Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में 33 दिनों में 50 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इतिहास में ये सबसे बड़ा आयोजन रिकॉर्ड किया गया। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में 11 जनवरी को गुरबानी कीर्तन और गतका प्रदर्शन के साथ एक नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। इसमें निर्मल अखाड़े की भी मौजूदगी दर्ज की गई है। निर्मला अखाड़ा तीन सिख-संबंधित अखाड़ों में से एक है। यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम का भाग है।
पंजाब में निर्मल अखाड़ा के अनुयायियों के मुताबिक, कई सिख अनुयायी तीनों अखाड़ों में जाते हैं और संगम पर पवित्र डुबकी लगाते हैं। सिखों से जुड़े अन्य अखाड़े हैं बड़ा उदासीन अखाड़ा और नया उदासीन अखाड़ा। उदासीन का मतलब है बिल्कुल ही तटस्थ। ये अखाड़े गुरु नानक की शिक्षाओं का पालन करते हैं। उदासीन अखाड़े की स्थापना की बात करें तो सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव के बेटे श्री चंद ने की थी। निर्मल अखाड़े के केंद्र पंजाब के अलग-अलग हिस्से और देश के बाकी हिस्सों में है।
यहां के साधु हिंदुओं के धर्मग्रंथों के साथ-साथ गुरु ग्रंथ साहिब का भी सम्मान करते हैं। इन अखाड़ों ने तीन फरवरी को महाकुंभ को अलविदा कह दिया। हालांकि, कुंभ मेला 26 फरवरी तक चलेगा। 29 जनवरी को सिख धर्म की शिक्षा देने वाली संस्था दमदमी टकसाल के चीफ हरनाम सिंह धुम्मा ने महाकुंभ में पवित्र स्नान किया। उन्होंने बताया कि कुछ सिख परंपराएं, खास तौर पर उदासीन और निर्मल अखाड़ों से जुड़ी परंपराएं कुंभ में भाग लेती हैं।
महाकुंभ भगदड़ में गायब हुआ शख्स
धुम्मा को दोनों अखाड़ों और यूपी सरकार ने इनवाइट किया। उन्होंने कहा कि दमदमी टकसाल का बहुत ही खास महत्व है और किसी भी धर्म के लिए कोई भी दुश्मनी नहीं है। सिख यूथ फेडरेशन (Bhindranwale) ने उनके दौरे पर आपत्ति जताई, तो धुम्मा ने यह भी कहा कि सिख गुरु प्रयागराज और काशी गए थे। सिखों के नामधारी संप्रदाय के नवतेज सिंह नामधारी ने कहा, ‘गुरु गोविंद सिंहजी ने सिखों को काशी में अध्ययन के लिए भेजा था और उन्हें निर्मले यानी हाईली एजुकेटिड सिख कहा जाता था। इसलिए निर्मला अखाड़ा उन अनुयायियों का प्रतिनिधित्व करता है।’ इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि नामधारी संप्रदाय ने भी महाकुंभ में एक शिविर लगाया था और नामधारी संप्रदाय के कई भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई है।
पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों से भी कई सारे श्रद्धालु आए और यह सभी 13 अखाड़ो में आए। नामधारी संप्रदाय के ही सूबा अमरीक सिंह ने सिख अखाड़ों के इतिहास को समझने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि सिखों ने 13 जनवरी से 6 फरवरी तक महाकुंभ में लंगर का आयोजन किया। 2013 में एसजीपीसी ने प्रयागराज में कुंभ मेले में एक स्टॉल लगाया था। इसमें हिंदी और पंजाबी में सिख धर्म से संबंधित साहित्य, फोटो प्रदर्शनी और लंगर का इंतजाम किया गया था। उस समय एसजीपीसी के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
निर्मल अखाड़े के हरिद्वार में मौजूद प्रमुख देविंदर शास्त्री ने कहा, ‘निर्मल अखाड़ा गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं से जुड़ा हुआ है। इस अखाड़े को मानने वाले सभी लोग देश भर से महाकुंभ में आए थे। सिखों की संख्या बहुत ज़्यादा थी और हिंदू धर्म के लोग भी इस अखाड़े को मानते हैं। महाकुंभ अभी भी चल रहा है, इसलिए अनुयायी अभी भी पवित्र स्नान कर रहे होंगे। हम 3 फरवरी को वापस आ गए।’ उत्तर प्रदेश को हुआ कितना फायदा? पढ़ें पूरी खबर…