Woman ADC to President of India: क्या आप जानते हैं कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की Aide-de-Camp (ADC) के तौर पर पहली बार महिला अफसर की नियुक्ति हुई है। राष्ट्रपति के पास आमतौर पर पांच ADC होते हैं। इसमें से तीन आर्मी से, एक-एक नेवी और एयरफोर्स से होते हैं लेकिन इन पांच ADC में से अब तक कोई भी महिला अफसर नहीं थी। ADC के तौर पर नियुक्त होने वाली पहली महिला अफसर का नाम यशस्वी सोलंकी है। वह लेफ्टिनेंट कमांडर हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जब ऑपरेशन सिंदूर के बारे में देश को जानकारी देने के लिए मीडिया के सामने आईं उसी दौरान राष्ट्रपति भवन में यह अहम बदलाव हुआ था।
राष्ट्रपति के सैन्य सचिव मेजर जनरल वी. परिदा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह विचार खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का था, वह सशस्त्र बलों की सुप्रीम कमांडर हैं। वह महिलाओं के सशक्तिकरण, लैंगिक समानता और समावेशिता की बात करती हैं। यह उनकी ही सोच है।”
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यशस्वी सोलंकी गुजरात के भरूच की रहने वाली हैं। उनका चयन अप्रैल में हुआ था। इसके बाद उन्होंने एक महीने का ओरिएंटेशन पूरा किया और 9 मई को राष्ट्रपति मुर्मू से उन्हें प्रतिष्ठित aiguillette मिला। यशस्वी सोलंकी जिला स्तर की बैडमिंटन और वॉलीबॉल की प्लेयर रही हैं।
महिला ADC के चयन के लिए वही क्राइटेरिया रखा गया जो आमतौर पर ADC के चुने जाने के लिए होता है जैसे- जैसे न्यूनतम ऊंचाई और फिजिकल फिटनेस का जरूरी होना।
राष्ट्रपति की ADC उनके सभी कार्यक्रमों और समारोहों में उनके साथ रहती हैं। वह राष्ट्रपति से मिलने वालों के अप्वाइंटमेंट से जुड़ी चीजें देखती हैं और सरकार व सेना की अलग-अलग विंग के साथ संवाद में मदद करती हैं। ADC का ड्यूटी रूम राष्ट्रपति के कमरे के ठीक पास होता है और वह बस एक कॉल की दूरी पर होते हैं। कभी-कभी, ADC रोटेशन के आधार पर 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं।
यशस्वी सोलंकी की नियुक्ति ढाई से तीन साल के लिए हुई है। यशस्वी ने बताया कि पहला महीना राष्ट्रपति के साथ बेहतर तालमेल बनाने और अनुभव हासिल करने में गुजरा। यशस्वी ने कहा कि अब उन्हें पहले से ज्यादा जानकारी है लेकिन ADC के रूप में, वह कभी भी ओवर-कॉन्फिडेंट महसूस नहीं कर सकतीं।
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यशस्वी कहती हैं, “हम हर बैठक की तैयारी करते हैं और इस बात की जानकारी रखते हैं कि राष्ट्रपति से मिलने कौन आ रहा है क्योंकि हमें उन्हें हर मेहमान के बारे में ब्रीफ करना होता है और वह कुछ भी पूछ सकती हैं।” यशस्वी ने कहा, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा चयन राष्ट्रपति के ADC के लिए होगा, यह मेरी बकेट लिस्ट में भी नहीं था क्योंकि मुझे नहीं पता था कि ऐसा हो सकता है।”
सोलंकी की इससे पहले पोस्टिंग हैदराबाद में डिफेंस प्रोडक्शन विभाग में थी। वह कहती हैं, “मैं एक तकनीकी अफसर हूं और शुरुआत में मेरी जानकारी सिर्फ तकनीक तक ही सीमित थी। मुझे जनरल नॉलेज है लेकिन वह काफी सामान्य थी लेकिन अब मुझे हर समय अपडेट रहना जरूरी होता है। हर घंटे, हर मिनट, आपको हर सेकेंड अपडेट रहना होता है क्योंकि किसी भी वक्त कोई भी मुझसे कोई भी सवाल पूछ सकता है और मुझे उसके लिए तैयार रहना होगा।”
यशस्वी कहती हैं कि आप यहां पर जो भी कहते हैं या जो भी करते हैं, उसका बहुत फर्क पड़ता है। वह अपने परिवार की पहली सदस्य हैं जो डिफेंस फोर्स में गई हैं। तीन भाई-बहनों में से उनके भाई और बहन बिजनेस मैनेजमेंट में हैं।
इस सवाल के जवाब में कि उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा कहां से मिली तो उन्होंने बताया, “जब मैं क्लास 8th में थी, तब मेरे स्कूल में रिपब्लिक डे की परेड हुई थी। वहां इंडियन एयर फोर्स के पायलट चीफ गेस्ट के तौर पर आए थे, उनके अंदर एक अलग ही ऊर्जा थी।” सोलंकी कहती हैं कि वह अपने परिवार को राष्ट्रपति भवन दिखाना चाहती हैं।
सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एक और महिला ADC को नियुक्त किया जा सकता है और इस बार शायद आर्मी से ऐसा किया जाए।
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