बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब 2016 की शुरुआत में राज्य में शराब पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे थे तो उन्हें तत्कालीन महागठबंधन के सहयोगी लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली आरजेडी से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था। आरजेडी सूत्रों के अनुसार, शराबबंदी के खिलाफ पार्टी के रुख का एक कारण यह था कि उस समय शराब के कई व्यापारी यादव समुदाय से थे, जो इसका मुख्य वोट बैंक भी है। हालांकि, नीतीश के दृढ़ आग्रह और शराबबंदी प्रस्ताव के लिए महिलाओं का भारी समर्थन मिलने के कारण आरजेडी को झुकना पड़ा था।
सूत्रों ने बताया कि आरजेडी ने उस समय नीतीश पर ताड़ी को शराबबंदी के दायरे से बाहर रखने पर ज़ोर देने की कोशिश की। लेकिन, नीतीश जिन्होंने अक्टूबर-नवंबर 2015 के विधानसभा चुनावों में कुछ महीने पहले ही महागठबंधन को भारी जीत दिलाई थी, राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के अपने प्रयास में अड़े रहे।
पिछले रविवार को पटना में पासी समुदाय (अनुसूचित जाति) की एक सभा को संबोधित करते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने 2016 के शराबबंदी कानून में ताड़ी को शामिल करने के आरजेडी के विरोध को उजागर किया। उन्होंने कहा, “मैंने नीतीश कुमार को ताड़ी को शराब की श्रेणी से बाहर रखने के लिए मनाने की बहुत कोशिश की थी क्योंकि पासी समुदाय पीढ़ियों से अपने पारंपरिक व्यवसाय के रूप में ताड़ और खजूर के पेड़ों से ताड़ी निकालता रहा है लेकिन सीएम ने उनकी एक न सुनी।”
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तेजस्वी ने कहा कि अगर विधानसभा चुनाव (अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले) में महागठबंधन सत्ता में आता है तो हम ताड़ी को निषेध कानून से बाहर कर देंगे।” कार्यक्रम में तेजस्वी ने यह भी घोषणा की कि ताड़ी को राज्य में उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, बिहार की आबादी में पासी समुदाय की हिस्सेदारी करीब 1% है। वे अनुसूचित जातियों में पांचवां सबसे बड़ा समूह हैं, जिनकी आबादी 19.65% है। एक अनुमान के अनुसार, राज्य में शराबबंदी लागू होने से पहले करीब 5 लाख पासी ताड़ी बेचकर अपनी आजीविका चला रहे थे।
शराबबंदी व्यवस्था से ताड़ी को बाहर रखने की तेजस्वी की बार-बार की गई वकालत को महागठबंधन के सत्ता में लौटने की स्थिति में चरणबद्ध तरीके से शराब पर प्रतिबंध हटाने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
तेजस्वी ने अक्सर शराब की लगातार जब्ती, बढ़ते मामलों और जेलों में भीड़भाड़ का हवाला देकर शराबबंदी की विफलताओं को रेखांकित किया है, जिसमें ज्यादातर विचाराधीन कैदी वंचित और कमजोर वर्गों से संबंधित मामूली मामलों में बंद हैं। अप्रैल 2016 से, राज्य में 350 से अधिक जहरीली शराब से मौतें और 9.36 लाख निषेध-संबंधी मामले देखे गए हैं, जिनमें 31 मार्च, 2025 तक 14.32 लाख गिरफ्तारियां शामिल हैं।
आरजेडी की प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ने भी ताड़ी के मुद्दे पर तेजस्वी के रुख का समर्थन किया। बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञान रंजन गुप्ता ने कहा, “पासी समुदाय ऊंचे पेड़ों पर चढ़कर ताड़ी निकालने में बहुत जोखिम उठाता है। ताड़ी पर प्रतिबंध लगाकर नीतीश कुमार ने पासियों को उनके पारंपरिक व्यवसाय से दूर कर दिया। समुदाय की आजीविका और ताड़ी की बिक्री पर उनके उचित दावों को बहाल करने के लिए समीक्षा की जानी चाहिए।”
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जेडीयू ने इस मुद्दे पर आरजेडी पर यू-टर्न लेने का आरोप लगाया और महिला मतदाताओं की राय जानने की चुनौती दी। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा, “आरजेडी के संविधान में साफ तौर पर कहा गया है कि नशीले पदार्थों और साइकोट्रोपिक पदार्थों से दूर रहने वाला ही इसका सदस्य बन सकता है। दरअसल, 2016 से पहले आरजेडी को शराब कारोबारियों से वित्तीय मदद मिलती थी। मैं आरजेडी को चुनौती देता हूं कि वह ताड़ी को शराबबंदी से बाहर रखने की इच्छा रखने वाली महिला मतदाताओं से हस्ताक्षर करवाए। जहां तक हमारी सरकार की बात है, तो उसने दो लाख से अधिक पासियों को बकरी पालने और अन्य व्यवसाय अपनाने के लिए 2-2 लाख रुपये की सहायता देकर उनका समर्थन किया है।”
जेडीयू की वरिष्ठ सहयोगी बीजेपी ने भी इस विवाद को लेकर तेजस्वी पर निशाना साधा है। बीजेपी प्रवक्ता मनोज कुमार शर्मा ने कहा, “बिहार विधानमंडल ने शराबबंदी कानून को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। 2015 के चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी ने पूर्ण शराबबंदी का समर्थन किया था। आरजेडी को ताड़ी को शराब की श्रेणी में शामिल करने के अच्छे या बुरे प्रभाव का सर्वेक्षण करने के लिए खेतों में टीम भेजने से किसने रोका था? वे इसे पासी वोटों के लिए मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह उन पर उल्टा पड़ेगा।”
हालांकि, एनडीए के एक अन्य सहयोगी , केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि ताड़ी एक प्राकृतिक उत्पाद है और कहा कि इसे राज्य में शराब की श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए। तेजस्वी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चिराग ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने कई बार कहा है कि एनडीए के सहयोगी के रूप में मेरी पार्टी राज्य में सरकार का समर्थन कर रही है, लेकिन वह यहां शासन का हिस्सा नहीं है। मेरा निश्चित रूप से मानना है कि ताड़ी एक प्राकृतिक उत्पाद है इसलिए इसे शराब नहीं माना जाना चाहिए।”
वहीं, 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज पार्टी की शुरुआत करते हुए प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि उनकी पार्टी सत्ता में आने के तुरंत बाद बिहार में शराबबंदी हटा लेगी और शराब से मिलने वाले कई हजार करोड़ रुपये के उत्पाद शुल्क का इस्तेमाल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में करेगी। राज्य का कर संग्रह और अन्य स्रोतों से कुल वार्षिक राजस्व वर्तमान में लगभग 56,000 करोड़ रुपये है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स