प्रौद्योगिकी, आधुनिकता की सीढ़ियां ही नहीं चढ़ रही, विश्व-पटल पर संगठित अपराध-परिदृश्य को भी तेजी से बदल रही है। ऐसे संगठित अपराधी विभिन्न तकनीकों को तेजी से अपना और उनका बेखौफ इस्तेमाल कर रहे हैं। यह हम तब देख पाते हैं, जब धन की हेराफेरी की बातें सुर्खियां बनती हैं। संगठित अपराध का डीएनए बदल रहा है, तो ये पूरे विश्व के लिए एक नए तरह का बड़ा खतरा है। संगठित अपराध समूह पर्यावरण क्षेत्रों में गहरी घुसपैठ बना कर अपने नेटवर्क को नया आकार-प्रकार दे रहे हैं।

यह सब ऐसे दौर में हो रहा है, जबकि अपराधों को रोकने के लिए स्थानीय पुलिस के अलावा इंटरपोल, नाटो, सीआइए, एफबीआइ, सिग्नल इंटेलिजेंस, रा और आइबी जैसी सैन्य-सुरक्षा-खुफिया, कानून प्रवर्तन एजंसियों से दुनिया भरी पड़ी है। क्या शक्तिशाली होते जा रहे अपराध समूहों के खिलाफ कोई साझा रणनीति नहीं है?

एक ताजा अध्ययन में दुनिया भर में अवैध आर्थिक गतिविधियों पर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। धड़ल्ले से फेसबुक, टेलीग्राम ग्रुप और डार्क वेब पर इंसानों तक को आनलाइन खरीदा और बेचा जा रहा है। इस तरह के आपराधिक नेटवर्क में आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे आनलाइन बाजार तरह-तरह की तस्करी के मुखौटे भर होकर रह गए हैं। खासकर एशिया में ये संगठित अपराध गिरोह अपनी गतिविधियां दूरदराज के उन इलाकों में तकनीकी मजबूती के साथ संचालित कर रहे हैं, जहां कानून का शासन लुंजपुंज या पूरी तरह नदारद है। इस धंधे में नशीले पदार्थों, दुर्लभ वन्यजीवों, वनस्पतियों और मानव तस्करी के विस्तार के साथ ही भारी मात्रा में धन की हेराफेरी हो रही है।

ऐसे घटनाक्रम दुनियाभर के देशों को कई स्तरों पर परेशान करने वाले हैं। ये संगठित अपराध समूह अपनी क्षमता में सरकारों की ताकत से कुछ कम मजबूत नहीं हैं। उनका तंत्र विशेषकर कम विकसित देशों की सरकारों से कहीं आगे है। ये अपनी गतिविधियों को उन स्थानों पर स्थानांतरित कर रहे हैं, जहां सरकारों की पकड़ न के बराबर है। विशेषज्ञों का मानना है कि अपराधों की पूरी कड़ियों को ध्वस्त करने में काफी लंबा समय लगेगा।

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उन्नत संचार प्रौद्योगिकी से लैस संगठित अपराध समूह आनलाइन व्यवसायों और बाजारों में क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये सब सार्वजनिक रूप से स्पष्ट वेब और डार्क वेब पर उपलब्ध है। वे वस्तुओं का विपणन करने और विभिन्न व्यवसायों को संचालित करने के लिए, अनेक सोशल मीडिया मंचों का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें नशीले पदार्थ और मानव तस्करी शामिल हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि कोई भी देश ऐसे खतरों से आखिर कैसे निपटे? दरअसल, यह देशों पर निर्भर करता है, क्योंकि इसमें दुनिया के कुछ शक्तिशाली देश, अविश्वसनीय रूप से कम क्षमता वाले कुछ देशों के निकट हैं। कुछ देश खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अन्य देश, वास्तव में खुद को समय और चुनौती के अनुसार सक्षम नहीं बना पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास कम संसाधन हैं। इन अपराधों को समझना भी बहुत कठिन है। इन अपराधों का विश्लेषण और मुकाबला करने के लिए भी, नवीन प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र दुनिया के विभिन्न देशों को इन अपराधों को समझने में मदद कर रहा है। फिलहाल, ऐसे अपराधों पर गहन शोध और विश्लेषण हो रहे हैं। साथ ही, सरकारों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझने में मदद की जा रही है। जबसे नशीले पदार्थों के व्यापार और संबंधित वित्तीय प्रवाह से निपटने की जरूरत महसूस होने लगी है, तबसे सरकारें आपसी संवाद को लेकर गंभीर हुई हैं। दूसरी तरफ, अपराधी आधुनिकतम संसाधनों से लैस हो रहे हैं। फिर भी कार्रवाई की कोई उन्नत रणनीति बनाने पर देशों के बीच अभी कोई एकजुटता नहीं दिख रही है।

