Yogini Ekadashi 2025 Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी का जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। पद्म पुराण में योगिनी एकादशी को खास एकादशी में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्त होती है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून को रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ इस व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आइए जानते हैं योगिनी एकादशी की संपूर्ण व्रत कथा…
Yogini Ekadashi 2025: शुभ योग में योगिनी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, पारण का समय और श्री विष्णु आरती
युधिष्ठिर ने पूछा वासुदेव ! आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की जो एकादशी है उसका नाम क्या है? कृपया इसका वर्णन कीजिए। भगवान् श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से बोलते हैं, हे नृपश्रेष्ठ! आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। तीनों लोकों में यह सारभूत व्रत है।
अलकापुरी में राजाधिराज कुबेर रहते हैं। वे सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहने वाले हैं। उनके हेममाली नाम वाला एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था।
भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त का भक्त था और प्रतिदिन महादेव की पूजा किया करते थे। हेममाली नाम का एक यक्ष उनका सेवक था और वह प्रतिदिन उनके लिए फूल लेकर आता था। हेममाली की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। वह यक्ष कामासक्त होकर अपनी पत्नी से हास्य-विनोद और रमण करने लगा जिसके कारण वह कुबेर के भवन में न जा सका। इधर कुबेर मंदिर में बैठकर शिवजी का पूजन कर रहे थे। उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया।
सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया। हेममाली राजा के भय से कांपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिव जी महाराज का अनादर किया है, इसलिए मैं तुझे शाप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’
कुबेर के शाप से हेममाली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा। तदनन्तर इधर-उधर घूमता हुआ वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरु गिरि के शिखर पर गया। एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले कि तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई।
हेममाली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे।
हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।
जून माह के तीसरे सप्ताह सूर्य राशि परिवर्तन करके मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जिससे बुधादित्य और गुरु आदित्य योग का निर्माण करेंगे। इसके अलावा अन्य ग्रहों की बात करें, तो मंगल-केतु सिंह राशि, शनि मीन, राहु कुंभ, शुक्र मेष राशि में विराजमान होंगे। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलने वाला है। टैरो गुरु मधु कोटिया के अनुसार, टैरो के मुताबिक ये सप्ताह कुछ राशियों का खास हो सकता है। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
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