बयान ही उनकी पाकिस्तान को लेकर पॉलिसी है और इसी का दम भर वे खुद को पिछली यूपीए सरकार से अलग बताते हैं।
इसके बाद 22 मई को पीएम मोदी राजस्थान के बीकानेर गए थे। वहां पर उनका और आक्रमक अंदाज दिखा और उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया। पीएम मोदी ने वहां कहा कि अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं गर्म सिंदूर बह रहा है। दुनिया ने और देश के दुश्मनों ने भी देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है। अब यहां पर पीएम मोदी सिर्फ सेना का जिक्र नहीं कर रहे बल्कि यहां पर अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी उल्लेख कर रहे हैं। साफ संदेश दिया जा रहा है कि क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, ऐसे में पाकिस्तान को मुंहतोड़ और करारा जवाब दिया गया है। बीजेपी खुद इसे इसी तरीके से पेश करने की कोशिश में लगी है।
अब इसी माहौल को और ज्यादा भुनाने के लिए 26 मई को पीएम मोदी गुजरात के दाहोद पहुंचे जहां उन्होंने रोड शो किया, रैली की और पाकिस्तान पर बड़ा हमला भी हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवादियों ने जो कुछ भी किया, क्या भारत चुप बैठ सकता है? क्या मोदी चुप बैठ सकता है? अब यहां भी पीएम मोदी ने खुद अपना जिक्र किया, उन्हें भी इस बात का अहसास है कि उनका चेहरा लोगों के लिए किसी पार्टी से भी बड़ा बन चुका है, ऐसे में वे खुद भी अपने संबोधन के जरिए ब्रॉन्ड मोदी को ही मजबूत कर रहे हैं।
इसे इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि अब एक बार फिर पीएम मोदी अपने संबोधन में ‘एनडीए सरकार’ का जिक्र नहीं कर रहे हैं, सरकार गठबंधन की है, लेकिन जिक्र सिर्फ ‘मोदी सरकार’ और मोदी का हो रहा है। यानी कि जिस नाम से लोग कनेक्ट करेंगे, जिसके जरिए सबसे ज्यादा फायदा होगा, उसी को आगे किया जा रहा है। एक और गौर करने वाली बात यह है कि पीएम के हर कार्यक्रम में लोग देश का तिरंगा लेकर आ रहे हैं, रोड शो के दौरान भी सिर्फ तिरंगा दिखाई दे रहा है।
कोई बीजेपी का झंडा नहीं है, कार्यक्रम कितना भी सियासी हो, लेकिन बीजेपी को पीछे कर दिया गया है और बात सिर्फ देश के तिरंगे, देश की सेना और पीएम मोदी की इच्छाशक्ति की हो रही है। इससे साफ होता है कि पीएम मोदी वर्तमान राजनीति में बीजेपी से भी ऊपर हो चुके हैं और पार्टी भी इस बात को समझती है। पार्टी समझती यह भी है कि राष्ट्रवाद एक ऐसा मुद्दा है जो किसी भी जाति-धर्म से ऊपर है। इसका सहारा मतलब समाज के बड़े तबके को अपने साथ लाना।
बीजेपी जिस तरीके से राम मंदिर के बाद हिंदुत्व का सहारा ले रही थी, अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्रवाद को भी अपना संबल बना रही है। चुनावों पर इसका कितना असर रहता है और विपक्ष क्या रणनीति अपनाता है, इसका इंतजार करना होगा।
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