Air India Plane Crash: गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट क्रैश हो गई। इसमें 241 यात्री और क्रू मेंबर्स मारे गए। सबसे पहले इमरजेंसी सर्विस पहुंची और फिर परिवार के लोग एयरपोर्ट पर इकट्ठा हो गए। मीडिया कर्मी भी बाद में अहमदाबाद पहुंचे। लेकिन रविवार को कुछ ऐसा भी हुआ जो आम लोगों को हैरान कर सकता है। इस त्रासदी की जांच में हिस्सा लेने के लिए इंटरनेशनल एविएशन एजेंसियां भी अहमदाबाद पहुंची। भारत पहुंचने वालों में अमेरिका के NTSB के प्रतिनिधि, टॉप ट्रांसपोर्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन एजेंसी, यूएस सिविल एविएशन रेगुलेटर और यूनाइटेड किंगडम सिविल एविएशन अथॉरिटी के अधिकारी शामिल थे। इससे लोगों के मन में यह सवाल तो आता ही है कि विदेशी एजेंसियां भारत की धरती पर इंडियन एयरलाइंस के विमान हादसे की जांच में क्यों शामिल हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका पूरा जवाब 78 साल पहले हुए इंटरनेशनल एग्रीमेंट में छिपा हुआ है। यह हमारे उड़ान भरने के लगभग हर एक पहलू को कंट्रोल करता है। कन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल सिविल एविएशन पर 1944 में साइन किए गए थे। यह उस वक्त किए गए थे जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने की ओर था। इसके निर्माताओं ने समझा कि एविएशन दुनिया को बेहतरीन तरीके से जोड़ेगा।
आज कन्वेंशन के टेक्निकल मानकों की देखरेख मॉन्ट्रियल स्थित संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ICAO की तरफ से की जाती है। भारत, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित सभी 193 सदस्य देशों ने इसके नियमों का पालन करने पर सहमति जताई है। इनमें से सबसे अहम एनेक्स 13 है। यह विमान हादसे और गंभीर घटनाओं की जांच के लिए इंटरनेशनल प्रोटोकॉल तय करता है। एनेक्स 13 का अध्याय पांच बड़ी जिम्मेदारियों को रेखांकित करता है। यह साफ करता है कि इसका लक्ष्य दोष या दायित्व सौंपना नहीं है, बल्कि कारणों का पता लगाकर और भविष्य में दुर्घटनाओं को रोककर एविएशन सेफ्टी में सुधार करना है।
संधू ने रमेश विश्वास की मदद की
अध्याय पांच के मुताबिक, विमान हादसे की जांच करने की जिम्मेदारी उसी देश की होती है जहां पर दुर्घटना हुई थी। इसके अलावा विमान से जुड़े अन्य देशों को भी इसमें भाग लेने का औपचारिक अधिकार है। इनमें स्टेट ऑफ रजिस्ट्री, ‘स्टेट ऑफ ऑपरेटर’, ‘ स्टेट का डिजाइन’ और ‘स्टेट ऑफ मेन्युफैक्चर’ शामिल हैं। AI 171 विमान दुर्घटना भारतीय की जमीन पर हुई थी इसलिए भारत के पास घटना की स्थिति का अधिकार है। इसलिए दुर्घटना की जांच का नेतृत्व AAIB की तरफ से किया जाता है। यह सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के तहत एक सरकारी एजेंसी है। इतना ही नहीं यही गंभीर घटनाओं की जांच के लिए जिम्मेदार है।
‘स्टेट ऑफ ऑपरेटर’, वह भी भारत है। ऐसा इसलिए क्योंकि एअर इंडिया ने विमान का संचालन किया था। ‘स्टेट ऑफ रजिस्ट्री’ भी भारत ही है। एअर इंडिया के बोइंग विमान पर इंडियन रजिस्ट्रेशन मार्किंग के साइन होते हैं। यह राष्ट्रीय नियमों के अनुसार VT से शुरू होते हैं। हालांकि, इस मामले में स्टेट ऑफ डिजाइन और स्टेट ऑफ मेन्युफैक्चर दोनों ही अमेरिका है। विमान का निर्माण बोइंग द्वारा किया गया था और इसमें जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा बनाए गए इंजन हैं। यह दोनों अमेरिकी फर्म हैं। इस तरह एनटीएसबी और एफएए जैसी अमेरिकी एजेंसियां ICAO एनेक्स 13 के तहत जांच में भाग लेने की हकदार हैं।
अब बात ब्रिटेन की करें तो यहां के प्रतिनिधि इस वजह से जांच में शामिल हुए हैं क्योंकि एअर इंडिया की फ्लाइट में 53 ब्रिटिश यात्री सवार थे। इनमें से सभी की मौत हो गई। सभी को हादसे वाली जगह पर जाने, मलबे और सबूतों की जांच करने का पूरा अधिकार है। यह कोई हैरानी भरा नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी जरूरत है। यह इस सिद्धांत को दिखाता है कि हवाई सुरक्षा एक अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है। अहमदाबाद विमान हादसे में बचे एकमात्र यात्री का नया VIDEO आया सामने