Bihar Voter List Revision Controversy: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन को लेकर सवाल खड़े हो गए। विपक्षी दलों से लेकर सामाजिक संस्थाएं भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में कोर्ट से तुरंत सुनवाई की अपील की थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की। वहीं लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर कहा कि नाम हटने से तो लोगों की नागरिकता भी चली जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस भेज दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस मामले में चुनाव आयोग ने जो समय सीमा तय की है वो काफी कम है जिसके चलते लाखों लोग कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान वोटिंग की प्रक्रिया से वंचित हो जाएंगे। दूसरी ओर इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

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AIMIM के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंच गए। चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात के बाद ओवैसी ने कहा कि अगर 15-20% लोगों के नाम सूची से छूट भी गए, तो वे अपनी नागरिकता भी खो देंगे। हम विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन समय दिया जाना चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि अगर किसी का नाम हटा दिया जाएगा, तो वह व्यक्ति न केवल अपना वोट खो देगा, बल्कि यह उसकी आजीविका का भी मुद्दा है। हमारा एकमात्र मुद्दा यह है कि चुनाव आयोग इतने कम समय में इस तरह की कवायद को कैसे लागू कर सकता है? लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ेगा, और हमने व्यावहारिक कठिनाइयों को उजागर करते हुए इन मुद्दों को चुनाव आयोग के सामने रखा है।

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दूसरी ओर इसी मुद्दे पर बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि 5 जुलाई को हमने भारत के चुनाव आयोग से मुलाकात की थी और उनके समक्ष अपने सवाल रखे थे। चिंता की बात यह है कि हमें अभी तक चुनाव आयोग से कोई स्पष्टता नहीं मिली है। आप सभी जानते हैं कि बिहार चुनाव आयोग केवल डाकघर के रूप में काम करता है और उसके पास जवाब देने का कोई अधिकार नहीं है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने तीन अलग-अलग निर्देश जारी किए। इससे साबित होता है कि चुनाव आयोग भ्रमित है। उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी विरोधाभासी निर्देशों और विज्ञापनों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है।

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इस मुद्दे पर AIMIM के राज्य प्रमुख और विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि हमने भारत के चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि इसकी तिथि बढ़ा दी जाए या रोक लगा दी जाए क्योंकि राज्य में कई लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं, कई प्रवासी मजदूर हैं और मानसून का मौसम भी है। राज्य में, केवल 2% आबादी के पास पासपोर्ट है और स्नातकों की संख्या 14% है। गरीब लोगों के पास कोई दस्तावेज नहीं है। बाढ़ के दौरान, कई लोगों ने अपने दस्तावेज और सामान खो दिए हैं। डर है कि लोग वोट नहीं कर पाएंगे।

दूसरी ओर बिहार के सत्ताधारी गठबंधन की ओर से बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने कहा कि चुनाव से पहले मतदाता सत्यापन नियमित था लेकिन अब मनोज झा और महुआ मोइत्रा सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं, इससे क्या फर्क पड़ता है? मतदाता सत्यापन लागू करना फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे केवल वैध मतदाता ही पात्र रहेंगे।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनावज हुसैन ने वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर कहा कि बिहार के मतदाताओं में कोई भ्रम नहीं है लेकिन राजद और कांग्रेस भ्रम पैदा करने की कोशिश करते हैं, खासकर मुस्लिम मतदाताओं में। ये लोग उन्हें डरा रहे हैं कि उनका वोट रद्द हो जाएगा। डरने की कोई बात नहीं है।

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