Horoscope Today 17 June 2025: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के साथ मंगलवार का दिन है। पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि दोपहर 2 बजकर 46 मिनट तक रहने वाली है। इसके बाद सप्तमी तिथि आरंभ हो जाएगी। इसके साथ ही आज विष्कुंभ के साथ प्रीति योग बन रहा है। इसके साथ ही आज राज पंचक का दूसरा दिन है। बता दें कि पंचक 16 से शुरू कर 20 जून तक चलेंगे। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की बात करें, तो कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जिससे कई राशि के जातकों की आज किस्मत चमक सकती है। बता दें कि चंद्रमा कुंभ राशि में विराजमान है, जिससे राहु के साथ युति करके ग्रहण योग बना रहा है। इसके साथ ही मंगल की सातवीं दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही है, जिससे समसप्तक योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही मंगल मेष राशि में मौजूद शुक्र के साथ नवपंचम राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा शुक्र मंगल के साथ धनशक्ति राजयोग भी बना रहे हैं। इसके अलावा सूर्य मिथुन राशि में गुरु और बुध के साथ युत् करके त्रिग्रही, बुधादित्य और गुरु आदित्य योग का निर्माण कर रहे हैं, जिससे कई राशियों को लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं आज का पंचांग, राहुकाल, आज का राशिफल सहित अन्य जानकारी..
28 जून को न्यायाधीश शनि बनाने वाले है अद्भुत राजयोग, इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम, नई नौकरी के साथ धन लाभ के योग
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय
सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय देवदानवर्षिमुनिवरदाय रामदूताय स्वाहा।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय भक्तजनमनः कल्पनाकल्पद्रुमायं
दुष्टमनोरथस्तंभनाय प्रभंजनप्राणप्रियाय महाबलपराक्रमाय
महाविपत्तिनिवारणाय पुत्रपौत्रधनधान्यादिविधिसम्पत्प्रदाय रामदूताय स्वाहा।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय वज्रदेहाय वज्रनखाय वज्रमुखाय
वज्ररोम्णे वज्रदन्ताय वज्रकराय वज्रभक्ताय रामदूताय स्वाहा।
ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय परयन्त्रतन्त्रत्राटकनाशकाय
सर्वज्वरच्छेदकाय सर्वव्याधिनिकृन्तकाय सर्वभयप्रशमनाय
सर्वदुष्टमुखस्तंभनाय सर्वकार्यसिद्धिप्रदाय रामदूताय स्वाहा।
1. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
2. ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः
3. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय
प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।
4. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय
रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति
भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
हनुमान जी की आरती कैसे करनी चाहिए, क्या लाभ है? जानें हनुमान आरती संबंधित हर एक जानकारी
आज के पञ्चक रहित मुहूर्त
चोर पञ्चक – 05:23 से 07:33
शुभ मुहूर्त – 07:33 से 09:54
रोग पञ्चक – 09:54 से 12:11
शुभ मुहूर्त – 12:11 से 14:27
मृत्यु पञ्चक – 14:27 से 14:46
अग्नि पञ्चक – 14:46 से 16:47
शुभ मुहूर्त – 16:47 से 19:05
रज पञ्चक – 19:05 से 21:09
शुभ मुहूर्त – 21:09 से 22:52
चोर पञ्चक – 22:52 से 00:19, जून 18
शुभ मुहूर्त – 00:19, जून 18 से 01:01, जून 18
रोग पञ्चक – 01:01, जून 18 से 01:44, जून 18
राहुकाल- 15:52 से 17:36
यमगण्ड- 08:53 से 10:37
आडल योग- 05:23 से 18 जून को तड़के 01:01
दुर्मुहूर्त – सुबह 08:11 से 09:07, रात 23:22 से देर रात 00:02
गुलिक काल- 12:22 से 14:07
भद्रा- 14:46 से देर रात 02:13
बाण मृत्यु – 09:09 तक
अभिजित मुहूर्त- 11:54 से 12:50
विजय मुहूर्त- 14:42 से 15:38
गोधूलि मुहूर्त – 19:20 से 19:40
सायाह्न सन्ध्या- 19:21 से 20:21
अमृत काल- 17:53 से 19:28
निशिता मुहूर्त- 00:02, जून 18 से 00:42, जून 18
त्रिपुष्कर योग- 01:01, जून 18 से 05:23, जून 18
रवि योग- 05:23 से 01:01, जून 18