Yashwant Verma Cash Case: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से आग लगने के बाद कथित तौर पर मिले अधजले नोटों के बंडलों को लेकर विवाद जारी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी का गठन किया था लेकिन इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर NJAC (National Judicial Appointment Committee) पर बहस छेड़ दी है। इस पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया तो केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) की की तरफ से जवाब सामने आया है।

दरअसल, जब केंद्र सरकार से नेशनल ज्‍यूड‍िश‍ियल अप्‍वाइंटमेंट कमीशन (NJAC) को दोबारा लाने के बारे में पूछा गया तो कानून मंत्रालय ने इस पर कुछ भी नहीं कहा है। इसको लेकर बीजेडी सांसद डॉ. सस्मित पात्रा ने सरकार से पूछा था कि क्या वह एनजेएसी बिल को फिर से लाने पर विचार करेगी?

अपने प्रश्न में बीजेडी सांसद ने पूछा अगर मोदी सरकार एनजेएसी को फिर से नहीं लाने वाली है तो क्या सुप्रीम कोर्ट के 2015 के फैसले के अनुरूप कॉलेजियम सिस्टम में सुधार के लिए कोर्ट के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। इसको लेकर केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से जवाब दिया गया है।

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NJAC लाने को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई क्लियर जवाब तक नहीं आया है। इसके विपरीत कानून मंत्रालय ने बल्कि पिछले कुछ वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के साथ मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) को लेकर हुई बातचीत का ब्योरा द‍िया। कानून मंत्रालय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 को अपने फैसले में मौजूदा एमओपी को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया था।

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मंत्रालय के मुताबिक इसके तहत इलि‍ग्‍ज‍िबिल‍िटी क्राइटेर‍िया, ट्रांसपेरेंसी, सेक्रेट्रेट की स्थापना और शिकायतों से निपटने के सिस्‍टम को शामिल करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार ने 22 मार्च 2016 को ड्राफ्ट एमओपी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा था। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 25 मई और 1 जुलाई 2016 को अपनी टिप्पणियां दीं थी।

कुल मिलाकर कहें तो एनजेएसी को लेकर चर्चा तो गर्म है लेकिन इस मुद्दे पर सरकार अभी कुछ भी कहने से बच रही है, जबकि कुछ दिन पहले ही राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक में एनजेएसी का मुद्दा उठाया था।