Rahul Gandhi Mahakumbh 2025: प्रयागराज में हुए महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई। इसमें भारत के सभी राज्यों से लोग बढ़-चढ़कर शामिल हुए। चूंकि बीजेपी केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार की अगुवाई कर रही है इसलिए पार्टी के सभी दिग्गजों ने भी कुंभ में डुबकी लगाने का मौका हाथ से नहीं जाने दिया। ऐसे नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित बीजेपी शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री और पार्टी के तमाम बड़े नेता शामिल रहे। इन सभी ने योगी सरकार को महाकुंभ में किए गए इंतजामों के लिए बधाई दी।

महाकुंभ के आयोजन के दौरान यह सवाल उठा था कि आखिर विपक्षी नेता हिंदुओं के इस सबसे बड़े समागम में शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं? लेकिन विपक्ष के बड़े नेताओं ने अंत तक महाकुंभ से दूरी ही बनाए रखी। यह भी कहा गया कि महाकुंभ के इस आयोजन से हिंदुत्व की राजनीति मजबूत होगी और बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा।

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या विपक्ष के नेताओं ने महाकुंभ में न जाकर खुद के लिए सेल्फ गोल कर लिया है? क्या उन्हें इससे भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक नुकसान हो सकता है?

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विपक्ष के बड़े नेताओं ने महाकुंभ में जाने से तो परहेज किया लेकिन प्रयागराज और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ को लेकर ये सभी नेता एकजुट हो गए और उन्होंने मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जोरदार हमले किए। इन दोनों जगहों पर हुई भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई थी। विपक्ष ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने भीड़ नियंत्रण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।

महाकुंभ के मेले के दौरान विपक्षी नेताओं के विवादित बयानों की भी काफी चर्चा रही। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में योगी आदित्यनाथ सरकार पर महाकुंभ के मेले में बदइंतजामी को लेकर हमला किया और इस आयोजन को ‘मृत्यु कुंभ’ बता दिया। विवाद होने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी यह टिप्पणी आयोजन में हुई कमियों को लेकर थी।

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इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भी एक बयान को लेकर बीजेपी ने उन पर हमला बोला। खड़गे ने एक सभा में कहा, ‘क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी मिट जाएगी, क्या इससे आपको पेट भरने के लिए भोजन मिलेगा?’ इसी बीच, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कुंभ को ‘फालतू’ बताया।

याद दिलाना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भागलपुर में हुई एक जनसभा में बिना नाम लिए लालू प्रसाद यादव पर हमला बोला था और कहा था कि राम मंदिर से चिढ़ने वाले लोग अब महाकुंभ को कोस रहे हैं।

विपक्ष के नेताओं में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ही ऐसे रहे, जिन्होंने महाकुंभ को लेकर नपी-तुली राय सामने रखी। लालू प्रसाद यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणियों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने The Indian Express के Idea Exchange कार्यक्रम में कहा था, ‘मैं कौन होता हूं किसी की आस्था पर सवाल उठाने वाला। कुछ महीने पहले मैं उमराह (मक्का की तीर्थयात्रा) के लिए गया था, तो कुछ लोग कह सकते हैं कि इससे क्या फर्क पड़ता है? मेरी आस्था कहती है कि मुझे जाना चाहिए, इसलिए मैं गया। अब अगर किसी की आस्था कहती है कि उन्हें महाकुंभ में स्नान करना चाहिए, तो हमें इसमें दखल देने की क्या जरूरत है? हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे बीजेपी को यह कहने का मौका मिले कि हम हिंदुओं के खिलाफ हैं।’

कांग्रेस नेताओं में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, सचिन पायलट और दिग्विजय सिंह समेत कई कांग्रेस नेताओं ने संगम में डुबकी लगाई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रयागराज में स्नान किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि धर्म और आध्यात्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है। पिछले साल राम मंदिर के निर्माण के दौरान भी पार्टी ने यही रुख अपनाया था।

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2001 में कुंभ में स्नान किया था। उस समय उन्होंने राजनीतिक जीवन में कदम रखा ही था, तब वह विपक्ष की नेता थीं और उनके भारतीय होने को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे थे। सोनिया गांधी 2007 में फिर से कुंभ जाना चाहती थीं लेकिन कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उस वक्त की उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने जरूरी सुरक्षा नहीं दी और इस वजह से सोनिया कुंभ नहीं जा सकीं।

लेकिन इस बार गांधी परिवार ने कुंभ से पूरी तरह दूरी बनाए रखी। ऐसी अटकलें थी कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कुंभ में स्नान कर सकते हैं लेकिन वह नहीं आए। यह हैरान करने वाली बात थी क्योंकि राहुल गांधी पिछले कुछ सालों में कई बार मंदिरों में जा चुके हैं और संसद में भी अपने भाषण में शिव और हिंदू धर्म ग्रंथों का जिक्र कर चुके हैं। ना ही उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा महाकुंभ में पहुंचीं।

महाकुंभ में ना आने को लेकर विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के निशाने पर भी रहे। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि राहुल गांधी और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाकुंभ में नहीं जाकर हिंदुओं का ‘अपमान’ किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि हिंदू मतदाताओं को उनका बहिष्कार कर देना चाहिए।

उद्धव ठाकरे और गांधी परिवार के महाकुंभ में न जाने को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी हमला किया। उन्होंने कहा, ‘बाल ठाकरे ने नारा दिया था- ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’, लेकिन अब वे खुद को हिंदू कहने से डरते हैं और (बाल ठाकरे) को हिंदू हृदय सम्राट कहते हैं।’

कांग्रेस के एक नेता ने The Indian Express से कहा कि बेहतर होता कि विपक्षी नेता ऐसी टिप्पणियां करने से बचते जिसे बीजेपी घुमा-फिरा कर उन्हें हिंदू विरोधी बताने के लिए इस्तेमाल कर सके।

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