आईपीएल 2025 का रोमांच खत्म हो चुका है और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) ने आखिरकार खिताब पर कब्जा जमाकर अपने फैंस का लंबा इंतजार खत्म किया। टूर्नामेंट के सितारों ने जमकर सुर्खियां बटोरीं, जहां वैभव सूर्यवंशी ने सुपर स्ट्राइकर का खिताब जीता, सूर्यकुमार यादव मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर बने, और साई सुदर्शन ने ऑरेंज कैप अपने नाम की। लेकिन इस चकाचौंध भरे मंच पर कुछ बड़े नाम ऐसे भी रहे, जो अपनी चमक बिखेरने में नाकाम रहे। इन खिलाड़ियों के बड़े नामों के बावजूद, उनके प्रदर्शन ने फ्रेंचाइजी और फैंस को निराश किया। अब सवाल यह है कि क्या ये सितारे अगले सीजन में अपनी टीमों से दोबारा मौका पाएंगे, या फिर कोई नई फ्रेंचाइजी उन पर दांव लगाएगी? आइए, एक नजर डालते हैं उन खिलाड़ियों पर, जिन्होंने इस सीजन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे।
वेंकटेश अय्यर, जिन्हें कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) ने एक ऑलराउंडर के रूप में भरोसा जताया था, इस सीजन अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके। 11 मैचों में सिर्फ 7 पारियों में बल्लेबाजी का मौका मिला, जिसमें उन्होंने 142 रन बनाए। उनका बेस्ट स्कोर 60 रन रहा और 139 का स्ट्राइक रेट टी20 क्रिकेट के हिसाब से औसत ही कहा जाएगा। वेंकटेश की आक्रामक बल्लेबाजी और फिनिशर की भूमिका इस बार गायब रही। केकेआर, जो हमेशा से ही वेंकटेश को एक बड़े मैच-विनर के रूप में देखती थी, अब उनके भविष्य पर विचार कर सकती है। क्या अगले सीजन में केकेआर उन्हें रिटेन करेगी, या कोई नई फ्रेंचाइजी उनकी प्रतिभा पर भरोसा जताएगी? यह बड़ा सवाल है।
रिंकू सिंह, जिन्हें पिछले कुछ सीजन में ‘फिनिशर’ के तौर पर जाना गया, इस बार अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे। 13 मैचों में 11 पारियों में उन्होंने 206 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर सिर्फ 38 रन रहा। 153 का स्ट्राइक रेट भले ही ठीक-ठाक हो, लेकिन रिंकू से जिस तरह के धमाकेदार प्रदर्शन की उम्मीद थी, वह नजर नहीं आया। खासकर उन मौकों पर जहां केकेआर को आखिरी ओवरों में रिंकू की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की जरूरत थी, वह फीके पड़ गए। रिंकू की प्रतिभा पर कोई शक नहीं, लेकिन क्या उनकी यह फॉर्म उनकी फ्रेंचाइजी के भरोसे को डगमगा देगी? या फिर कोई नई टीम उनके पुराने फॉर्म को वापस लाने की कोशिश करेगी?
दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेल रहे अनुभवी फॉफ डु प्लेसिस का बल्ला इस सीजन खामोश रहा। 9 मैचों में 9 पारियों में उन्होंने 202 रन बनाए, जिसमें उनका बेस्ट स्कोर 62 रन रहा। 123 का स्ट्राइक रेट टी20 क्रिकेट के हिसाब से काफी कम है, खासकर तब जब फॉफ जैसे अनुभवी खिलाड़ी से पावर-हिटिंग की उम्मीद की जाती है।
दिल्ली की बल्लेबाजी लाइनअप में फॉफ का अनुभव अहम था, लेकिन उनके रन बनाने की गति और कंसिस्टेंसी की कमी ने टीम को मुश्किल में डाला।
महेंद्र सिंह धोनी जिनका नाम ही स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट पैदा करता है, इस बार अपनी चमक नहीं दिखा सके। चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के लिए 14 मैचों में 13 पारियों में धोनी ने 196 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 30 रन रहा। 135 का स्ट्राइक रेट उनके फिनिशर के रोल के लिए पर्याप्त नहीं था। धोनी का अनुभव और उनकी विकेटकीपिंग अब भी बेमिसाल है, लेकिन बल्ले से उनका योगदान इस बार सीमित रहा। फैंस को उम्मीद थी कि माही अपने पुराने अंदाज में छक्कों की बरसात करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सवाल यह है कि क्या धोनी का आईपीएल करियर अब अंत की ओर है?
विजेता टीम आरसीबी के लिए लियाम लिविंगस्टन का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। 10 मैचों में 8 पारियों में उन्होंने सिर्फ 112 रन बनाए, जिसमें उनका बेस्ट स्कोर 54 रन रहा। 133 का स्ट्राइक रेट उनके जैसे पावर-हिटर के लिए औसत ही रहा। लिविंगस्टन से न केवल बल्लेबाजी, बल्कि उनकी ऑफ-स्पिन गेंदबाजी में भी योगदान की उम्मीद थी, लेकिन वह दोनों ही मोर्चों पर नाकाम रहे। आरसीबी की जीत में उनका योगदान न के बराबर रहा।
आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में एक खराब सीजन किसी खिलाड़ी के करियर का अंत नहीं होता, लेकिन यह निश्चित रूप से फ्रेंचाइजियों को सोचने पर मजबूर करता है। वेंकटेश, रिंकू, फॉफ, धोनी और लिविंगस्टन जैसे खिलाड़ियों का अनुभव और प्रतिभा बेशकीमती है, लेकिन टी20 क्रिकेट में कंसिस्टेंसी और फॉर्म सबसे अहम है। क्या ये खिलाड़ी अगले सीजन में वापसी करेंगे? क्या उनकी पुरानी फ्रेंचाइजी उन पर भरोसा बनाए रखेगी, या नई टीमें इन सितारों को मौका देंगी?