साउथ अफ्रीका ने शनिवार (14 जून) को ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल 2025 (WTC Final 2025) का खिताब अपने नाम किया। इसके साथ टेम्बा बावुमा का नाम केन विलियमसन और पैट कमिंस जैसे कप्तानों की सूची में शामिल हो गया, जिन्होंने कप्तानी में अपनी टीमों को डब्ल्यूटीसी का खिताब दिलाया है। बतौर अश्वेत खिलाड़ी 35 साल के बावुमा के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है।

साउथ अफ्रीका में खेल को राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल खूब हुआ है। रंगभेद के समर्थन और विरोध में इसका इस्तेमाल हुआ। इसने सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे देश को आशा प्रदान करने का भी काम किया। बावुमा ने इनमें से कुछ पल को जीया है। उन्होंने लगभग एक दशक तक इसे गहनता से जीया है। 2014 में साउथ अफ्रीका के लिए खेलने वाले पहले अश्वेत अफ्रीकी बल्लेबाज के रूप में टेस्ट डेब्यू एक बात थी, लेकिन 2016 में केपटाउन में इंग्लैंड के खिलाफ उनके द्वारा बनाया गया शतक उम्मीदों के ऐसे दरवाजे खोल गया, जो डब्ल्यूटीसी के खिताब तक पहुंचा।

कोटा सिस्टम होने के बाद भी साउथ अफ्रीका की टीम में पहला अश्वेत बल्लेबाज होना बताता है कि भेदभाव कितना है। बावुमा पहले अश्वेत बल्लेबाज, शतक लगाने वाले अश्वेत बल्लेबाज होने के साथ-साथ पहले अश्वेत कप्तान भी हैं। वह हमेशा आलोचकों के निशाने पर रहे। रंगभेद की समाप्ति और 1991 में साउथ अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद से बावुमा खेल के तीनों प्रारूपों में नियमित रूप से चुने जाने वाले एकमात्र अश्वेत अफ्रीकी बल्लेबाज हैं। इसके बाद भी वह साउथ अफ्रीका की प्रमुख टी20 लीग एसए 20 से दो बार नजरअंदाज हुए।

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार केपटाउन के एक कस्बे लैंगा में जन्मे बावुमा का मानना ​​है कि कुछ कोच उनके ब्लैक होने और छोटे कद के कारण शीर्ष स्तर तक पहुंचने की उनकी क्षमता पर “संदेह” करते थे। 5 फुट 4 इंच लंबे, दाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने दिसंबर 2014 में पदार्पण करने के बाद से 63 मैच के करियर के दौरान यह साबित कर दिया है कि वह टेस्ट क्रिकेट की अतिरिक्त गति और उछाल को संभाल सकते हैं।

बावुमा ने दो साल के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के साइकल में मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते हुए 60.90 के औसत से रन बनाकर साउथ अफ्रीका को वर्ल्ट टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचाया। वह इस डब्ल्यूटीसी साइकल में साउथ अफ्रीका के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।

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बावुमा की नेतृत्व क्षमता की भी प्रशंसा हुई है। उन्होंने टीम के भीतर एक स्वस्थ वातावरण तैयार किया। जब उन्हें 2021 में सीमित ओवरों का कप्तान नियुक्त किया गया था, तो क्रिकेट साउथ अफ्रीका विवाद से जूझ रहा था। इसमें नस्लीय विवाद के आरोप भी शामिल थे। इसके बाद साउथ अफ्रीका में खेल के भविष्य पर सवाल उठे। इसके बाद जब भी टीम हारती या कुछ होता बावुमा को सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया। इसमें से कुछ नस्लीय रूप से प्रेरित प्रतीत होते हैं।