Shrimad Bhagwat Gita: हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता को सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली गाइड कहा गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने वो बातें बताई हैं, जो इंसान को सफलता की ओर ले जाती हैं और जीवन में शांति का रास्ता दिखाती हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने तीन ऐसी बड़ी गलतियों का ज़िक्र किया है, जो इंसान के जीवन को बर्बादी की ओर ले जाती हैं। वे कहते हैं कि ये चीजें व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करती हैं और उन्हें नरक के रास्ते पर ले जाती है। अगर कोई व्यक्ति इनसे छुटकारा पा ले, तो जीवन में तरक्की और मोक्ष दोनों ही मिल सकते हैं।

भगवद्गीता के अध्याय 16 के श्लोक 21 में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-

“त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन:। काम: क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।”

इसका अर्थ है कि नरक के तीन दरवाजे हैं- वासना (काम), क्रोध और लोभ। ये तीनों इंसान के आत्म-विनाश के रास्ते खोल देते हैं। भगवान कृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति इन तीन दोषों को त्याग देता है, वही जीवन में आगे बढ़ पाता है।

वासना यानी किसी चीज को पाने की तीव्र इच्छा, चाहे वह धन हो, पद हो या भौतिक सुख। अगर यह पूरी नहीं होती तो व्यक्ति के मन में असंतोष पैदा होता है। जब इच्छाएं पूरी नहीं होतीं तो व्यक्ति गुस्से में आ जाता है या फिर किसी भी हद तक जाकर उसे पूरा करने की कोशिश करता है। इस प्रक्रिया में इंसान दूसरों का नुकसान करने लगता है और धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास खत्म होने लगता है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि इस लालसा को त्यागना जरूरी है ताकि इंसान सच्चे सुख की ओर बढ़ सके।

क्रोध वो आग है, जो सबसे पहले इंसान को अंदर से जलाना शुरू करती है। गुस्से में व्यक्ति का विवेक खत्म हो जाता है। सही और गलत का फर्क समझ नहीं आता। यही वजह है कि गुस्से में इंसान कई बार ऐसे शब्द या काम कर देता है, जिन पर बाद में पछताना पड़ता है। गीता कहती है कि क्रोध न केवल आपके रिश्तों को खराब करता है, बल्कि आपकी आत्मा की शांति भी छीन लेता है। क्रोध में इंसान अपने ही हाथों अपना नुकसान कर बैठता है।

लालच इंसान को कभी तृप्त नहीं होने देता। चाहे कितना भी पैसा या सुख मिल जाए, लालची व्यक्ति को और चाहिए। इसी चाहत में कई लोग नैतिकता की सीमा लांघ जाते हैं। कई बार वे पैसे के लिए धोखा, झूठ या अन्य बुरे काम करने लगते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि लालच अंत में इंसान को पतन की ओर ही ले जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति काम, क्रोध और लोभ को त्याग देता है, वही जीवन में शांति और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। इन बुराइयों से मुक्त होकर व्यक्ति सच्चे सुख, संतोष और आत्मिक विकास की ओर बढ़ता है। गीता की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी हजारों साल पहले थीं। अगर हम इन बातों को अपने जीवन में अपनाएं, तो न सिर्फ हमारा मन शांत रहेगा, बल्कि समाज में भी सुख-शांति बनी रहेगी।

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