Shukra Mahadasha: ज्योतिष शास्त्र में लगभग नवग्रहों से संबंधित 120 साल की महादशाओं का वर्णन किया गया है। मतलब ये दशाएं हर व्यक्ति के ऊपर चलती हैं। जिसमें सूर्य (6 वर्ष), चंद्रमा (10 वर्ष), मंगल (7 वर्ष), बुध (17 वर्ष), गुरु (16 वर्ष), शुक्र (20 वर्ष), शनि (19 वर्ष), राहू (18 वर्ष) और केतु (7 वर्ष) हैं। वहीं यहां हम बात करने जा रहे हैं धन और वैभव के दाता शुक्र ग्रही महादशा के बारे में जिसका प्रभाव 20 साल तक मनुष्य के ऊपर रहता है। आपको बता दें कि शुक्र ग्रह भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना के कारक माना जाता हैं। साथ ही शुक्र ग्रह तुला और वृष राशि के स्वामी होते हैं। शनि और मंगल ग्रह के साथ इनकी मित्रता है।

वहीं अगर व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह नकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में परेशानियां का सामना करना पड़ता हैं। साथ ही छोटी- छोटी बातों पर पती-पत्नि के बीच झगड़े होते हैं। वहीं व्यक्ति के अंदर कामुकता खत्म हो जाती है।  वहीं व्यक्ति को भौतिक सुख प्राप्त नही होताे हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है आइए जानते हैं शुक्र की महादशा का जीवन में प्रभाव और उपाय…

नकारात्मक होने पर दांपत्य जीवन में आती हैं समस्याएं

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जीवन में हर व्यक्ति को शुक्र ग्रह की महादशा से गुजरना पड़ता है। वहीं शुक्र अपनी महादशा में कैसा प्रभाव रहेगा। ये इस बात पर निर्भर करता है कि शुक्र देव व्यक्ति की कुंडली में किस पॉजिशन में विराजमान हैं। अगर शुक्र ग्रह कुंडली में अशुभ (नीच) के स्थित हैं तो व्यक्ति को शुक्र ग्रह की दशा में  शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति का जीवन नीरस हो जाता है। वहीं शुक्र ग्रह के कमजोर होने से व्यक्ति को सुख- सुविधाओंं का अभाव रहता है। वहीं वीक शुक्र ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति की कामुक शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है। वहीं गुप्त रोग हो सकते हैं। साथ ही किडनी से संबंधित रोग होने के चांस रहते हैं। साथ ही व्यक्ति को आंखों से सबंधित डिसीज होते हैं, तो वहीं स्त्रियों के लिए शुक्र ग्रह गर्भपात करा सकता है।

वैदिक ज्योतिष मुताबिक जन्मकुंडली में अगर शुक्र ग्रह उच्च यानी शुभ विराजमान हो तो व्यक्ति का जीनव विलासता से पूर्ण रहता है। साथ ही वह राजाओं जैसा जीवन जीता है। वहीं व्यक्ति को धन और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। साथ ही व्यक्ति का दांपत्य जीवन शानदार रहता है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम बन रहता है। व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति खर्चीला होता है। साथ ही वह जीवन में सभी सुखों को भोगता है। उसके जीवनसाथी के साथ संबंध अच्छे रहते हैं। व्यक्ति वर्तमान में जीता है। साथ ही पैसे खर्च करने में आगे रहता है। वहीं घूमने- फिरने का शौकीन होता है। साथ ही लग्जरी आयटमों को खरीदने वाला होता है। वहीं ऐसे लोगों के कई प्रेम संबंध होते हैं। 

शुक्र ग्रह का निगेटिव असर को दूर करे के लिए, बड़ी इलाइची को पानी में डालकर उबालकर इस जल से स्‍नान करें। ऐसा करने से जन्मकुंडली में स्थित शुक्र दोष से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही जीवन में धन- समृद्धि की वृद्धि होती है।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह निगेटिव विराजमान हो तो शुक्र ग्रह के  मंत्र ” शुं शुक्राय नम: या शुं शुक्राय नम:” का रोज कम से कम 108 बार जाप करें। ऐसा करने से आपको शुक्र ग्रह की विशेष कृपा बनी रहेगी। साथ ही धन में वृद्धि के योग बनेंगे।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र दोष से मुक्ति पाने के लिए हर शुक्रवार को व्रत रखें। साथ ही खीर बनाकर छोटी कन्या को वितरित करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही जीवन में संपन्नता बनी रहती है। वहीं शुक्र ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

अगर आपकी जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह पीडि़त हो तो आप शुक्रवार को किसी मंदिर में पूजा के लिए गाय के घी का दान करें। ऐसा करने से शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है। साथ ही आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।

अगर आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ फल प्रदान कर रहा हो तो आप किसी ब्राह्राण या जरूरतमंद को शुक्रवार के दिन दूध, दही, घी, कपूर, सफेद फूल और सफेद मोती का दान करें। ऐसा करने से शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है।

अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में शुक्र दोष है, तो उसे 6 मुखी या फिर 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ फलदायी सिद्ध हो सकता है। इसे धारण करते समय ॐ ह्रीं नमः, ॐ रं मं यं ॐ मंत्र का जाप करते रहें। ऐसा करने से कुंडली में शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आएगी।

वैदिक ज्योतिष अनुसार शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए हीरा पहनना लाभप्रद हो सकता है। अगर आप हीरा नहीं धारण कर सकते हैं, तो इसके उपरत्न फिरोजा, कुरंगी या फिर जरकन पहन सकते हैं। ऐसा करने से शुक्र ग्रह का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का संबंध मां लक्ष्मी से माना जाता है। इसलिए कुंडली में शुक्र दोष के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के साथ मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्री सूक्तम स्तोत्र का पाठ करें।