CBI ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत के सामने दावा किया कि  जो लोग अपना नाम भी नहीं लिख सकते, उन्हें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को कथित तौर पर जमीन के टुकड़े गिफ्ट देने पर इंडियन रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी दे दी गई।

राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने की अदालत में CBI की तरफ से पेश हुए सीनियर जज और स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर  डीपी सिंह ने तर्क दिया, “सिग्नेचर, ट्रांसफर सर्टिफिकेट और मार्कशीट सभी जाली थे… कैंडिडेट्स ने अपने आवेदनों में उन स्कूलों का उल्लेख किया है, जिनमें उनका कभी नामांकन नहीं था।”

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट में जज साहब ने पूछा, “क्या उन्हें पात्र दिखाने के लिए जालसाजी की गई?” इस पर डीपी सिंह ने कहा कि हां, जॉब के लिए अप्लाई करने के लिए यह दिखाना जरूरी है कि आपने 8वीं क्लास पास कर ली है।

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जब जज गोगने ने सवाल किया कि क्या इन लोगों ने आठवीं पास नहीं की है तो सिंह ने जवाब देेते हुए कहा, “हां, वे अपने अपने नाम भी नहीं लिख सकते हैं। एक स्कूल था, जहां कोई स्टूडेंट नहीं था। यह स्कूल जाली सर्टिफिकेट बनाने के लिए था।”

दरअसल लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में ग्रुप-डी की वैकल्पिक नौकरियों में की गई नियुक्तियों के बदले सस्ती दरों पर जमीन ट्रांसफर की गई। इसी मामले में एजेंसी ने 102 लोगों को आरोपी बनाया है और फिलहाल आरोप तय करने पर बहस की प्रक्रिया चल रही है।

CBI की चार्जशीट के अनुसार, इस कथित घोटाले में नौकरी पाने वालों द्वारा दिए गए दस्तावेजों में गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं। उदाहरण के लिए, कुछ उम्मीदवारों के कास्ट और रेसिडेंस सर्टिफिकेट पर रोल नंबर दर्ज थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि ये सर्टिफिकेट “एक साथ और किसी कॉमन परपज के तहत” हासिल किए गए थे।

डीपी सिंह ने कहा कि बहुत सारी लैंड डील्स में सब कुछ कैश में किया गया था। यह भी संदिग्ध है कि कई डील्स में जमीन (लालू और परिवार को) 60% से कम रेट पर बेची गई थी। CBI के अनुसार, लालू यादव ने अपने पद के जरिए रेलवे के कई अधिकारियों को प्रभावित किया और उन जमीन मालिकों व उनके परिवार के लोगों की नियुक्ति करवाई, जिनकी जमीन में उनकी इंटरेस्ट था।

CBI की चार्जशीट में कहा गया है कि नौकरी के बदले में कैंडिडेट्स ने सीधे या अपने रिश्तेदारों या पारिवारिक सदस्यों के जरिए लालू प्रसाद यादव को बहुत ही रियायती दरों पर जमीन बेची।

एक चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया है कि लालू के परिवार ने 1 लाख वर्ग फीट से अधिक जमीन केवल 26 लाख रुपये में प्राप्त की, जबकि उस समय के सर्किल रेट के अनुसार, जमीन की की कीमत 4.39 करोड़ रुपये से ज्यादा थी। सोमवार को CBU ने यह भी आरोप लगाया कि कई जॉब एप्लिकेशन एक ही दिन में मंजूर कर दिए गए, जबकि प्रक्रिया जटिल थी। डीपी सिंह ने यह भी तर्क दिया कि इन वैकल्पिक नौकरियों के लिए कोई एड नहीं निकाला गया था।

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