BJP Muslim Reservation Stand: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 में बीजेपी के नेताओं से कहा था कि उन्हें पसमांदा मुसलमानों के बीच पहुंचना चाहिए। मोदी ने पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले अलीगढ़ में हुई एक चुनावी रैली में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर पसमांदा मुसलमानों को हाशिए पर डालने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात की वकालत की थी कि पसमांदा समुदाय को मौके दिए जाने चाहिए लेकिन अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या बीजेपी का पसमांदा मुसलमानों से मोहभंग हो गया है?

यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि तेलंगाना में हाल ही में एक जनसभा के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और करीमनगर से बीजेपी के सांसद बंडी संजय कुमार ने एक सनसनीखेज बयान दिया है। बंडी संजय कुमार ने पूछा है कि तेलंगाना में मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग श्रेणी में कैसे शामिल किया जा रहा है।

बंडी संजय कुमार ने जनसभा में मौजूद लोगों के सामने साफ तौर पर कहा कि केंद्र सरकार मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में शामिल किए जाने को कभी भी मंजूरी नहीं देगी। केंद्रीय मंत्री का यह बयान तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण को लेकर आया है। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट को 4 फरवरी को सार्वजनिक किया था।

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जातिगत सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना में केवल 2.48% मुसलमान ‘अगड़ी जातियों’ से हैं जबकि शेष 10.08% मुसलमान पिछड़े वर्ग की श्रेणी में आते हैं और यह तेलंगाना की कुल पिछड़े वर्ग की आबादी का 56.63% है।

बंडी संजय कुमार की बात का समर्थन सिकंदराबाद के सांसद और मोदी सरकार में मंत्री जी. किशन रेड्डी ने भी किया। जी. किशन रेड्डी ने कहा कि बीजेपी इस बात के पूरी तरह खिलाफ है कि पिछले वर्ग को हिंदू पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम पिछड़ा वर्ग में बांटा जाए। बताना होगा कि कांग्रेस की तेलंगाना सरकार पिछड़ा वर्ग में आने वाले मुसलमानों को राज्य सरकार की नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में 4% का आरक्षण देती है।

जब से जातिगत सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है, मुसलमानों को मिल रहे आरक्षण को खत्म करने की मांग भी तेज हो गई है। पिछड़े वर्ग से आने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद आर. कृष्णैया ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था, ‘राज्य में गैर मुस्लिम पिछड़े वर्ग की आबादी लगभग 50% है। कांग्रेस की सरकार में उनकी गिनती कम दिखाई गई है और मुसलमानों को वह पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल कर रही है।’

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एक अन्य बीजेपी नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर इस बात को स्वीकार किया कि पसमांदा मुसलमानों के खिलाफ आ रहे बीजेपी मंत्रियों के बयान इस बात को बताते हैं कि पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की बीजेपी की कोशिश कामयाब नहीं हुई है। बीजेपी नेताओं का एक वर्ग मानता है कि पसमांदा समुदाय तक पहुंचने के लिए चलाए गए अभियानों का कोई नतीजा नहीं निकला।

दक्षिण के पांच में से तीन राज्यों में मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है और वहां मुसलमानों को आरक्षण देने के मामले को लगातार विवाद होता रहा है। जैसे- कर्नाटक में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुसलमानों को मिलने वाला 4% का आरक्षण खत्म कर दिया था।

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बीजेपी सरकार का यह तर्क था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। मुसलमान को कर्नाटक में 1994 से 2023 के बीच 2B कैटेगरी के तहत आरक्षण मिलता था। हालांकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई और कांग्रेस ने वहां सरकार बनाई। कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने मुसलमानों के लिए आरक्षण का समर्थन किया है लेकिन अभी तक उनका आरक्षण बहाल नहीं किया गया है।

इस मुद्दे को लेकर एनडीए के भीतर भी लड़ाई शुरू हो सकती है क्योंकि तेलंगाना के पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी मुसलमानों को पिछड़े वर्ग में मिलने वाले आरक्षण को समाप्त करने की मांग उठ चुकी है। लेकिन राज्य में तेलुगु देशम पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार ने कहा है कि वह इस मामले में मुस्लिम समुदाय के साथ है।

इस मामले में बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि बीजेपी मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ है लेकिन मुस्लिम ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमान ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत मिलने वाले 10% आरक्षण का फायदा उठा सकते हैं।

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