Boycott Chinese Items: ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पूरे देश में राष्ट्रवाद की एक अलग अलख जग चुकी है, हर कोई भारत को और ज्यादा मजबूत होता हुआ देखना चाहता है। एक बार फिर क्योंकि भारत-पाक तनाव में चीन के रुख ने हर हिंदुस्तानी को निराश किया है, ऐसे में उसके सामान को बायकॉट करने की मांग भी उठ रही है। बिना नाम लिए पीएम मोदी ने भी कहा है कि छोटी आंख वाले गणेश जी बाहर से आ रहे हैं।
अब चीन के सामान का बहिष्कार होना कोई आज की मांग नहीं है। समय-समय पर ऐसा हो चुका है, दिवाली के टाइम झालर को लेकर मुहिम का छिड़ना, पतंग उड़ाते वक्त चाइनीज माल का जिक्र होना, ये सारे वो मौके हैं जब लोग कोशिश करते हैं कि चीनी सामान नहीं खरीदेंगे। लेकिन फिर भी लोगों के मन में सवाल आता है- लंबे समय में कैसे इसे फॉलो करें, आखिर कैसे चीन को सबक सिखाया जाए।
अब इस सवाल का सीधा जवाब है- मेड इन चाइना प्रोडक्ट खरीदना बंद कर दें। जैसे ही चीनी सामान की डिमांग घटेगी, आयात पर उसका असर पड़ेगा। आयात पर असर पड़ेगा तो चीन को बड़ा झटका मिलना तय है। यहां आपको बताते हैं कि चीन से आने वाले कौन से सामान को आप आसानी से छोड़ सकते हैं।
भारत में अभी भी चीन से आने वाले प्लास्टिक खिलौने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। भारत में खिलौनों का जो आयात होता है, उसमें चीन की हिस्सेदारी 75 फ़ीसदी चल रही है। भारत सरकार ने कुछ कदम जरूर उठाएं हैं, उस वजह से विदेशी खिलौने के आयात में 52 फ़ीसदी की कमी भी आई है, लेकिन अभी भी भारतीय बाजार चीन के खिलौनों से पटा हुआ है।
भारत में छोटी आंख वाले गणेश भगवान, लक्ष्मी जी की मूर्तियां भी चीन से आयात हुई हैं। कुछ सालों पहले तक तो इन मूर्तियों की हिस्सेदारी भारतीय बाजार में 70 से 80% तक होती थी, लेकिन कैट ने फिर 2016 और 2020 में एक मुहिम चलाई, उस वजह से चीनी मूर्तियों की हिस्सेदारी अब घटकर 10% रह गई है।
दिवाली के समय घर में लगने वालीं सजावटी झालरों से भी चीन को सीधा फायदा होता है। काफी कोशिशों के बाद भी लोग सस्ते दामों की वजह से हर दिवाली चीनी झालर अपने घर पर लगा लेते हैं। चीनी लाइटों को कैट ने उस सूची में शामिल कर रखा है जिसका बहिष्कार किया जाना है।
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मोबाइल फोन के मार्केट में भी चीन की हिस्सेदारी काफी ज्यादा चल रही है। 70 फ़ीसदी हिस्सेदारी चीनी मोबाइल फोनों की है, कई मौकों पर बायकॉट अभियान तो चलाया गया है, लेकिन सस्ते दाम और ज्यादा फीचर की वजह से लोग अभी भी इन प्रोडक्ट की तरफ आकर्षित हो जाते हैं।
खेल के कई सामान भी इस समय चीन से आयात हो रहे हैं। बात चाहे बैडमिंटन रैकेट की हो या फिर फुटबॉल की, 75 फ़ीसदी खेल सामान चीन से आ रहे हैं। अब यहां पर समझने वाली बात यह है जो भी सामान चीन से आ रहा होगा, उस पर ‘मेड इन चीन’ जरूर लिखा होगा, ऐसे में जिस पर मेड इन इंडिया लिखा हो, उसी समान को लेने की कोशिश करें।
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