India Pakistan Indus Waters Treaty: भारत ने सिंधु जल संधि समझौते को लेकर एक बार फिर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘आज तक’ से बातचीत में सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। इस सवाल के जवाब में कि सिंधु जल समझौते को रद्द करने से क्या भारत को कोई फायदा होगा, चौहान ने कहा, ‘पानी हमारा, खेत हमारे, किसान हमारे और फायदा उनको ना मिले… मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिंधु जल समझौता रद्द करने के लिए धन्यवाद दूंगा।’

याद दिलाना जरूरी होगा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इससे पहले दोनों देशों के बीच इसे लेकर नौ साल तक बातचीत चली थी।

भारत ने साफ-साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, यह संधि स्थगित रहेगी। चौहान ने आगे कहा, ‘यह हमारा पानी है, वह पानी हमारे काम आएगा, जम्मू-कश्मीर के किसानों के काम आएगा, खेतों को पानी मिलेगा तो फसलें और लहलहाएंगी, हमारा पानी हमारे किसानों के लिए है।’

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शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में सिंधु जल संधि समझौते को ऐतिहासिक गलती बताया था। उन्होंने कहा था कि यह हमारे देश के किसानों का दुर्भाग्य था कि हमारे देश से बहने वाली नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया। 

शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST-K) परिसर में सेब की उन्नत किस्मों को देखा और वहां के कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत कर हॉर्टिकल्चर उत्पादों की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने सेब और केसर उत्पादक किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं और सुझाव भी लिए।

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चौहान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सेब, केसर, अखरोट और बेरी समेत अन्य हॉर्टिकल्चर फसलों का उत्पादन बढ़े, किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले और बेहतर पौधे मिलें, इसके लिए भारत सरकार यहां ‘क्लीन प्लांट सेंटर’ स्थापित करेगी।

चौहान ने कहा कि कश्मीर की यूनिवर्सिटी में इनोवेशन हो रहे हैं और यहां पर अच्छा सेब पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा जहां 6 मीट्रिक टन के आसपास सेब होता था, वह अब 60 मीट्रिक टन से हो रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों ने उन्हें बताया है कि वे लोग 15 लाख रुपये प्रति एकड़ तक की आमदनी हासिल कर रहे हैं।

बताना होगा कि भारत ने हाल ही में सिंधु जल संधि के तहत बनाई गई मध्यस्थता अदालत (Court of Arbitration) की वैधता को मानने से इनकार कर दिया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए ही सिंधु जल संधि को स्थगित किया है।

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