देवघर के बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग के शीघ्रदर्शन शुल्क बढ़ोतरी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दखलंदाजी के बाद रुक गई है। डीसी मंजू भजंत्री ने अपने फैसले को वापस ले लिया है। पंडा धर्मरक्षणि सभा इसके खिलाफ है। और इसके महामंत्री कार्तिक नाथ ठाकुर ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इसका विरोध किया था। और फौरन हस्तक्षेप की मांग की थी। कार्तिक नाथ ठाकुर बताते हैं कि शीघ्रदर्शन शुल्क को दोगुना करने का डीसी का फैसला एकतरफा था, जिसका विरोध हो रहा था।

बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे कामना लिंग भी कहते हैं। पुराणों के मुताबिक यह खुद रावण के द्वारा स्थापित है। श्रद्धालुओं को शीघ्रदर्शन के नाम पर 2010 से शुल्क ज़िला प्रशासन ने लगाया था। जिसके मुताबिक 250 रुपए सामान्य दिनों के लिए और 500 रुपए विशेष दिनों के दौरान है। इसके अलावे जो श्रद्धालु बगैर कूपन कटाए दर्शन – पूजा करना चाहे वे सामान्य कतार में लगकर कर सकते हैं।

इस शुल्क में बढ़ोतरी कर दोगुना यानी 500 और 1000 रुपए किया जा रहा था। इसको उपायुक्त ने बायकायदा 31 मई से लागू करने का फैसला कर लिया था। इस बाबत दो रोज पहले डीसी ने यहां की व्यवस्था का मुआयना भी किया। बताते हैं कि आम दिनों में शीघ्रदर्शन के लिए करीब पांच हजार श्रद्धालु आते हैं। सावन महीने में यह संख्या कई गुणा बढ़ जाती है। और वीआईपी के लिए दर्शन की सुविधा बंद हो जाती है।

सावन में हरेक साल यहां एक महीने तक कांवड़ियों का जलाभिषेक करने के लिए लाखों कांवड़ियों का तांता लगा रहता है। इस साल सावन दो महीने है। पुरुषोत्तम महीना है। यानी जुलाई के प्रथम सप्ताह से 31 अगस्त तक यहां कांवड़ियों का जन सैलाब उमड़ने की उम्मीद है। भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से कांवड़िये गंगाजल भरकर पैदल सौ किलोमीटर यहां बाबाधाम आकर जलाभिषेक करते हैं।

डीसी 31 मई से शीघ्रदर्शन के शुल्क में बढ़ोतरी करना चाहते थे। यह पंडों का आरोप है। हालांकि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए कोई खास सुविधा नहीं है। बल्कि पुलिस की बेंत से थके-हारे दर्शनार्थियों का स्वागत होता है। ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता संजय भारद्वाज कहते हैं। और यह सच भी है। पुलिस की ज्यादती यहां चरम पर है।