Shivling Par Jal chadhane ke Niyam: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। खासतौर पर श्रावण माह को शिवभक्तों के लिए सबसे पावन समय माना जाता है। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने और सोमवार व्रत रखने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन बहुत से लोग बिना सही जानकारी के पूजा करते हैं, जिससे उन्हें उसका पूरा फल नहीं मिल पाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है और किन चीजों को शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना गया है।
भगवान शिव को जल अर्पित करना बहुत ही पवित्र कर्म माना जाता है, लेकिन इसके कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि जल की धार कभी भी रुकनी नहीं चाहिए। यानि कि जल हमेशा एक सीधी और पतली धार में शिवलिंग पर गिरता रहना चाहिए। अगर धार बीच में टूट जाती है तो फिर जल नहीं चढ़ानी चाहिए, क्योंकि रुक-रुक कर चढ़ाया गया जल भगवान शिव को स्वीकार नहीं होता।
इसके अलावा जल चढ़ाने के लिए गंगाजल, साफ पानी या गाय का दूध इस्तेमाल करना श्रेष्ठ माना गया है। जल चढ़ाते समय हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए। जल हमेशा झुककर या बैठकर ही चढ़ाना शुभ माना जाता है। जल चढ़ाने की पूरी विधि श्रद्धा और नियम से करनी चाहिए तभी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
सिर्फ जल ही नहीं बल्कि कुछ विशेष चीजें भी भगवान शिव को प्रिय हैं। शिवलिंग पर बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। इसके अलावा धतूरा, आक के फूल और शमी के पत्ते भी शिवलिंग पर अर्पित करना शुभ होता है। यह सभी वस्तुएं भगवान शिव को प्रसन्न करने वाली मानी जाती हैं। कहते हैं कि इन चीजों को अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन से दोष और बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
जिस तरह कुछ चीजें शिवलिंग पर चढ़ाना शुभ माना जाता है, उसी तरह कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करना वर्जित बताया गया है। शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते गलती से भी नहीं चढ़ाने चाहिए, क्योंकि तुलसी का संबंध भगवान विष्णु से होता है, जबकि शिवलिंग पर तुलसी अर्पण वर्जित है। इसी तरह सिंदूर भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। नारियल जल, शंख और केतकी के फूल भी शिव पूजा में वर्जित माने गए हैं। मान्यता है कि केतकी के फूल को भगवान शिव ने शापित किया था, इसलिए इसे कभी भी शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए।
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