पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए गए। पंजाब में 79 हजार से ज्यादा एफआईआर लंबित हैं। इनकी जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। कोर्ट ने इस देर पर चिंता जाहिर की है और नाराजगी जताते हुए कहा कि दो सप्ताह के अंदर डीजीपी एक्शन प्लान सौंपे।

मामले की सुनवाई 30 जनवरी को तय करते हुए जस्टिस संदीप मौदगिल की सिंगल बेंच ने कहा कि एक्शन प्लान में एफआईआर की डेट, जांच पूरी करने के लिए कोर्ट द्वारा तय समय और इसे पूरा करने के लिए प्रस्तावित समय सीमा भी दिखाई जानी चाहिए। जस्टिस संदीप ने कहा कि यह जानकारी पंजाब के डीजीपी के हलफनामे के जरिये दी जानी चाहिए।

अब जरा पूरे मामले पर गौर करें तो यह फिरोजपुर से जुड़ा हुआ है। इसमें हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट में आरोप लगाए गए हैं। कोर्ट ने पहले राज्य सरकार को जांच एक महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी मामले में कोई ज्यादा विकास नजर नहीं आया। फिरोजपुर एसएसपी सौम्या मिश्रा के द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।

फंड का इस्तेमाल गरीबों के लिए किया जाए या साइकिल ट्रैक बनाने के लिए

इसमें बताया गया था कि जांच में देरी के लिए तकनीकी संसाधनों की कमी और आरोपी बंसीलाल को गिरफ्तार करने में असफलता अहम वजह है। इस मामले के एक आरोपी को अग्रिम जमानत मिल चुकी है और वहीं दूसरे आरोपी को अभी तक अरेस्ट नहीं किया जा सका है। पंजाब के वकील एडीएस सुखीजा ने इसके बाद में एक और हलफनामा दिया। इसको जब हाई कोर्ट ने पढ़ा तो पता चला कि मामले में आरोपी को पकड़ने के लिए वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। सीधे शब्दों में जैसे कि उसके मोबाइल फोन या उसकी जगह को ट्रैक करना या हत्या के प्रयास के आरोपी बंसी लाल द्वारा किए गए किसी भी बैंक खाते के लेनदेन की निगरानी करना।

जस्टिस ने मामले और राज्य के वकील की दलीलों को सुनने के बाद पंजाब सरकार के उदासीन रवैये पर टिप्पणी की। जस्टिस ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए की जिम्मेदारी पुलिस एजेंसियों की है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर देरी न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाती है। इससे आम जनता का न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा कमजोर हो सकता है। कोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को आदेश दिया कि वे ऐसे मामलों के बारे में जानकारी दें जिनकी तय वक्त पर जांच पूरी नहीं हुई है। किस मामले में ED की सुप्रीम कोर्ट ने की खिंचाई पढ़ें पूरी खबर…