Guru Asta 2025: वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को ज्ञान, वैवाहिक जीवन, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक माना जाता है। साथ ही गुरु ग्रह धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं। वहीं ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विवाह मुहूर्त में गुरु (बृहस्पति) की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है और गुरु का अस्त होना अशुभ माना जाता है। साथ ही इस दौरान विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, देव प्रतिष्ठा जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। वैदिक पचांग के अनुसार 11 जून को गुरु देव गुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में अस्त होंगे। इसके बाद 7 जुलाई को पूर्व दिशा में उदित होंगे। साथ ही 6 जुलाई से चातुर्मास आरंभ हो जाएगा और जुलाई से चार महीना तक चातुर्मास रहेगा। इसमें मांगलिक कार्य करने की मनाही रहेगी। वहीं 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद 21 नवंबर से विवाह आरंभ होंगे। साथ ही अन्य धार्मिक कार्यक्रम शुरू होंगे।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार विवाह संस्कार के समय गुरु बृहस्पति का उदय होना आवश्यक माना जाता है। क्योंकि विवाह का दिन व लग्न निश्चित करते समय वर और वधु की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। जिसे त्रिबल शुद्धि कहा जाता है। वहीं आपको बता दें कि ग्रहों के राजा सूर्य माने गए हैं। वहीं मंत्री गुरु ग्रह हैं और गुरु बृहस्पति के साक्षी होने पर ही विवाह व मांगलिक कार्य होते हैं।
गुरु बृहस्पति के अस्त होने का प्रभाव बाजार पर भी देखन को मिलेगा। आपको बता दें कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। साथ ही इन दिनों शेयर में बहुत ही ज्यादा संभलकर निवेश करने की जरूरत है। क्योंकि गुरु अस्त होने कुछ शेयर आसमान छुएंगे तो कुछ शेयर एकदम धड़ाम हो सकते हैं।
गुरु बृहस्पति के अस्त होने से कर्क, मीन और धनु राशि वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इन लोगों नए निवेश से बचना चाहिए। साथ ही कोई नया व्यापार शुरू करने से बचना चाहिए। वहीं इस समय आपको गुप्त शत्रु परेशान कर सकते हैं। वहीं वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों को गुरु का अस्त होना शुभ साबित हो सकता है। इन लोगों को करियर और कारोबार में तरक्की मिल सकती है। साथ ही आय के नए स्त्रोत बन सकते हैं। वहीं दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। साथ ही अन्य राशियों के लिए गुरु ग्रह का अस्त होना सामान्य रहेगा।
1- माथे पर रोज केसर का तिलक लगाएं।
2- गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करें और पीले पुष्प, पील चंदन, पीली मिठाई और केले के फल अर्पित करें।
3- गुरुवार के दिन अपने घर के आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा के कोने में घी का एक दीपक जलाएं।
4- गुरुवार के दिन पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें।
5- गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में केसर और चने की दाल का दान करें।