Who Is Ajit Doval: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल (Ajit Doval) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) का बेहद खास माना जाता है। यही वजह है कि जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा को मामला होता तो उस बैठक में अजित डोभाल का काफी अहम किरदार होता है। लेकिन बुधवार को जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) को अंजाम दिया तो एक बार फिर से अजित डोभाल का नाम चर्चा में आ गया।

साल 2014 में मोदी सरकार में सत्ता में आने के बाद यह तीसरी बार है जब अजित डोभाल को NSA यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से एक बार अपने तुरुप के इक्के पर भरोसा जताया है। पीएम मोदी का डोभाल पर भरोसा यूं ही नहीं है। डोभाल ने कई अहम मौके पर अपनी काबिलियत को दर्शाया है। जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा हो या कोई संकट की स्थिति हो तो प्रधानमंत्री मोदी को अपना ‘ब्रह्मास्त्र’ डोभाल ही याद आते हैं। ऐसे में आइए जानते कि NSA अजित डोभाल ने किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिल जीता।

साल 2014 में ईराक के एक अस्पताल में फंसी नर्सों को रिहा कराने में अजित डोभाल की अहम रही। वो इस गुप्त मिशन के लिए जून 2014 में खुद ईराक गए। डोभाल ने वहां सीनियर अधिकारियों से बात की। तब नर्सों की रिहाई हुई।

जम्मू-कश्मीर के उरी में साल 2016 में आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया। इसके बाद पूरा देश गुस्से में था। सरकार पर भी कार्रवाई करने का दबाव था। ऐसे में सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार बालाकोट हवाई हमले भी डोभाल की देखरेख में हुए थे।

16 जून, 2017 को डोकलाम में गतिरोध की शुरुआत हुई थी। उस समय करीब 300 चीनी सैनिक बुलडोजर्स के साथ भारत-चीन सीमा के पास निर्माण कर रहे थे। भारतीय सैनिकों ने डोकलाम में उन्हें सड़क बनाने से रोक दिया था। यहीं से दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हुआ था। भारत की दलील थी कि चीन जिस सड़क का निर्माण करना चाहता है, उससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं। आखिरकार डोभाल ने ही डोकलाम विवाद खत्म करने में अहम भूमिका अदा की थी।

डोभाल ने सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ मिलकर म्यांमार में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ सफल सैन्य अभियान का भी नेतृत्व किया था।

1999 में अजित डोभाल ने कंधार में अपहृत IC-814 से यात्रियों की रिहाई में तीन वार्ताकारों में से एक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के विमानों के कम से कम 15 अपहरणों को सफलतापूर्वक समाप्त किया।

अजित डोभाल ने 1984 में खालिस्तानी उग्रवाद को दबाने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में भी अहम किरदार निभाया।

अजित डोभाल 1990 में कश्मीर गए और कट्टर आतंकवादियों और सैनिकों को आतंकवाद विरोधी बनने के लिए राजी किया, जिससे 1996 में जम्मू और कश्मीर चुनावों का रास्ता साफ हो गया।

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अजित डोभाल ने मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे।

डोभाल ने पाकिस्तान में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सक्रिय आतंकवादी समूहों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने के लिए 7 साल बिताए। 1 साल तक खुफिया एजेंट के रूप में काम करने के बाद अजित डोभाल इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में 6 साल तक काम किया।

बता दें, अजित डोभाल केरल कैडर के सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी और पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं। उनका जन्म 1945 में उत्तराखंड में हुआ। वे भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था, जो सैन्य कर्मियों के लिए एक वीरता पुरस्कार है। अजित डोभाल ने 1968 में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपना पुलिस कैरियर शुरू किया और मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे।

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