Waqf Board Amendment Bill: वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर सड़क से संसद तक माहौल बेहद गर्म है। मोदी सरकार जहां इस बिल के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहती है, वहीं विपक्ष एकजुट होकर इसका पुरजोर विरोध कर रहा है। विपक्ष के साथ ही देशभर के मुस्लिम संगठनों ने भी ऐलान किया है कि वे किसी भी सूरत में इस बिल को स्वीकार नहीं करेंगे। आने वाले कुछ दिन या फिर लंबे वक्त तक इस बिल को लेकर हिंदुस्तान की सियासत में जोरदार जुबानी जंग देखने को मिल सकती है।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि मोदी सरकार यह कानून वक्फ बोर्ड और मुसलमानों के अधिकारों को छीनने के लिए ला रही है। जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि उसका मकसद ज्यादा पारदर्शिता लाना और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना है।
ऐसे में बहुत सारे सवाल लोगों के मन में हैं कि वक्फ क्या है, वक्फ कानून में संशोधन क्यों किया जा रहा है और वक्फ एक्ट की धारा 40 को लेकर क्या विवाद है? आइए, इसे समझते हैं।
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वक्फ का मतलब ऐसी संपत्ति से है जो इस्लामिक कानून के तहत पूरी तरह से धार्मिक मकसद से या दान में दे दी जाती है। इस संपत्ति का कोई और तरह का इस्तेमाल या बिक्री नहीं की जा सकती। वक्फ का मतलब है कि संपत्ति का मालिकाना हक किसी व्यक्ति के पास से अल्लाह को सौंप दिया गया है। वक्फ की संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए एक ‘मुतवल्ली’ को नियुक्त किया जाता है। एक बार वक्फ संपत्ति घोषित हो जाने के बाद इसका मालिकाना हक अल्लाह को ट्रांसफर हो जाता है और इसे वापस नहीं लिया जा सकता।
यह भी जानना जरूरी है कि वक्फ बोर्ड के पास भारत में कितनी संपत्तियां हैं। PIB के मुताबिक, वक्फ बोर्ड की जमीन 9.4 लाख एकड़ में फैली हुई है और संपत्तियों की कुल संख्या 8.7 लाख है। इसका अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
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भारत में आजादी के बाद 1954 में पहली बार वक्फ एक्ट बना था और साल 1995 में इस एक्ट में कुछ संशोधन किए गए थे। साल 2013 में भी वक्फ एक्ट में कई बदलाव किए गए। मौजूदा बिल वक्फ एक्ट, 1995 में संशोधन करता है। वक्फ एक्ट, 1995 ही भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है। अब इसमें बड़े बदलावों का प्रस्ताव है, जिससे सरकार को वक्फ संपत्तियों को रेग्युलेट करने और ऐसी संपत्तियों से जुड़े विवादों को निपटाने का अधिकार देता है।
वक्फ बिल, 2025 पर सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि नया कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके को बदल देगा। सरकार का कहना है कि 1995 के एक्ट में वक्फ संपत्तियों के रेग्युलेशन के संबंध में कुछ गलतियां हैं। इनमें स्वामित्व को लेकर विवाद और वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे के मामले शामिल हैं और इस वजह से केंद्र को नया कानून लाना पड़ा है। इसके अलावा वक्फ संपत्तियों से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल के द्वारा की जाती है और इसके फैसलों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
वक्फ एक्ट की धारा 40 वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार देती है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। साथ ही यह ताकत भी देती है कि ऐसे मामलों में वक्फ बोर्ड का फैसला अंतिम होगा जब तक कि इसे वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा रद्द या संशोधित नहीं किया जाता। मौजूदा वक्त में किसी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति तय करने का हक वक्फ ट्रिब्यूनल के पास है लेकिन वक्फ (संशोधन) बिल में यह ताकत डीएम को दी गई है।
वक्फ बिल कहता है कि एक्ट के लागू होने से पहले या बाद में किसी भी सरकारी संपत्ति की अगर वक्फ संपत्ति के रूप में पहचान की गई है या फिर इसे वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है तो इसे वक्फ की संपत्ति नहीं माना जाएगा और इसका फैसला डीएम के द्वारा किया जाएगा ना कि वक्फ ट्रिब्यूनल के द्वारा।
बिल यह भी कहता है कि जब तक सरकार कोई फैसला नहीं ले लेती, विवादित संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं बल्कि सरकारी संपत्ति माना जाएगा।
The Indian Express के मुताबिक, सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस बड़े और अहम बदलाव को लाने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि वक्फ कानूनों का दुरुपयोग रोका जाए। सरकार के मुताबिक, वक्फ एक्ट की धारा 40 का निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल किया जाता है और इस वजह से कानूनी लड़ाई-झगड़े होते हैं।
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