Shiromani Akali Dal Sukhbir Badal: लगातार खराब प्रदर्शन से गुजर रहे शिरोमणि अकाली दल (बादल) को पंजाब की राजनीति में थोड़ी सी ऑक्सीजन मिलती दिखाई दे रही है। इस महीने ही अकाली दल के तीन बागी नेताओं की पार्टी में वापसी हुई है। इनमें एक ताजा और बड़ा नाम पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका का है। इससे पहले पंजाब के पूर्व राज्य मंत्री सोहन सिंह ठंडल और अनिल जोशी भी अकाली दल में वापस आ गए थे।
बताना होगा कि शिरोमणि अकाली दल के भीतर लंबे वक्त से घमासान चल रहा है और पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है। अकाली दल के कई बड़े नेताओं ने सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं।
इन नेताओं में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला आदि शामिल हैं। लेकिन अब ऐसा दिखाई देता है कि सुखबीर सिंह बादल पार्टी को जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी के तहत उन्होंने तीन बड़े नेताओं की पार्टी में घर वापसी कराई है।
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सिकंदर सिंह मलूका को पार्टी विरोधी गतिविधियों में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। मलूका के पार्टी में शामिल होते ही सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें लुधियाना वेस्ट उपचुनाव के लिए प्रभारी घोषित कर दिया।
पंजाब में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और राज्य की राजनीति में अकाली दल खुद को जिंदा रखने की कोशिश कर रहा है। अकाली दल को उम्मीद है कि बागी नेताओं के लौट आने से पार्टी एक बार फिर पंजाब की राजनीति में मजबूत होगी।
सुखबीर सिंह बादल खुद भी लुधियाना वेस्ट सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए लगातार पार्टी का प्रचार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मलूका के पार्टी में वापस लौटने से अकाली दल को इस सीट पर फायदा मिल सकता है।
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सुखबीर सिंह बादल को पिछले कुछ सालों में मुश्किल हालात का सामना करना पड़ा है। चुनाव में मिल रही लगातार हार के अलावा उन्हें सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने धार्मिक कदाचार का दोषी पाया था और इस वजह से बादल को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि अप्रैल में पार्टी संगठन में हुए चुनाव के बाद बादल को फिर से पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया था।
2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन सीटें जीतने वाली अकाली दल के पास अब एक ही विधायक बचा है। सुखबीर बादल 2027 के चुनाव से पहले पार्टी संगठन को मजबूत करना चाहते हैं जिससे वह आम आदमी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस से भी मुकाबला कर सकें लेकिन उनके सामने पार्टी का बागी धड़ा बड़ी चुनौती पेश कर रहा है।
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