2025 में एक पेशेवर क्रिकेटर की जिंदगी कितनी तेज और रोमांचक हो सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण है जिम्बाब्वे के दिग्गज ऑलराउंडर सिकंदर रजा की कहानी। रविवार को बर्मिंघम से लाहौर तक की उनकी 24 घंटे की यात्रा, जिसमें उन्होंने जिम्बाब्वे के एकमात्र टेस्ट मैच में हिस्सा लिया और फिर पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) फाइनल में लाहौर कलंदर्स के लिए विजयी रन बनाए, ने क्रिकेट प्रशंसकों को हैरान कर दिया। यह कहानी न केवल उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि एक क्रिकेटर का जीवन कितना चुनौतीपूर्ण और प्रेरणादायक हो सकता है।

नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज में बेन स्टोक्स की अगुवाई वाली इंग्लैंड टीम के खिलाफ जिम्बाब्वे की दूसरी पारी में रजा ने 60 रन बनाए, लेकिन उनकी टीम को पारी और 45 रनों से हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद रजा का अगला लक्ष्य था जल्द से जल्द यूके से लाहौर पहुंचना, ताकि वह अपनी पीएसएल टीम लाहौर कलंदर्स के लिए फाइनल में खेल सकें।

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रजा पहले भी इंग्लैंड से लाहौर आ चुके थे, ताकि उनकी टीम को प्लेऑफ में जगह बनाने में मदद मिल सके। इस बार, उनकी यात्रा और भी चुनौतीपूर्ण थी। उन्होंने बर्मिंघम से दुबई के लिए एक इकोनॉमी फ्लाइट ली, जहां उन्हें छह घंटे का लंबा लेओवर झेलना पड़ा। इसके बाद अबू धाबी से लाहौर के लिए उड़ान भरी। जब वह लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम की ओर बढ़ रहे थे, तब उनके कप्तान शाहीन अफरीदी ने टॉस के दौरान उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल करने की घोषणा कर दी थी।

मैच के बाद रजा ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, “मैं यहां एक काम करने आया था। अगर हम यह मैच हार जाते, तो कम से कम मेरे दिल को सुकून होता कि मैं अपने भाइयों के साथ था। मुझे पता है कि टीम मुझे यहां चाहती थी, और पिछले 24-36 घंटों में मालिकों और कप्तान ने मुझे यहां लाने के लिए जो प्रयास किए, वे अविश्वसनीय हैं।”

उन्होंने अपनी थकाऊ यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, “परसों मैंने टेस्ट में 25 ओवर गेंदबाजी की, कल 20 ओवर बल्लेबाजी की। बर्मिंघम में डिनर किया, दुबई में नाश्ता, अबू धाबी में लंच के लिए ड्राइव किया और फिर पाकिस्तान में डिनर। यही एक पेशेवर क्रिकेटर की जिंदगी है, और मैं वाकई में इसे जीने के लिए खुद को धन्य और गौरवान्वित महसूस करता हूं।”

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लाहौर कलंदर्स का सामना क्वेटा ग्लैडिएटर्स के खिलाफ पीएसएल फाइनल में था, जहां उन्हें 202 रनों का पीछा करना था। रजा ने पहले गेंदबाजी में रिली रोसouw का अहम विकेट लिया और फिर बल्लेबाजी में तूफान मचा दिया। जब वह बल्लेबाजी के लिए उतरे, तो कलंदर्स की स्थिति नाजुक थी। लेकिन 39 वर्षीय रजा ने केवल सात गेंदों में 22 रन ठोक दिए, जिसमें दो चौके और दो छक्के शामिल थे। उनकी इस धुआंधार पारी ने लाहौर को आखिरी गेंद पर जीत दिला दी।

रजा ने अपनी बल्लेबाजी के बारे में कहा, “मैंने भावनाओं को किनारे रखने की कोशिश की। टेस्ट मैच और यात्रा की थकान ने मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया था। मैं बस यही सोच रहा था कि गेंद को देखो और उसे हिट करो। मैंने न तो कुछ अनुमान लगाया और न ही सोचा कि गेंद कहां आएगी। मैंने सिर्फ गेंद को देखा और अपना सर्वश्रेष्ठ शॉट खेला।”