Pakistan Army Asim Munir: पहलगाम आतंकी हमला होते ही भारत में सबसे ज्यादा चर्चा पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की हुई। हमले के बाद जनरल मुनीर का एक वीडियो बहुत तेजी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हुआ। वीडियो में मुनीर ने कहा था, “पाकिस्तान अपने कश्मीरी भाइयों को नहीं छोड़ेगा।” आर्मी चीफ ने यह बात 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से ठीक 1 हफ्ते पहले इस्लामाबाद में 15 अप्रैल को कही थी।
इसके बाद यह माना गया कि मुनीर ने आतंकवादियों को भड़काने की कोशिश की है। इस वीडियो में मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” बताया था। इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने किया था।
इसी साल फरवरी में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद में एक कार्यक्रम में मुनीर ने कहा था, “शरीर से गले की नस काट देने का मतलब है जीवन का खत्म हो जाना।” मुनीर ने यह भी कहा था कि दुनिया में केवल दो रियासतें कलमे की नींव पर बनी हैं। पहली रियासत-ए-मदीना और दूसरा पाकिस्तान।
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आइए, अब बात करते हैं कि यह पाकिस्तानी जनरल कितना खतरनाक है। 2015 से 2020 तक भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग में पाकिस्तानी डेस्क को लीड करने वाले रामनाथन कुमार ने जनरल मुनीर को पाकिस्तान का पहला “मुल्ला जनरल” बताया था। जनरल मुनीर जब सऊदी अरब में तैनात थे, तब उनकी उम्र सिर्फ 38 साल थी और तभी उन्होंने पूरी कुरान को याद कर लिया था और बाद में उन्हें हाफिज-ए-कुरान कहा गया।
2022 में जब मुनीर को सेना प्रमुख चुना गया था तो रामनाथन कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “मुनीर उन बदलावों का परिणाम है जो जिया-उल-हक ने पाकिस्तानी फौज में धार्मिकता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए थे।”
मुनीर अपने भाषणों में अक्सर कुरान की आयतों और इस्लामिक शास्त्रों की बात करते हैं।
जनरल मुनीर को लेकर एक बात अहम है कि पाकिस्तान आर्मी के सीनियर पदों पर बैठे कई सैन्य अफसरों के उलट वह किसी सैनिक परिवार से संबंध नहीं रखते। जनरल मुनीर के पिता 1947 में देश के बंटवारे के बाद जालंधर से रावलपिंडी गए थे और एक मुहाजिर थे। उनके पिता एक स्कूल के प्रिंसिपल और स्थानीय मस्जिद के इमाम भी थे।
मुनीर की शुरुआती पढ़ाई रावलपिंडी के एक इस्लामिक मदरसे दार-उल-तजवीद में हुई। इसके बाद 1986 में उन्होंने मंगला के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से ग्रेजुएशन किया और Frontier Force Regiment की 23वीं बटालियन में कमीशन मिला।
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पाकिस्तान में एक और आर्मी चीफ जनरल जियाउल हक के शासन में सेना में इस्लामीकरण काफी बढ़ गया था। अमेरिकी विद्वान स्टीफन कोहेन अपनी किताब The Idea of Pakistan (2004) में लिखते हैं, “जिया के दौर में इस्लामीकरण शराब पर पाबंदी से आगे बढ़ गया… ज्यादा अधिकारी दाढ़ी रखने लगे और कैंट के इलाकों में कुरान और पैगंबर मोहम्मद के उद्धरणों वाले बोर्ड लगाए गए…।”
कई पाकिस्तानी जनरलों के उलट, मुनीर ने कभी भी पश्चिमी देशों में नौकरी नहीं की है और न ही ब्रिटेन या अमेरिका की सैन्य अकादमियों में ट्रेनिंग ली है। मुनीर पर पाकिस्तान आर्मी के पूर्व चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की नजर तब पड़ी, जब मुनीर ब्रिगेडियर के पद पर थे, उस वक्त कमर जावेद बाजवा X Corps के कमांडर थे।
बाजवा के साथ बेहतर रिश्तों की वजह से मुनीर आर्मी चीफ बने। मुनीर 2017 में Director General of Military Intelligence (DGMI) रह चुके हैं। इसी साल सितंबर में उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोट किया गया और इसके बाद अक्टूबर में उन्हें Inter Services Intelligence (ISI) का चीफ बनाया गया।
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फरवरी 2019 में जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, उस दौरान मुनीर ISI चीफ थे। जून, 2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर ही मुनीर को दूसरी जगह ट्रांसफर कर दिया गया था क्योंकि तब मुनीर इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करना चाहते थे।
इमरान खान कई बार मुनीर पर उनके खिलाफ दुश्मनी रखने और उनकी हत्या की साजिश रचने के आरोप लगा चुके हैं। मुनीर के सामने चुनौतियां भी हैं क्योंकि बलूचिस्तान में उग्रवाद बढ़ रहा है और खैबर पख्तूनख्वा में भी कई आतंकी घटनाएं हुई हैं।
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