Bikram Singh Majithia Arrest: पंजाब की राजनीति में पिछले कुछ सालों में नशा बड़ा मुद्दा रहा है। बुधवार को जब शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी हुई तो एक बार फिर नशे के मुद्दे को लेकर पंजाब की राजनीति में हंगामा शुरू हो गया है।

मजीठिया को विजिलेंस ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति मामले में गिरफ्तार किया है। विजिलेंस का आरोप है कि मजीठिया के खिलाफ ड्रग स्मगलिंग और हवाला कारोबार करने के सबूत मिले हैं। आरोप है कि मजीठिया ने 2007 से 2017 के बीच मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।

आखिर पंजाब की राजनीति में पिछले कुछ सालों में बिक्रम सिंह मजीठिया और नशे का मुद्दा कैसे साथ-साथ गूंजता रहा है, इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा। आइए, चलते हैं।

पंजाब में ‘रंग’ नहीं ला पा रही BJP नेताओं की मेहनत, किन चुनौतियों का सामना कर रही पार्टी?

2012 में नशा तस्करी का बड़ा मामला सामने आया था। इस मामले में 6000 करोड़ रुपए के सिंथेटिक ड्रग रैकेट का पता चला था और फतेहगढ़ साहिब में FIR भी दर्ज की गई थी। उस वक्त राज्य में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की सरकार थी और मजीठिया इस सरकार में राजस्व मंत्री थे।

मजीठिया तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के मंत्रिमंडल के ताकतवर नेता थे। बताना जरूरी होगा कि वह शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के साले भी हैं।

पंजाब में AAP सरकार के खिलाफ मानी जा रही थी सत्ता विरोधी लहर, बावजूद लुधियाना पश्चिम में मिली जीत

2012 की यह घटना 2014 में बहुत बड़ा मुद्दा बन गई क्योंकि तब पंजाब पुलिस से बर्खास्त डीएसपी जगदीश भोला ने इस मामले में अदालत में हाजिर होने के दौरान मजीठिया का नाम लिया। भोला भी इस मामले में आरोपी थे। भोला ने आरोप लगाया कि मजीठिया के ड्रग तस्करों के नेटवर्क के साथ संबंध हैं।

एक और बड़ी घटना इस मामले में हुई। मार्च, 2016 में अकाली दल के पूर्व विधायक और मजीठिया के करीबी बोनी अजनाला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को पत्र लिखा था। पत्र में अजनाला ने लिखा था कि उनके एक दोस्त मनिंदर सिंह बिट्टू औलख को 2012 के ड्रग स्मगलिंग केस में फंसाया गया है और ऐसा सुखबीर बादल और मजीठिया के दबाव की वजह से हुआ है।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अजनाला के इन आरोपों को मुद्दा बना लिया। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में मजीठिया को पंजाब में नशे की मुख्य वजह बताकर प्रचारित किया और इसी के दम पर 2017 में कांग्रेस और 2022 में आम आदमी पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई।

2016 में मजीठिया ने आम आदमी पार्टी के नेताओं अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और आशीष खेतान पर आपराधिक मानहानि का केस दर्ज किया।

केजरीवाल की न के बाद क्या सिसोदिया जाएंगे राज्यसभा? AAP किस नेता के नाम पर कर रही मंथन

2017 में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मजीठिया के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की। इसे लेकर पार्टी में अंदरूनी लड़ाई भी दिखाई दी थी। अमरिंदर सिंह के बाद जब चरणजीत सिंह चन्नी पंजाबी के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने दिसंबर 2021 में मजीठिया के खिलाफ नशे का केस दर्ज किया गया लेकिन इस मामले में पंजाब में उनकी भूमिका पर बात नहीं की गई थी और यह कनाडा में नशे के नेटवर्क पर था।

यह मुकदमा 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दर्ज किया गया था और चुनाव प्रचार के बाद मजीठिया को गिरफ्तार कर लिया गया था। मजीठिया 5 महीने तक पटियाला की जेल में रहे और अगस्त 2022 में उन्हें पंजाब और हरियाणा कोर्ट से जमानत मिली थी।

याद दिलाना होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भगवंत मान ने मजीठिया पर निशाना साधा था और पंजाब के लोगों से कहा था कि कैसे ड्रग के मामले में आरोपी खुद को नशे से लड़ने वाला शख्स बता रहा है। 2022 के चुनाव में मजीठिया को अमृतसर ईस्ट सीट से हार का सामना करना पड़ा था हालांकि उनकी पत्नी को जीत मिली थी।

पिछले कुछ महीनों में मजीठिया ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर पंजाब में बढ़ते नशे का आरोप लगाकर हमले तेज किए हैं। उन्होंने पंजाब सरकार के द्वारा नशे के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम पर सवाल उठाए और सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो पोस्ट करके बताया कि पंजाब की सड़कों पर नशेड़ी घूम रहे हैं।

यह साफ दिख रहा है कि मजीठिया की गिरफ्तारी और नशे का मुद्दा एक बार फिर पंजाब में जोर पकड़ रहा है। क्या इसका 2027 के विधानसभा चुनाव में भी असर होगा?

यह भी पढ़ें- ‘यह मेरी शादी नहीं थी कि मुझे निमंत्रण भेजना चाहिए था’, ऐसा क्यों बोले भारत भूषण आशु