भारत और ब्रिटेन के बीच बीते तीन साल से प्रस्तावित एफटीए यानी मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बन गई है। इस समझौते में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं से शुल्क हटाने का प्रावधान है। इससे भारत के वस्त्र उद्योग को काफी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
ब्रिटेन के लिए समझौते के मायने: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शुल्क घोषणाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई अनिश्चितता के बीच हुए इस समझौते को आर्थिक विश्लेषक बहुत अहम मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बहुत बड़ा सौदा है। इस समझौते को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि इसकी बुनियाद 2022 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ने रखी थी। कहा जा रहा है कि इस समझौते से ब्रिटेन का भारत में निर्यात बढ़ेगा और इससे वहां रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
भारत में ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर 150 फीसद टैरिफ था, अब यह आधा हो जाएगा। इन उत्पादों के निर्यातकों को इस समझौते से काफी फायदा होगा, जिसके एक अरब डालर तक पहुंचने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसीलिए ब्रिटेन के व्यापार जगत से इस समझौते को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और इसे एक बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
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ब्रिटेन की मौजूदा दौर में अर्थव्यवस्था संकटों से गुजर रही है। अमेरिकी शुल्क की घोषणाओं से व्यापार युद्ध के खतरे के बीच यूरोप और ब्रिटेन बाकी देशों से व्यापार समझौते की कोशिश में जुटे हुए हैं। कहा जा रहा है कि 2020 में ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन का किसी दूसरे देश के साथ यह सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता है। यह समझौता ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है। यह ब्रिटेन को आर्थिक संकट से उबरने में काफी मददगार साबित हो सकता है।
ग्लोबल इनिशिएटिव रिसर्च के निदेशक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि इस समझौते से द्विपक्षीय व्यापार के और बढ़ने की संभावना है। एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि भारत के लिए इसके क्या मायने हैं, तो उन्होंने कहा, भारत के काफी उत्पाद जैसे कपड़ा, फुटवेयर, कालीन, कार और सी फूड्स ब्रिटेन को निर्यात होते हैं। आज के समय ब्रिटेन में इन उत्पादों पर चार से 16 फीसद तक शुल्क है।
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अजय के मुताबिक, हम आशा करते हैं कि इन उत्पादों पर जब ब्रिटेन में शुल्क कम होगा तो भारत से इनका निर्यात भी बढ़ेगा। हालांकि कुछ भारतीय उत्पादों पर ब्रिटेन में शुल्क नहीं है जैसे पेट्रोलियम व हीरा, लेकिन ब्रिटेन के 90 फीसद उत्पादों पर भारत में शुल्क है। इनमें काफी उत्पादों पर भारत शुल्क शून्य करेगा और इसका लाभ ब्रिटेन के निर्यातकों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते से ब्रिटेन में जाने वाले भारतीय पेशेवर सामाजकि सुरक्षा का लाभा पाने के हकदार हो जाएंगे।
कई आर्थिक विश्लेषक हाल के वर्षाें में ये अनुमान लगाते रहे हैं कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक निर्यात के एक ट्रिलियन डालर तक बढ़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इस मकसद में ब्रिटेन सबसे उच्च प्राथमिकता वाला व्यापारिक साझेदार है। संचार फर्म एसईसी न्यूगेट की एली रेनिसन और एक पूर्व सरकारी व्यापार सलाहकार ने कहा, भारत के आकार, विकास दर और इसके बाजार तक पहुंचने में मौजूदा भारी बाधाओं के कारण यह सौदा संभावित रूप से परिवर्तनकारी है। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।