Supreme Court News: साल 2016 से गोवा में लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में पाकिस्तानी नागरिक ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ अपील की है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के सामने रखा गया।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार की अधिसूचना का हवाला दिया। इसके बाद जस्टिस करोल ने कहा, ‘तो वापस चले जाइये।’ वकील ने पाकिस्तान नागरिक का पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता वापस जाने का विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि वह केवल लॉन्ग टर्म वीजा में एक खास शर्त होती है। इसलिए वह सुनवाई चाहता है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सवाल करते हुए कहा, ‘याचिकाकर्ता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बजाय गोवा हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया तो वकील ने कहा कि पुलिस याचिकाकर्ता से मिलने जाती रही है। इससे इस तरफ इशारा जाता है कि डिपोर्टेशन का प्रोसेस शुरू हो चुका है। वहीं 2 मई को सुने गए एक अलग केस में सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे एक परिवार के छह सदस्यों को डिपोर्ट न करें।

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वह कथित तौर पर अपने वीजा की अवधि से ज्यादा समय तक रह रहे थे, जब तक कि सरकार उनके नागरिकता दावों का वैरिफिकेशन नहीं कर लेती। इससे पता चलता है कि कोर्ट डिपोर्टेशन के मामलों पर फैसला लेने से पहले व्यक्तिगत परिस्थितियों पर विचार करने के लिए तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया है, लेकिन मामले पर सुनवाई करने पर इच्छा जाहिर की है।

सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि मेडिकल वीजा, लॉन्ग टर्म वीजा, डिप्लोमेटिक और ऑफिशियल वीजा को छोड़कर भारत सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी मौजूदा वैलिड वीजा 27 अप्रैल से तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए थे और पाकिस्तानी नागरिकों को जारी मेडिकल वीजा केवल 29 अप्रैल तक ही वैलिड थे। राज्यपाल के किसी बिल को रिजर्व रखने पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी