रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट्र गए पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति को महाराष्ट्र पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासी होने के संदेह में उठा लिया। शनिवार तड़के सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने उसे पड़ोसी देश की सीमा में भेज दिया। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार के अनुसार, महाराष्ट्र पुलिस और बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल पुलिस, राज्य प्रवासी कल्याण बोर्ड के हस्तक्षेप और भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के बावजूद महबूब शेख को बांग्लादेश में धकेल दिया।
पश्चिम बंगाल प्रवासी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष समीरुल इस्लाम ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “शेख के परिवार ने हमसे संपर्क किया जिसके बाद हमने महाराष्ट्र पुलिस से संपर्क किया। सभी आवश्यक दस्तावेज उन्हें भेज दिए गए। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित करने की भी जहमत नहीं उठाई और शेख को बीएसएफ ने बांग्लादेश में धकेल दिया ।”
शेख के परिवार ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के भागाबंगोला के महिसास्थली ग्राम पंचायत क्षेत्र के हुसैननगर गांव के निवासी हैं। 36 वर्षीय शेख महाराष्ट्र में राजमिस्त्री का काम करता था। शेख के छोटे भाई मुजीबुर ने मुर्शिदाबाद से इंडियन एक्सप्रेस को फोन पर बताया, “पिछले दो सालों से वह महाराष्ट्र में काम कर रहा है। वह मुंबई के पास ठाणे के मीरा रोड इलाके में रहता था । पांच दिन पहले (बुधवार, 11 जून) जब वह चाय पी रहा था तो पुलिस ने उसे बांग्लादेशी होने के संदेह में उठा लिया और कनकिया पुलिस स्टेशन ले गई।”
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मुजीबुर ने कहा, “उन्होंने हमें कनकिया पुलिस स्टेशन से बुलाया। हमने तुरंत स्थानीय पुलिस और प्रशासन, साथ ही हमारे पंचायत प्रधान और प्रवासी कल्याण बोर्ड को सूचित किया। उन्होंने कहा कि वे महाराष्ट्र पुलिस के संपर्क में हैं। शुक्रवार तक हमने महाराष्ट्र पुलिस को सभी दस्तावेज भेज दिए जिसमें महबूब शेख का वोटर कार्ड, आधार कार्ड , राशन कार्ड और यहां तक कि हमारे परिवार का वंशावली भी शामिल था, जिसे पंचायत द्वारा प्रमाणित किया गया था।”
महिसस्थली ग्राम पंचायत के प्रधान शब्बीर अहमद ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि महबूब शेख को सिलीगुड़ी स्थित बीएसएफ कैंप में भेज दिया गया है तो वे वहां पहुंचे। प्रधान ने कहा, “शुक्रवार (13 जून) को हमें स्थानीय पुलिस स्टेशन से सूचना मिली कि महाराष्ट्र पुलिस ने महबूब को सिलीगुड़ी के बीएसएफ कैंप में भेज दिया गया है। मेरा भाई मुजीबुर कैंप पहुंचा लेकिन वहां हमें नहीं रखा गया। उन्होंने हमारी बात भी नहीं सुनी।”
परिवार के अनुसार, महबूब शेख ने शनिवार (14 जून) को उन्हें फोन करके बताया कि बीएसएफ ने उसे सुबह 3.30 बजे बांग्लादेश में धकेल दिया है। भाई मुजीबुर ने कहा, “उसने बताया कि उसे शनिवार को सुबह 3.30 बजे के आसपास बीएसएफ ने बांग्लादेश में धकेल दिया था। उसने एक गांव में शरण ली जहां से उसने फोन किया था। वह रो रहा था। उसकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। हम बस उसे वापस चाहते हैं। हमें नहीं पता कि वह बांग्लादेश में कितने समय तक जीवित रह पाएगा।”
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वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि महबूब अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए दस्तावेज देने में विफल रहे, साथ ही उन्होंने कहा कि वे नागरिकता साबित करने के लिए आधार और पैन कार्ड पर विचार नहीं करते हैं।
ठाणे के मीरा रोड पुलिस स्टेशन की वरिष्ठ निरीक्षक मेघना बुराडे ने कहा, “हमारी कोई गलती नहीं है। पुलिस आयुक्त के अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश पर, हमने 11 जून को महबूब शेख सहित कई संदिग्धों को हिरासत में लिया। हमने उनसे ऐसे दस्तावेज मांगे जो उनकी राष्ट्रीयता साबित कर सकें। आम तौर पर, हम इस उद्देश्य के लिए आधार और पैन कार्ड पर विचार नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें धोखाधड़ी से प्राप्त किया जा सकता है। हमने उससे अपना जन्म प्रमाण पत्र या कोई अन्य मजबूत सबूत पेश करने के लिए कहा लेकिन वह इसे पेश करने में विफल रहा। साथ ही अपने भारतीय होने के दावे का समर्थन करने के लिए उसने कोई अन्य दस्तावेज या अपने परिवार के दस्तावेज भी नहीं दिखाए। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स