केंद्र सरकार द्वारा जनगणना के साथ कास्ट सेंसस कराए जाने के ऐलान को विपक्षी दल अपनी जीत बता रहे हैं। इस बीच राजद के नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि रिजर्वेशन पर लगे कैप पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।

सोशल मीडिया साइट X पर अपने लेटर को शेयर करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि जाति जनगणना कराने का फैसला हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग सिर्फ डेटा नहीं बल्कि सम्मान, सिर्फ गणना नहीं बल्कि सशक्तिकरण का इंतजार कर रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन, कॉन्ट्रेक्ट्स में रिजर्वेशन, न्यायपालिका में आरक्षण, कास्ट सेंसस के आधार पर प्रोपोर्शनल रिजर्वेशन और मंडल आयोग की सिफारिशों के पूरी तरह से इंप्लीमेंटेशन की मांग की।

My letter to PM Sh. @narendramodi Ji.The decision to conduct the caste census can be a transformative moment in our nation’s journey towards equality. The millions who have struggled for this census await not just data but dignity, not just enumeration but empowerment.… pic.twitter.com/t2uszNfjOH

पत्र में कहा गया है, “जातिगत गणना कराना सामाजिक न्याय की दिशा में लंबी यात्रा का पहला कदम मात्र है। जनगणना के आंकड़ों से सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण नीतियों की व्यापक समीक्षा होनी चाहिए। आरक्षण पर मनमानी सीमा पर भी पुनर्विचार करना होगा।”

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इसमें कहा गया है कि आगामी परिसीमन प्रक्रिया में जनगणना द्वारा उजागर सामाजिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए तथा हाशिए पर पड़े समूहों के लिए आनुपातिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग और ईबीसी (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) के पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए क्योंकि इन्हें निर्णय लेने वाले मंचों से व्यवस्थित रूप से बाहर रखा गया है।

तेजस्वी ने पत्र में लिखा, “इसलिए, उन्हें राज्य विधानसभाओं और भारत की संसद में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सिद्धांत के आधार पर विस्तारित किए जाने की आवश्यकता होगी।”

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