अमित शाह को हत्यारोपी बताने के मामले में फंसे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें लगता है कि और ज्यादा बढ़ने वाली हैं। उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट से दरखास्त की थी कि उनको मानहानि के मामले से बरी किया जाए। लेकिन शिकायतकर्ता ने काउंटर एफिडेविट दाखिल करके कहा है कि राहुल गांधी सिरे से झूठे हैं। उन्होंने बीजेपी के तत्कालीन प्रेजीडेंट अमित शाह के खिलाफ जो आरोप लगाया वो तथ्यों से परे है।
राहुल के खिलाफ रांची में मानहानि का मुकदमा दायर करने वाले नवीन कुमार झा ने कहा कि हत्या के मामले से अमित शाह 2014 में ही बरी हो चुके थे। ग्रेटर बॉम्बे की सेशन कोर्ट ने 30 दिसंबर 2014 में उनको हत्या के मामले से निकाल दिया था। कोर्ट ने केस नंबर 177/2013, 178/2013, 577/2013, 312/2014 को लेकर अपना जो फैसला सुनाया था उसमें माना कि अमित शाह हत्या का हत्या के मामले से कोई लेनादेना नहीं है।
नवीन झा का कहना है कि राहुल गांधी ने फिर भी 2018 की एक राजनीतिक रैली में अमित शाह को हत्यारोपी बता दिया। उनका कहना है कि वो मानते हैं कि राहुल गांधी को संविधान के तहत फ्री स्पीच का अधिकार है। लेकिन उसमें कुछ बंदिशें भी हैं। झा का कहना है कि राहुल ने खुद भी माना है कि अमित शाह के खिलाफ उन्होंने इस तरह का बयान दिया था। इससे जाहिर है कि संवैधानिक संस्थाओं पर उनका कोई विश्वास नहीं है।
ध्यान रहे कि राहुल गांधी को गुजरात की एक कोर्ट ने मानहानि के केस में ही दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी सांसदी भी चली गई। राहुल ने लोअर कोर्ट के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन उनको वहां से राहत नहीं मिल पाई। अब उनकी अपील गुजरात हाईकोर्ट में लंबित है। राहुल ने अपील की है कि उनकी सजा पर रोक लगाई जाए, क्योंकि सजा के बाद वो छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।