Muskan Rastogi Meerut: पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर ऐसी महिलाओं को लेकर खूब चर्चा हुई जिन्होंने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या कर दी। न सिर्फ अख़बारों, टीवी और सोशल मीडिया पर बल्कि मेल-मुलाकात के दौरान भी लोगों ने इन महिलाओं के बारे में बात की। ऐसी महिलाओं में सोनम, मुस्कान, शिवानी, रवीना, राधिका सहित और कई महिलाएं हैं।
इस तरह की महिलाएं छोटे शहरों की रहने वाली थीं लेकिन जघन्य अपराधों में नाम आने के बाद वे कई दिनों तक सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी रहीं।
इनमें सबसे ताजा मामला इंदौर के राजा रघुवंशी की हत्या का है। सोनम रघुवंशी जब हनीमून पर अपने पति के साथ राजा रघुवंशी के साथ मेघालय गई तो उसने अपने पूर्व प्रेमी राजा कुशवाहा और तीन शूटरों के साथ मिलकर राजा की हत्या करवा दी। इस साल मार्च में मेरठ की मुस्कान रस्तोगी का मामला सामने आया था।
मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल शुक्ला के साथ मिलकर अपने पति सौरभ राजपूत की हत्या कर दी थी और उसके टुकड़े कर इसे सीमेंट से भरे ड्रम में रख दिया था।
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इस साल अप्रैल में, बिजनौर की शिवानी ने पहले कहा कि उसके पति की हार्ट अटैक से मौत हुई लेकिन बाद में पुलिस ने खुलासा किया कि उसने दीपक की गला घोंटकर हत्या की थी। अप्रैल में ही, हरियाणा के भिवानी की यूट्यूबर रवीना पर आरोप है कि उसने अपने पुरुष मित्र के साथ मिलकर पति को मार डाला क्योंकि वह उसके सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से नाराज था।
जून में सांगली की एक महिला राधिका पर आरोप लगा कि उसने शादी के 15 दिन बाद ही अपने पति अनिल की हत्या कर दी थी। इन सभी मामलों की सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी चर्चा हुई।
अब कुछ सवाल ऐसे खड़े होते हैं कि महिलाएं अपराध क्यों करती हैं? उन्हें पुरुष अपराधियों से अलग क्यों देखा जाता है, क्या वह महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रदर्शन कर रही हैं या वे यही दिखाना चाहती हैं कि अभी भी वे कमजोर हैं? आमतौर पर भारतीय समाज में ऐसा कभी नहीं सुना गया कि महिलाओं को उनके पति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया हो या उन्होंने कोई बहुत बड़ी योजना बनाकर अपने पति की हत्या को अंजाम दिया हो।
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एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसके पीछे सामाजिक कलंक, जेंडर को लेकर समाज के कठोर नियम आदि जिम्मेदार हैं। ब्रिटिश अपराध विज्ञानी फ्रांसिस हेइडेनसन ने इसे double deviance theory नाम दिया है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के कुलपति और अपराधशास्त्र के प्रोफेसर जी.एस. वाजपेयी NDTV से कहते हैं, “समाज महिलाओं से यह उम्मीद करता है कि वे देखभाल करने वाली और कहना मानने वाली होती हैं, ऐसी महिला जो अपराध करती है उसे असामान्य माना जाता है।” वाजपेयी कहते हैं कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हत्या के आधे से अधिक मामलों में उनके मौजूदा या पूर्व दोस्त शामिल होते हैं।
2022 में NCRB के आकंड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ 4.45 लाख से ज्यादा अपराध दर्ज हुए लेकिन महिलाओं द्वारा किए गए अपराधों का अलग से कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता क्योंकि आमतौर पर ऐसे बहुत अपराध नहीं होते लेकिन जब महिलाएं कोई गंभीर अपराध करती हैं तो इसका समाज पर बड़ा असर होता है।
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बहरहाल, सोनम, मुस्कान और बाकी ऐसे सभी मामलों की सोशल मीडिया पर अच्छी-खासी चर्चा हुई और मीडिया में भी इन मामलों को काफी कवरेज मिली। याद दिलाना होगा कि सोशल मीडिया पर ही ‘सोनम बेवफा है’ नाम से मीम अकसर वायरल होता रहता है।
“Queens of Crime: True Stories of Women Criminals from India” किताब के लेखक कुलप्रीत यादव के अनुसार, महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों की संख्या बहुत कम होने के कारण कानूनी एजेंसियां कभी भी महिलाओं को अपराधी मानने के लिए तैयार ही नहीं हुई हैं। यादव के मुताबिक, आपराधिक इरादों वाली महिला किस तरह सोचती हैं, इस बारे में हमारी समझ काफी कम है।
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महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना कहती हैं, “मीडिया ऐसे मामलों को सनसनीखेज बना रहा है और दिखाता है कि केवल सोनम ने सबकुछ किया, जबकि इसमें पुरुष साथी भी शामिल थे।”
अपराध मनोवैज्ञानिक दीप्ति पुराणिक का मानना है कि सामाजिक संबंधों के प्रति इस तरह के ‘आक्रोश’ के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पुराणिक ने कहा, “जब शादी की बात आती है तो संस्कृति और समाज की अहम भूमिका होती है। लोगों को उनकी इच्छा के खिलाफ विवाह करने के लिए मजबूर किया जाता है।”
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