Waqf Amendment Bill Passed: वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया। कहा जा रहा है कि वक्फ अब सिर्फ ‘वक्त’ की बात रह गई है। ऐसा भी इसलिए क्योंकि सरकार जो बड़े बदलाव वक्फ में करने जा रही है, उससे काफी कुछ बदल जाएगा, कई चीजों की परिभाषा बदल जाएगी। इस बिल का विरोध हुआ, कहीं समर्थन हुआ, लेकिन एक चीज बुधवार को स्पष्ट दिखी- जोरदार मंथन। देश ने अगर सरकार की बात सुनी तो काफी समय बाद संसद में विपक्ष की आवाज भी गूंजी। यहां समझते हैं कि लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को लेकर क्या चर्चा हुई, इस बिल का मकसद क्या है और आखिर क्या बदलने जा रहा है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करते हुए कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नये संशोधनों की जरूरत पड़ी। रिजिजू ने सदन में विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने उन मुद्दों पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, जो वक्फ विधेयक का हिस्सा नहीं हैं।

रिजिजू ने विधेयक को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जताई जा रही चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही। उन्होंने कहा, ‘‘यूपीए सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिये इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था इसलिए इसमें नये संशोधनों की आवश्यकता पड़ी।

गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल का समर्थन करते हुए कई बिंदुओं पर रोशनी डाली। उनकी तरफ से विपक्ष पर मुस्लिमों को गुमराह करने का आरोप भी लगा दिया गया। उनके मुताबिक विपक्ष के कुछ साथी अल्पसंख्यकों को डराने का काम कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी मुस्लिम का कोई अधिकार नहीं छिनने वाला है। गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ का कानून दान के लिए किसी द्वारा दी हुई संपत्ति, उसका एडमिनिस्ट्रेशन अच्छे से चल रहा है या नहीं, कानून के हिसाब से चल रहा है या नहीं… या तो दान जिस चीज के लिए दिया जा रहा है, इस्लाम धर्म के लिए दिया है, गरीबों के उद्धार के लिए दिया गया है… उसके उद्देश्य के लिए उपयोग हो रहा है या नहीं हो रहा है … इसका नियमन करने का काम है।

वक्फ का इतिहास बताते हुए शाह ने कहा कि वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय स्तित्व में आया। एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का charitable enrollment है। जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापिस लेने के उद्देश्य से।

AIMIM प्रमुख ओवैसी ने भी लोकसभा में एक जोरदार भाषण दिया। उनकी तरफ से कहा गया कि वक्फ संशोधन बिल के ज़रिये नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। इस बिल का मक़सद मुसलमानों को ज़लील और रुसवा करना है, मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाना इनका मक़सद है। ओवैसी के मुताबिक इस बिल के बाद कोई गरीबी दूर नहीं होने वाली है, बल्कि यह पूरी तरह आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।

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वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को सख्त करने के उद्देश्य से इस बिल को लागू करना चाहती है।

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, कलेक्टर को संपत्ति सर्वे का अधिकार देना और वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देना का प्रावधान शामिल है। अगर बिल पास हुआ तो अब वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को जबरन ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित नहीं कर सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि जवाहर लाल नेहरू सरकार ने साल 1954 में वक्फ एक्ट पास किया था। वहीं, 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया था जिसके बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई थी। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रावधान हैं।

लंबे समय बाद राज्यसभा में स्थिति सरकार के पक्ष में दिखाई देती है। माना जा रहा है कि ऊपरी सदन से भी यह बिल आसानी से पारित हो जाएगा। असल में ऊपरी सदन में मौजूदा समय में सदस्यों की संख्या 236 है। यहां भी बीजेपी का नंबर सबसे अधिक है। बीजेपी के पास कुल 98 सदस्य हैं। वहीं एनडीए के कुल सदस्यों की संख्या 115 है। अगर इसमें 6 मनोनीत सदस्यों को भी शामिल कर दें तो यह आंकड़ा 121 तक पहुंचता है। राज्यसभा में इस बिल को पास कराने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत होगी। ऐसे में उसके बाद बहुमत से 2 सदस्य अधिक हैं।

वैसे वक्फ से पहले भी इस देश में जमीनों का मालिकाना हक तय होता था। अगर इतिहास के उन पुराने पन्नों को टटोलना है तो जनसत्ता की इस विशेष खबर का रुख करें