Yogini Ekadashi Vrat Niyam: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत पापों का नाश करने वाला और पुण्य देने वाला माना गया है। लेकिन इसका पूरा लाभ तभी मिलता है जब हम इसके नियमों का पालन करें। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इस दिन किन चीजों का सेवन करना चाहिए और किनसे बचना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत के नियम।
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी पर कुछ विशेष चीजों का सेवन वर्जित माना गया है। ऐसा करने से व्रत का पुण्य फल नहीं मिलता और अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इस दिन उड़द की दाल, मसूर की दाल, चने, गाजर, गोभी, पालक का साग, शलजम आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
योगिनी एकादशी के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है। ऐसे में व्रत रखने वाले केवल फलाहार कर सकते हैं। योगिनी एकादशी व्रत के दिन सभी प्रकार के फल जैसे- केला, संतरा, अंगूर, अनार, पपीता आदि खा सकते हैं। इसके अलावा साबूदाना, मखाना, सिंघाड़े का आटा आदि से बनी चीजें भी खा सकते हैं। आप इस दिन पानी या नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को सबसे पुण्यदायी व्रतों में गिना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है। साथ ही, व्रती पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है।
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