Republic Day 2025: गणतंत्र दिवस 2025 के मौके पर आरएसएस सर संघचालक डॉक्टर मोहन भागवत (RSS Mohan Bhagwat) ने भिवंडी में ध्वजारोहण किया। उन्होंने अपने भाषण में धर्म की परिभाषा दी है। इस दौरान उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर (Baba Ambedkar) का भी नाम लिया और ध्वजारोहण के साथ ही सनातन धर्म का महत्व भी समझाया।

आरएसएस चीफ ने कहा कि ध्वज फहराने का संदेश यह है कि अगर हमें अपने देश को समृद्ध बनाना है तो हमें भक्ति और ज्ञान के साथ काम करना होगा। हमारे देश के तिरंगे झंडे के केंद्र में धम्म चक्र, धर्म है। धर्म का अर्थ पूजा-पाठ भी है लेकिन यह वही धर्म नहीं है। पूजा करना ही धर्म का आचरण है. राष्ट्रीय परिस्थिति के अनुसार ये चीज़ें बदलनी चाहिए और बदलती हैं।

मोहन भागवत ने सनातन धर्म को लेकर कहा कि सनातन धर्म क्या है? तो डॉ. बाबा साहब आंबेडकर ने संसद में संविधान देते समय अपने भाषण में धर्म शब्द को एक वाक्य में परिभाषित किया। आंबेडकर ने कहा है कि भाईचारा ही धर्म है। हमारा समाज सद्भावना के आधार पर खड़ा है। हमारा धर्म कहता है कि विविधता प्रकृति का उपहार है।

मोहन भागवत ने कहा है कि आप अपने महत्व की रक्षा करें लेकिन देश की एकता को बरकरार रखें। हम अन्य देशों में विविधता के साथ बहस देखते हैं। लेकिन भारत का मूल स्वभाव अनेकता में एकता है। ये बात मोहन भागवत भी कह चुके हैं।

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मोहन भागवत ने कहा कि यदि आप खुश हैं और घर में उदासी है तो आप खुश नहीं रह सकते। यही परिभाषा गांव, शहर, राज्य पर भी लागू होती है। यदि कोई राज्य दुखी है तो कोई देश खुश नहीं हो सकता। हमारे यहां ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि अगर इंसान को बड़ा होना है तो उसे आजादी चाहिए, समानता चाहिए, लेकिन जब भाईचारा बढ़ेगा तो ऐसा कब होगा।

सर संघचालक मोहन भागवत ने भी कहा है कि इंसान तभी आगे बढ़ता है जब वह भाईचारा रखता है। हमारे राष्ट्र ध्वज में धम्मचक्र ही हमारा धर्म है। वह चक्र सबकी समानता और भाईचारे का संदेश दे रहा है। वह चक्र सबकी आजादी का संदेश देता है। हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा। कोई राष्ट्र केवल प्रयासों से विकसित नहीं होता। कोई देश महान बनता है क्योंकि समाज प्रयास करता है। ये बात मोहन भागवत ने भी कही।

मोहन भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया सोचती थी कि जब हम आजाद हो जाएंगे तो भारत का क्या होगा, उन्हें गुलामी में जीने की आदत हो गई है। हमने अपने ऊपर हुए हमलों को सहा, लेकिन हम इस स्थिति से बाहर आ गए। 1971 में जब हमने युद्ध जीता तो पूरी दुनिया हमें सम्मान की दृष्टि से देखने लगी। मोहन भागवत ने यह भी कहा है कि जब पोखरण 1 और पोखरण 2 हुआ तो हमारे देश की चर्चा दुनिया में हुई। मोहन भागवत से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।