Telangana Caste Survey: तेलंगाना की रेवंत रेड्डी की कांग्रेस सरकार ने राज्य में जातीय सर्वे प्रक्रिया को लेकर एक तीन सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। ये कमेटी 42 मापदंडो पर शून्य 126 के पैमाने पर विभिन्न जातियों के सापेक्ष पिछड़ेपन को मापेगी। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तेलंगाना के जातीय सर्वे के फॉर्मूले के आधार पर देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं और उन्होंने तेलंगाना के फॉर्मूले को लेकर राज्य की रेवंत रेड्डी सरकार की तारीफ भी की थी।

तेलंगाना सामाजिक शैक्षिक रोजगार आर्थिक जाति सर्वेक्षण 2024 ने राज्य में 243 जातियों को वर्गीकृत किया है। इस साल रेवंत रेड्डी सरकार ने जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का अध्ययन करने और विभिन्न जातियों के पिछड़ेपन को मापने का तरीका निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी (अध्यक्ष), लेखक और शिक्षाविद कांचा इलैया (उपाध्यक्ष) और कांग्रेस नेता प्रवीण चक्रवर्ती (सदस्य संयोजक) की तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

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प्रवीण चक्रवर्ती प्रोफेशनल्स कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि देश में यह पहली बार है कि पिछड़ेपन का मापन विभिन्न मापदंडों के आधार पर किया जा रहा है। विभिन्न जातियों के पिछड़ेपन को मापने के लिए जिन 42 मापदंडों का उपयोग किया जा रहा है। उनमें सामाजिक परिस्थितियां, शैक्षिक पृष्ठभूमि, जीवन स्तर, व्यवसाय, आय, चल और अचल संपत्ति तथा बैंकिंग और वित्त तक पहुंच शामिल हैं। बता दें कि पिछड़ापन तय करने के ये मापदण्ड 1980 की मंडल आयोग रिपोर्ट के आधार पर तैयार किए गए थे। इसमे सापेक्ष पिछड़ेपन की गणना के लिए 11 मापदण्डों का उपयोग किया गया था।

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तेलंगाना पैनल के पिछड़ेपन इंडेक्स में विकास के सकारात्मक संकेतकों के रूप में 17 बिंदु हैं। इनमें अंतरजातीय विवाह, मजबूत लिंग अनुपात, डिप्लोमा और उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता, निजी स्कूल शिक्षा, अंग्रेजी माध्यम की स्कूली शिक्षा, सरकारी और निजी नौकरी प्रोफ़ाइल, मध्यम या बड़े व्यवसाय का स्वामित्व, काम के लिए दूसरे देशों में प्रवास, 5 से 50 लाख रुपये की वार्षिक आय, आयकर भुगतान, सिंचित भूमि या पांच से 20 एकड़ के बीच की ज़मीन और कार और फ्रिज रखने वाले परिवार शामिल हैं।

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इसके अनुसार, जिन परिवारों की वार्षिक आय 5 से 50 लाख रुपये के बीच है और जिनके पास बड़ी मात्रा में जमीन है, उन्हें पिछड़ेपन के पैमाने पर कम अंक मिलेंगे। दूसरी ओर जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम है या जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है, उन्हें पिछड़ेपन का उच्च स्कोर मिलेगा।

पिछड़ेपन के संबंध में पैनल के नकारात्मक संकेतकों में पूजा स्थलों पर भेदभाव, बाल विवाह, दसवीं कक्षा से कम शिक्षा प्राप्त महिलाएं, हाई स्कूल छोड़ने की दर, निरक्षरता, दिहाड़ी मजदूरी, बाल श्रम, नरेगा कार्य, अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार, शौचालय, नल का पानी और बिजली का अभाव शामिल हैं।

तेलंगाना जाति सर्वेक्षण में 3.55 करोड़ लोगों को शामिल किया गया और 75 क्षेत्रों के बारे में जानकारी एकत्र की गई, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, पहचान, व्यवसाय और उनके दैनिक जीवन के पहलू शामिल थे।

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