गुजरात में आम आदमी पार्टी अभी हालिया विधानसभा उपचुनाव में एक सीट पर मिली जीत के जश्न में व्यस्त ही थी कि उसे एक अन्य विधायक ने जोरदार झटका दिया है। गुजरात के बोटाद से विधायक उमेश मकवाना ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उनके इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
विधायक उमेश मकवाना ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैंने 20 साल तक बीजेपी में अलग-अलग पदों पर काम किया है। जिस समय गुजरात में आप को कोई पहचानता भी नहीं था, उस समय मैंने सत्तारूढ़ बीजेपी को छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन की थी। आज आप में मुझे लगता है कि हम डॉ. बीआर अंबेडकर के सिद्धांतों से भटक रहे हैं; यही कारण है कि मैंने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। मैं पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम करना जारी रखूंगा। मैं बोटाद के लोगों के बीच जाऊंगा। मैं कुछ लोगों से मिलकर अलग पार्टी बनाने या न बनाने पर चर्चा करूंगा…”
उमेश मकवाना के पार्टी में सभी पदों से इस्तीफे के बाद गुजरात में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने X पर एक पोस्ट के जरिए कहा कि पार्टी विरोधी और गुजरात विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उमेश मकवाना को पार्टी से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया है।
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गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2022 में हुए चुनाव में मकवाना समेत AAP के पांच विधायकों ने जीत दर्ज की थी। मकवाना ने पार्टी छोड़ने की यह घोषणा तब की है जब महज़ तीन दिन पहले ही AAP नेता गोपाल इटालिया ने जूनागढ़ जिले की विसावदर सीट पर उपचुनाव जीता है।
गांधीनगर में मीडिया से बातचीत में उमेश मकवाना ने आरोप लगाया कि सभी पार्टियां, चाहे वह भाजपा हो, कांग्रेस हो या ‘आप’ हो, पिछड़े वर्गों को हमेशा नज़रअंदाज़ करती हैं, खासकर जब बात प्रमुख पदों जैसे मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष देने की होती है। उन्होंने दावा किया, “कोली समेत ओबीसी की आबादी गुजरात में सबसे ज्यादा है। लेकिन, करीब 30 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी ने कभी किसी ओबीसी को गुजरात का मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष नहीं बनाया। कांग्रेस भी कोली और अन्य पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाने में विफल रही।”
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