Bihar Assembly Elections: बिहार में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने वोटर लिस्ट को नए सिरे से तैयार करने के लिए कहा है। इसके लिए सभी मतदाताओं को एक गणना फॉर्म (Enumeration Form) जमा करना होगा, और 2003 के बाद पंजीकृत लोगों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज भी देने होंगे।
चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूचियों का यह विशेष गहन पुनरीक्षण सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगा। बिहार में जहां नवंबर से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। वहां यह प्रक्रिया बुधवार (25 जून) को शुरू हुई और 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी।
संविधान का अनुच्छेद 324(1) भारत के निर्वाचन आयोग को संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण की शक्ति देता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act) की धारा 21(3) के तहत, चुनाव आयोग किसी भी समय… किसी भी निर्वाचन क्षेत्र या निर्वाचन क्षेत्र के किसी भाग के लिए मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Revision) का निर्देश उस तरीके से दे सकता है, जैसा वह उचित समझे।
मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 (Registration of Electors Rules, 1960) के अनुसार मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण (Revision of Rolls) या तो गहन रूप से या संक्षेप में या आंशिक रूप से संक्षेप में किया जा सकता है, जैसा कि (चुनाव आयोग) निर्देश दे सकता है। गहन पुनरीक्षण (Intensive Revision) में मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार किया जाता है। समरी पुनरीक्षण (Summary Revision) में मतदाता सूची में संशोधन किया जाता है।
बता दें, संक्षिप्त संशोधन (Summary Revisions) हर साल होता है, और प्रत्येक लोकसभा (Lok Sabha) और राज्य विधानसभा चुनाव (State Assembly Election) से पहले एक विशेष संक्षिप्त संशोधन (Special Summary Revision) किया जाता है। 1952-56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003 और 2004 में गहन संशोधन ( Intensive Revisions) किए गए हैं। चुनाव आयोग ने ने मंगलवार को जारी अपने आदेश में इस बात की जानकारी दी।
चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने और हटाने के कारण मतदाता सूची में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं और तेजी से शहरीकरण और आबादी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगातार पलायन… एक नियमित प्रवृत्ति बन गई है।
जो मतदाता स्थानांतरित होते हैं, वे अक्सर अपने निवास के प्रारंभिक स्थान की मतदाता सूची से अपना नाम हटाए बिना ही खुद को दूसरे स्थान पर पंजीकृत करा लेते हैं। जिससे मतदाता सूची में दोहराई गई प्रविष्टियों की संभावना बढ़ जाती है। इस प्रकार आदेश में कहा गया है कि स्थिति मतदाता के रूप में नामांकन से पहले प्रत्येक व्यक्ति को सत्यापित करने के लिए गहन सत्यापन अभियान की मांग करती है।
चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक दायित्व को भी रेखांकित किया कि केवल नागरिक ही मतदाता के रूप में नामांकित हों। आयोग ने कहा कि इसने मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा करने के अपने संवैधानिक जनादेश के निर्वहन के लिए पूरे देश के लिए एक विशेष गहन संशोधन करने का निर्णय लिया है।
पिछले विशेष गहन पुनरीक्षणों के दौरान, ब्लॉक स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) एक गणना पैड लेकर घर-घर जाते थे, जिसे परिवार के मुखिया द्वारा भरा जाता था।
इस बार, प्रत्येक मौजूदा मतदाता को एक व्यक्तिगत गणना फॉर्म जमा करना होगा। 1 जनवरी, 2003 के बाद मतदाता सूची में शामिल होने वालों को। जो कि अंतिम गहन संशोधन का वर्ष था। अतिरिक्त रूप से नागरिकता का प्रमाण देना होगा। (कट-ऑफ तिथि से पहले मतदाता सूची में शामिल लोगों को नागरिक माना जाएगा, जब तक कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को इसके विपरीत कोई इनपुट प्राप्त न हो)।
चुनाव आयोग के फॉर्म 6, जो नए मतदाताओं को पंजीकृत करता है। उसमें आवेदकों को केवल एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है कि वे नागरिक हैं, और इस तथ्य को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करना होता (केवल आयु और पते के प्रमाण की आवश्यकता होती है)। इलेक्शन कमीशन ने बिहार में इस प्रक्रिया के लिए नागरिकता के प्रमाण की आवश्यकता वाला एक नया घोषणा पत्र जोड़ा है।
ECI के आदेश में कहा गया है कि पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, एससी/एसटी प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों के अलावा, 1 जनवरी, 2003 तक बिहार की मतदाता सूची में माता-पिता के नाम का अपने आप में पर्याप्त दस्तावेज माना जाएगा।
हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग ने अभी तक मतदाताओं की सटीक संख्या नहीं बताई है, जिन्हें नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा, लेकिन 2003 से अब तक लगभग 3 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा गया है।
चुनाव आयोग के अनुसार, बुधवार से 26 जुलाई तक बीएलओ को मौजूदा मतदाताओं वाले हर घर में जाकर पहले से भरे हुए फॉर्म पर हस्ताक्षर करवाने होंगे और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त दस्तावेज़ भी इकट्ठा करने होंगे। ईसीआई ने कहा कि बीएलओ हर घर में कम से कम तीन बार ऐसा करेंगे। मतदाताओं के पास ईसीआई की वेबसाइट या ईसीआईएनईटी ऐप से अपने फॉर्म डाउनलोड करने और उन्हें ऑनलाइन जमा करने का विकल्प भी होगा।
जिन मतदाताओं के गणना प्रपत्र 25 जुलाई तक प्राप्त नहीं होंगे, उनका नाम सूची से हटा दिया जाएगा। नाम हटाने के लिए 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चुनौती दी जा सकती है।
हालांकि, विपक्ष ने इस बात पर चिंता जताई है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर सकती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इस कदम को एनआरसी से भी ज़्यादा ख़तरनाक बताया और आरोप लगाया कि उनका राज्य, जहां अगले साल चुनाव होने हैं, असली लक्ष्य है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग यह स्वीकार कर रहा है कि भारत की मतदाता सूचियों में सब कुछ ठीक नहीं है, लेकिन उसने संशोधन को बीमारी से भी बदतर इलाज बताया।
महागठबंधन ने शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महागठबंधन के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सुनियोजित तरीके से गरीब और वंचित तबकों के मताधिकार को खत्म करने की कोशिश कर रही है। तेजस्वी यादव ने कहा कि इंडिया गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग जाएगा और इस बाबत ज्ञापन देगा।
RJD का गढ़ है यह विधानसभा सीट, 2010 में जदयू ने किया था उलटफेर
तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार में चुनाव आयोग 8 करोड़ मतदाताओं की मौजूदा वोटर लिस्ट को हटाकर एक नई लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा है। उन्होंने कहा कि यह बेहद खतरनाक साजिश है। भाजपा को बिहार में अपनी हार साफ दिख रही है, इसलिए वह लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही कमजोर करने में लगी है। गरीबों, मजदूरों और दलितों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की कोशिश की जा रही है।
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी डरे हुए हैं। नीतीश कुमार बार-बार दिल्ली जा रहे हैं और बिहार में लोकतंत्र को खत्म करने की तैयारी हो रही है। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है ताकि विपक्षी वोट बैंक को कमजोर किया जा सके। वहीं, सीएम नीतीश कुमार ने त्योहारों पर घर जाने वालों के लिए बड़ा ऐलान किया है। पढ़ें…पूरी खबर।
(इंडियन एक्सप्रेस के लिए दामिनी नाथ की रिपोर्ट)