Arvind Kejriwal Rahul Gandhi Delhi Polls: दिल्ली का विधानसभा चुनाव शुरू होते ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के दो बड़े नेता आमने-सामने आ गए हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक-दूसरे को निशाने पर ले लिया है और इससे इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़ा हो रहा है।
यह बहुत पुरानी बात नहीं है जब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी और एनडीए के खिलाफ लड़ने के मकसद से जोर-शोर से इंडिया गठबंधन बना था। इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी शामिल थे। यह दोनों दल तब भी एक साथ पूरे मन से नहीं थे क्योंकि पंजाब में इन दोनों दलों के बीच कोई गठबंधन नहीं हुआ था। हालांकि हरियाणा और दिल्ली में इन्होंने मिलकर चुनाव लड़ा था।
लोकसभा चुनाव के बाद जैसे-जैसे दिल्ली के विधानसभा चुनाव करीब आए, केजरीवाल ने कांग्रेस को यह कहकर झटका दिया कि आप विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी यानी कांग्रेस के साथ किसी तरह का कोई भी समझौता नहीं होगा।
केजरीवाल और आतिशी को उनके गढ़ में घेरने के लिए पूरी ताकत लगा रही बीजेपी और कांग्रेस, क्या इससे AAP को नुकसान होगा?
आइए, राहुल और केजरीवाल की तनातनी का पूरा मामला आपको विस्तार से समझाते हैं।
राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस के चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए सीलमपुर में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर हमला किया।
राहुल गांधी ने जनसभा में कहा, केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली से भ्रष्टाचार मिटा देंगे। उन्होंने लोगों से सवाल पूछा कि क्या केजरीवाल ने दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म कर दिया? राहुल ने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठे वादे करते हैं, वैसी ही रणनीति अरविंद केजरीवाल की है।
राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मुद्दे पर भी अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस जाति जनगणना की बात करती है तो नरेंद्र मोदी के मुंह से एक शब्द नहीं निकलता और अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में कुछ नहीं बोलते। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि दोनों यह चाहते हैं कि देश में पिछड़े वर्ग को, दलित वर्ग को, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को भागीदारी ना मिले। निश्चित रूप से यह एक बड़ा हमला था क्योंकि इससे पहले कभी भी राहुल गांधी ने इस तरह खुलकर अरविंद केजरीवाल पर हमला नहीं किया था।
मोदी और केजरीवाल दोनों नहीं चाहते कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को उनका हक़ मिले। सिर्फ कांग्रेस ही समान भागीदारी और संविधान की रक्षा के लिए लगातार आवाज़ उठा रही है।आप सभी दिल्लीवासी इस फर्क को समझिए! pic.twitter.com/61cJ36iDOX
कुल मिलाकर राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल पर हमला करने में किसी भी तरह का नरम रूख नहीं दिखाया।
दिल्ली में नई रणनीति के साथ मैदान में उतर रही कांग्रेस, AAP-BJP को कितनी सीटों पर दे पाएगी टक्कर?
राहुल गांधी के बयान के बाद यह लगभग तय माना जा रहा था कि अरविंद केजरीवाल इसका जवाब जरूर देंगे। केजरीवाल ने इसका जवाब भी दिया और कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें बहुत गालियां दी लेकिन वह उनके बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। केजरीवाल ने चतुर राजनेता की तरह कहा कि राहुल गांधी की लड़ाई कांग्रेस को बचाने की है जबकि मैं देश बचाने की लड़ाई लड़ रहा हूं।
अरविंद केजरीवाल के इस ट्वीट पर बीजेपी की आईटी विंग के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर जवाब दिया। मालवीय ने कहा, “देश की चिंता बाद में करना अभी नई दिल्ली की सीट बचा लो।” मालवीय का बयान आते ही अरविंद केजरीवाल फिर मैदान में आ गए और उन्होंने कहा कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच कई सालों से चल रही जुगलबंदी से पर्दा हटा देगा।
क्या बात है…मैंने राहुल गांधी जी पर एक ही लाइन बोली और जवाब बीजेपी वालों से आ रहा है। बीजेपी को देखिए कितनी तकलीफ़ हो रही है। शायद दिल्ली का ये चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच सालों से पर्दे के पीछे चल रही जुगलबंदी पर से पर्दा हटा देगा … https://t.co/oeaqztUPK7
इसके अलावा दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान यह भी देखने में आ रहा है कि कांग्रेस न सिर्फ बीजेपी बल्कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। इसे आप ऐसे समझिए कि अरविंद केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारने में कांग्रेस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।
कांग्रेस ने केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है। संदीप दीक्षित 10 साल तक दिल्ली में (पूर्वी दिल्ली सीट से) सांसद रहे हैं। इसी तरह आतिशी के सामने दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष, चांदनी चौक सीट की पूर्व विधायक और कांग्रेस की मुखर नेत्री अलका लांबा को टिकट दिया है। कांग्रेस ने केजरीवाल और आतिशी जैसे बड़े नेताओं के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारकर बता दिया है कि वह आम आदमी पार्टी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
अगर आप दिल्ली की राजनीति के पिछले कुछ चुनावों को देखेंगे तो यह बात साफ है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के आगे बढ़ने के साथ ही कांग्रेस खत्म होती चली गई। 1998 से 2013 तक लगातार दिल्ली की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस का पूरा वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट हो गया। हालात इस कदर खराब हो गए कि 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में जब किसी भी राजनीतिक दल को दिल्ली में बहुमत नहीं मिला था तब कांग्रेस के ही आठ विधायकों ने समर्थन देकर अरविंद केजरीवाल को पहली बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था।
राहुल गांधी के केजरीवाल पर हमले से यह भी पता चलता है कि दिल्ली के पिछले दो चुनाव में जीरो सीट हासिल करने वाली कांग्रेस ने अपनी रणनीति को बदला है। कांग्रेस जानती है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में मिली हार के बाद उसे दिल्ली में अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा वरना इंडिया गठबंधन की कमान उससे लिए जाने को लेकर गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के ही बयान सामने आ चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस आक्रामक रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर रही है। राहुल गांधी ने सीधे केजरीवाल पर हमला करके कांग्रेस का संदेश साफ कर दिया है।
याद दिलाना होगा कि कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी ने यह कहकर कांग्रेस को निशाने पर लिया था कि उसके नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को एंटी नेशनल कहा है और कांग्रेस को माकन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। तब भी इन दोनों दलों के रिश्ते काफी तल्ख हो गए थे।
अब सवाल आता है कि अब जब यह दोनों दलों के बड़े नेता आमने-सामने आ गए हैं तो इंडिया गठबंधन का क्या भविष्य होगा?
अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के आमने-सामने आने की वजह से शायद बीजेपी ने राहत की सांस ली है। एक बात तय है कि अगर दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को किसी तरह का बड़ा सियासी नुकसान होता है तो वह इसके लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहरा सकती है और ऐसे में इंडिया गठबंधन क्या दिल्ली चुनाव के बाद बिखर जाएगा, इसकी चर्चा मीडिया और राजनीति के गलियारों में हो रही है।