राजस्थान में आज भजनलाल सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है। जिसमें कई बड़े फैसले संभव हैं। माना जा रहा है कि अशोक गहलोत सरकार के दौरान बनाए गए नए जिलों में से कुछ छोटे जिलों को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। राजस्थान में पिछले साल मार्च के महीने में अशोक गहलोत सरकार ने 17 नए जिले बनाने की घोषणा की थी। जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 50 हो गई थी। लेकिन नई बीजेपी सरकार इनमें से कुछ जिलों को खत्म करने पर विचार कर रही है।

राजस्थान में छोटे जिले खत्म हो सकते हैं, यह चर्चा उपचुनाव से पहले से ही सामने आ रही है। ऐसे में आज प्रदेश सरकार कैबिनेट बैठक में ऐसा फैसला होना संभव माना जा रहा है। जिन छोटे जिलों पर सरकार की नजर हो सकती है, उनमें सांचौर, खैरथल, तिजारा, शाहपुरा, गंगापुरसिटी, दूदू और केकड़ी हो सकते हैं। सरकार ने 17 जिलों का रिव्यू करवाया है। जिसके आधार पर यह फैसला हो सकता है।

राजस्थान में नए जिलों की मांग बहुत पुरानी रही है।  खासकर बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर और बीकानेर के रेगिस्तानी इलाकों में यह मांग काफी पहले से उठती रही है।  इनमें से कई इलाकों में आबादी कम है और ये बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिससे लोगों के लिए ज़रूरत पड़ने पर अधिकारियों से बातचीत करना मुश्किल हो जाता है।

पिछले साल (2023) मार्च में गहलोत सरकार ने अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, गंगापुर सिटी, केकड़ी, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल, नीम का थाना, फलौदी, सलूंबर, सांचौर, जयपुर ग्रामीण, शाहपुरा और जोधपुर ग्रामीण के तौर पर नए जिलों की घोषणा की थी। 

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भाजपा सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पिछली सरकार द्वारा बनाए गए कई नए जिले बिना मांग के ही बना दिए गए। पार्टी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी जिलों के निर्माण के लिए ठोस कारण नहीं बताए। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कई ऐसे जिले बनाए गए जिन्हें सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए बनाया गया था।