Bihar Polls: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अलग-अलग बैठकों का दौर शुरू हो गया है। लेकिन इस राज्य के विधानसभा चुनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी नजर बनी हुई है। यही वजह है कि नवंबर 2024 में बिहार के दरभंगा में एम्स परिसर की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र की एक लोकप्रिय कहावत दोहराई थी। प्रधानमंत्री ने कहा था, “पग, पग पोखरी, मच्छ मखान… मधुर बोल, मुस्की मुख पान।” यह कहावत मिथिलांचल के लोगों के “तालाबों, मछलियों, मखानों और मधुर बातों” के बारे में है।
उसी महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मधुबनी का दौरा किया और क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान 50,294 लाभार्थियों को 1,121 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए। और इस साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते समय सीतारमण ने दलित कलाकार दुलारी देवी द्वारा उन्हें उपहार में दी गई मधुबनी कलाकृति वाली साड़ी बजट के दौरान पहनी थी। इस दौरान उन्होंने मखाना के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने के लिए मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की, जो कि मुख्य रूप से मिथिलांचल में उगाया जाता है।
9 मार्च को अहमदाबाद में “शाश्वत मिथिला महोत्सव 2025” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के विकास में योगदान देने के लिए मिथिलांचल और बिहार के लोगों की सराहना की और कहा कि इस क्षेत्र में लोकतंत्र और दर्शन को सशक्त बनाने का इतिहास रहा है। अब, पीएम मोदी के 24 अप्रैल को मधुबनी जिले के झंझारपुर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करने की उम्मीद है।
इन घटनाक्रमों का संदेश स्पष्ट है कि भाजपा इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों के लिए मिथलांचल को अपने अभियान का केंद्र बनाने के लिए तैयार है।
मिथिलांचल क्षेत्र में सीतामढी,मधुबनी,सहरसा,दरभंगा,मधेपुरा,कटिहार,सुपौल,अररिया,बेगूसराय,समस्तीपुर,पूर्णिया और मुजफ्फरपुर सहित कई जिले शामिल हैं। यह बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 100 से अधिक सीटों पर आती है। इनमें से अधिकतर सीटें वर्तमान में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास हैं। इस क्षेत्र में बोली जाने वाली मैथिली राज्य की 13 करोड़ आबादी में से लगभग एक तिहाई की भाषा है।
एनडीए सूत्रों ने स्पष्ट किया कि मिथिलांचल एक सांस्कृतिक रूप से एकीकृत क्षेत्र है, जिसकी अपनी एक विशिष्ट पहचान है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र ही उनके प्रचार प्रयासों का केंद्र होगा। हालांकि एनडीए ने पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि अब नए सिरे से जोर अपने समर्थन आधार को मजबूत करने पर है।
मिथिलांचल में भाजपा का यह कदम राजद द्वारा क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अपनी पकड़ फिर से मजबूत करने के प्रयासों के मद्देनजर उठाया गया है। पिछले साल सितंबर में राजद कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि अगर 2025 के चुनावों में विपक्षी दल सत्ता में आता है तो मिथिला विकास प्राधिकरण (एमडीए) का गठन किया जाएगा।
दो महीने बाद राज्य विधान परिषद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजद नेता और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने मांग की थी कि मिथिलांचल को बिहार से अलग कर एक अलग राज्य बनाया जाए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जेडी(यू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने स्वीकार किया कि एनडीए को इस क्षेत्र में समर्थन प्राप्त है और गठबंधन वहां अपना समर्थन आधार मजबूत करने पर विचार कर रहा है।
संजय झा ने कहा कि हमने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में मिथिलांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है। 2020 में भी इस क्षेत्र ने हमें सरकार बनाने में मदद की। लेकिन यह क्षेत्र बाढ़-ग्रस्त भी रहा है और इसने पलायन की गंभीर समस्याओं का सामना किया है। केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान इस क्षेत्र का विकास करना है और न केवल पलायन को रोकना है, बल्कि निवेश लाकर रिवर्स-माइग्रेशन को भी बढ़ावा देना है। बजट में घोषित बाढ़ पैकेज से इस क्षेत्र में सिंचाई का व्यापक विस्तार होगा। मखाना बोर्ड कृषि प्रसंस्करण को बहुत ज़रूरी बढ़ावा देगा।
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जेडी(यू)नेता मिथिलांचल में परियोजनाओं के लिए बातचीत में भी सबसे आगे रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि उन्होंने पिछले साल लोकसभा चुनाव के ठीक बाद पेश किए गए केंद्रीय बजट में बिहार को मिले बाढ़ पैकेज के लिए कड़ी पैरवी की थी।
झा ने पहले मांग की थी कि मैथिली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी जाए। पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति ने संविधान को मैथिली भाषा में जारी किया था।
बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष संतोष पाठक ने कहा कि मिथिलांचल “लंबे समय से अविकसित रहा है”। पाठक ने कहा कि हमें उस ऐतिहासिक अभाव को दूर करना होगा, जिसका सामना इस क्षेत्र ने किया है। इस क्षेत्र में गरीबी बिहार के अन्य भागों की तुलना में अधिक है। यहां आकांक्षी जिलों की संख्या भी सबसे अधिक है। इसलिए इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना समय की मांग है।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए दीप्तिमान तिवारी की रिपोर्ट)