RCP Singh Joined Jan Suraaj Party: बिहार की राजनीति में रविवार को बहुत बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है। घटनाक्रम यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी ‘आप सबकी आवाज’ का प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में विलय कर दिया है। बिहार में अगले कुछ महीने में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव में बीजेपी-जेडीयू की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन और राजद-कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच सीधा और जोरदार मुकाबला है।
इसके अलावा जन सुराज पार्टी, एआइएमआइएम सहित और भी कई राजनीतिक दल बिहार के विधानसभा चुनाव में अपना दम-खम दिखाएंगे। देखना होगा कि आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर के साथ आने का क्या कोई असर विधानसभा चुनाव में होगा। बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं।
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आरसीपी सिंह ने अक्टूबर 2024 में ‘आप सबकी आवाज’ पार्टी बनाई थी। आरसीपी सिंह एक वक्त में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी थे। वह न सिर्फ जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे बल्कि भारत सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन बाद में उनके नीतीश कुमार से रिश्ते खराब हो गए।
कुर्मी जाति से आने वाले आरसीपी सिंह नौकरशाह से राजनेता बने थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस नालंदा जिले से आते हैं, वहां आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर थे और वह पहली बार नीतीश कुमार के संपर्क में तब आए थे जब कुमार रेल मंत्री थे।
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2005 में बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को प्रधान सचिव बनाया था। 2010 में आरसीपी सिंह ने रिटायरमेंट ले लिया था और वह जेडीयू में शामिल हो गए थे। जेडीयू ने उन्हें दो बार राज्यसभा भी भेजा था लेकिन कहा जाता है कि 2021 में जब वह नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो यह नीतीश कुमार को अच्छा नहीं लगा।
नीतीश कुमार से रिश्ते खराब होने के बाद उन्हें भारत सरकार में मंत्री का पद छोड़ना पड़ा और बाद में वह पार्टी से भी बाहर चले गए।
दूसरी ओर, भारत के कई राज्यों में तमाम बड़े नेताओं और कई राजनीतिक दलों के लिए चुनाव रणनीति बना चुके प्रशांत किशोर इस बार पूरी ताकत के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बिहार के सभी राज्यों, तहसीलों और जिलों का दौरा किया है और उनकी कोशिश है कि बिहार में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा जाए। किशोर समाज के सभी वर्गों तक पहुंच रहे हैं और अपनी सभाओं में बिहार के नेताओं पर राज्य को लूटने का आरोप लगाते हैं।
प्रशांत किशोर ने जन सुराज यात्रा के दौरान बिहार की बदहाली को मुद्दा बनाया। उन्होंने लोगों से कहा कि बिहार के राजनीतिक दलों और नेताओं ने यहां की जनता का नहीं बल्कि अपने परिवारों का भला किया और अपनी सियासी महत्वाकांक्षाओं को पूरा किया। प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी पार्टी बिहार से पलायन और बेरोजगारी से लेकर बिहार के पिछड़ेपन और राज्य की समस्याओं के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी।
प्रशांत किशोर ने अपनी सभाओं में लालू प्रसाद यादव व नीतीश कुमार के शासन पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अगर इन नेताओं ने बिहार के विकास पर ध्यान दिया होता तो राज्य के लोगों की हालत इस कदर खराब नहीं होती। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या बिहार के मतदाता पीके की बातों पर भरोसा करेंगे। क्या वे जिन राजनीतिक दलों को वोट देते आ रहे हैं, उनके बजाय पीके की पार्टी को वोट देंगे?
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