लोकतंत्र की नींव के रूप में कार्य करने वालीं ग्राम पंचायतें मानव संसाधन की कमी से जूझ रही हैं। इसका असर उनके काम के प्रदर्शन पर भी पड़ रहा है। केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (किला) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

देशव्यापी इस अध्ययन की रपट केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय को सौंपी जा चुकी है, जिसमें हर ग्राम पंचायत में कम से कम एक पंचायत सचिव की नियुक्ति को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है।वर्तमान में औसतन दो से चार ग्राम पंचायतों पर एक सचिव नियुक्त होता है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने 16वें वित्त वित्त आयोग से सिफारिश की है कि वह पंचायत स्तर पर अधिक कर्मियों की नियुक्ति को मंजूरी दे।

पंचायत स्तर पर मानव संसाधन की स्थिति को जानने के लिए केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान ने उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओड़ीशा, त्रिपुरा, असम, नगालैंड, झारखंड, मणिपुर, महाराष्ट्र, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और तमिलनाडु की ग्राम पंचायतों का व्यापक अध्ययन किया है।

इस अध्ययन में ग्राम पंचायतों में मानव संसाधन वितरण की प्रकृति और संरचना को समझने का प्रयास किया गया है। अध्ययन में ग्राम पंचायतों में अधिकारियों को दिए गए कार्य और चयनित ग्राम पंचायतों में अधिकारियों की डिजिटल साक्षरता का भी आकलन करने का प्रयास किया गया है। इस अध्ययन से यह पता चला है कि कुछ राज्यों को छोड़कर, मानव संसाधन की स्थिति अपर्याप्त है।

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अध्ययन रपट में सिफारिश की गई है कि ग्राम पंचायतों में किए जा रहे विभिन्न बुनियादी ढांचे के कार्यों को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या और आकार के बावजूद प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पूर्णकालिक पंचायत सचिव होना चाहिए, जो एक नियमित कर्मचारी हो और पंचायत के मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य करे।जनसंख्या के आकार के आधार पर ग्राम पंचायतों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

मंत्रालय को भेजी गई सिफारिश के मुताबिक, समूह एक (2,500 तक की जनसंख्या) के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में एक पंचायत सचिव और कंप्यूटर सहायक होना चाहिए। समूह दो में ग्राम पंचायतों के प्रशासन में एक सचिव, सहायक पंचायत सचिव और कंप्यूटर सहायक होना चाहिए।

समूह तीन और समूह चार के तहत ग्राम पंचायतों पर विचार करते समय पंचायत सचिव के लिए सहायक कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए। इसके अलावा सहायक पंचायत सचिव, दो से अधिक कंप्यूटर सहायक, लिपिक, पंचायत विकास अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक तकनीकी सहायक (टीए) नियुक्त करने का सुझाव भी दिया गया है।

सिफारिश में कहा गया है कि सभी कर्मचारियों को अपने काम के लिए कंप्यूटर में दक्ष होना चाहिए। भविष्य में भर्ती के लिए यह अनिवार्य योग्यता होनी चाहिए। मौजूदा कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि के भीतर आवश्यक दक्षता हासिल करने में सक्षम बनाया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य को आवश्यक सहायता प्रदान करनी चाहिए। अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों सहित सभी मौजूदा कर्मचारियों के लिए उस पद पर आवश्यक न्यूनतम स्तर की योग्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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एक अन्य सिफारिश में कहा गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय राज्यों को विभिन्न पदों के लिए एक व्यापक योग्यता ढांचा विकसित करने में सहायता कर सकते हैं।केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अध्ययन रपट में जिन कमियों का उल्लेख किया गया है, उन्हें वर्तमान में महसूस किया जा रहा है।

मंत्रालय ने 16वें वित्त आयोग से सिफारिश की है कि वह पंचायत स्तर पर अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति को मंजूरी दे। इसके लिए मंत्रालय की ओर से जल्द ही आयोग के समक्ष एक प्रस्तुति भी दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय को उम्मीद है कि वित्त आयोग उनकी इस सिफारिश को मान लेगा और ग्राम पंचायतों के स्तर पर कर्मचारियों की संख्या में सुधार आएगा। देश भर में लगभग 2.6 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 2,55,538 ग्राम पंचायतें, 6,829 मध्यवर्ती पंचायतें व खंड पंचायतें और 659 जिला पंचायतें शामिल हैं।

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