सिर्फ इतना हुआ है कि हाल ही में समन्वित तरीके से इन आपराधिक समूहों का सामना करने के लिए आसियान क्षेत्र लिए एक कार्य योजना पर सहमति बनी है। साथ ही, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की सरकारों में इस चुनौतीपूर्ण मौजूदा स्थिति पर बात चल रही है। उनमें सहमति नहीं बन पाती है, तो इन आपराधिक समूहों पर शिकंजा अभी बहुत दूर की कौड़ी है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि पहले सभी देश इस मसले पर एकजुट हों।

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दुनियाभर में नशीली दवाओं का सबसे बड़ा आपराधिक बाजार है। एक तिहाई से अधिक आपराधिक समूह इनके उत्पादन, तस्करी और वितरण में लगे हुए हैं। सिंथेटिक दवाओं का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। तस्करी में शामिल संगठित अपराध समूह ड्रोन सेवाओं में भारी निवेश कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी पर निर्भर संगठित अपराध के लिए प्रवासी तस्करी मुनाफे का एक बड़ा धंधा बन चुकी है। शिकारी मौजूदा प्रवासी मार्गों का फायदा उठाते हुए अनियमित प्रवासियों और शरणार्थियों को तेजी से निशाना बना रहे हैं। तकनीकी नवाचार की दर और संगठित अपराधियों की इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की क्षमता लगातार बढ़ती जा रही है। संगठित अपराध समूहों का आतंकवाद से भी गठजोड़ पाया गया है।

आनलाइन प्रौद्योगिकी से लैस पर्यावरण अपराध को अब तक बहुत हल्के में लिया जाता रहा है, लेकिन संगठित अपराध समूहों के लिए सालाना सैकड़ों अरब डालर वाला यह विश्व में तीसरे नंबर का मुनाफे का सबसे बड़ा कारोबार बन चुका है। निकट भविष्य में इससे जैव विविधता को भी भारी खतरा महसूस किया जा रहा है। तस्करों के गठजोड़ से लुप्तप्राय प्रजातियों को मारा जा रहा है। कार्बन के मुख्य भंडारण-स्रोत जंगल उजड़ते जा रहे हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र, वन्य जीवों, पौधों और जलवायु को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

कार्रवाइयों के दौरान भारी मात्रा में तस्करी की लकड़ी, हजारों जीवित पक्षी, लाल कान वाले सजावटी स्लाइडर कछुए, गैंडे के सींग, सूखे शार्क पंख, शावक, अजगर की खाल आदि तस्करों से बरामद हो रहे हैं। इस बीच आनलाइन पायरेसी और इससे संबंधित अपराधों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी रखते हुए इंटरपोल आनलाइन पायरेसी परियोजना का दूसरा चरण शुरू कर चुका है। आनलाइन पायरेसी भी अरबों डालर का व्यवसाय बन गया है, जिसका मुनाफा धन-शोधन से ठिकाने लगाया जा रहा है।

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प्रौद्योगिकी और अंतरराष्ट्रीय अपराध का यह मेल विशेष रूप से मानव तस्करी के संदर्भ में गौरतलब है, क्योंकि ऐसे आपराधिक समूह सोशल मीडिया और आनलाइन मंचों का दोहन कर रहे हैं। इन मंचों पर नकली पहचान और गुमनाम खातों के उपयोग ने तस्करों के सीमा पार संचालन को सुविधाजनक बना दिया है। दूसरी तरफ, ऐप और एल्गोरिदम के विकास से अपराध समूहों की पहचान और आधुनिक आपराधिक गतिविधियों के तौर-तरीकों का पता लगाने में मदद मिल रही है। मगर इस समय शक्तिशाली अपराध समूहों से पार पाने के लिए सबसे जरूरी है कि विश्व के प्रभावित देशों के बीच मजबूत साझेदारी की गंभीरता से पहल हो।