Rajasthan Gujjars: राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने 17 महीने पूरे कर लिए हैं। ऐसे में गुर्जर नेताओं ने लंबित मांगों पर ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया है। गुर्जर नेताओं के एक वर्ग ने 8 जून को भरतपुर के पीलूपुरा गांव में रेलवे पटरियों के पास एक महापंचायत बुलाई है।

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने कहा कि उन्हें महापंचायत बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि शर्मा सरकार ने गुर्जर समुदाय के लिए कोई काम नहीं किया है।

भाजपा नेता विजय, जो कि गुर्जर आरक्षण आंदोलन के सूत्रधार दिवंगत कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र हैं। उन्होंने पार्टी के टिकट पर टोंक की देवली उनियारा सीट से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए।

23 मई को विजय ने पीलूपुरा में शहीद स्थल से महापंचायत का प्रस्ताव रखा। 2008 में आंदोलन का मुख्य केंद्र जहां पुलिस ने गुर्जर प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। विजय ने कहा कि हम पिछले 17 महीनों से लगातार सरकार से बात कर रहे हैं, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ रही है। इसलिए समुदाय के नेताओं ने कहा कि हमें महापंचायत करने की जरूरत है।

गुर्जर नेता अब महापंचायत के लिए समुदाय को संगठित करने के लिए कई छोटी और बड़ी सभाएं कर रहे हैं, और निमंत्रण के लिए कई घरों में पीले चावल भेजे जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य शिकायतों में से एक आरक्षण की रोस्टर प्रणाली से संबंधित है।

बता दें, वर्तमान में राजस्थान में 64% आरक्षण है: ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए 21%, एससी (अनुसूचित जाति) के लिए 16%, एसटी (अनुसूचित जनजाति) के लिए 12%, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% और एमबीसी (सबसे पिछड़ा वर्ग) के लिए 5%।

पिछली अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान गुर्जरों को एमबीसी श्रेणी में शामिल किया गया था । हालांकि, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का आरोप है कि गुर्जरों और अन्य एमबीसी समुदायों को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है, क्योंकि मौजूदा रोस्टर प्रणाली स्थानीय स्तर पर आरक्षित पदों को कम करती है।

विजय कहते हैं कि विभिन्न स्तरों पर आरक्षण आवंटित करने के लिए रोस्टर प्रणाली ने इसके विखंडन को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए हमें हर 100 रिक्तियों के लिए 5 पद या 20 में से 1 पद मिलना चाहिए, लेकिन सरकार इन 100 पदों को तहसीलों, जिलों, विभागों सहित कई कार्यक्षेत्रों में विभाजित करती है। इसलिए, जब पदों को घटाकर 18 कर दिया जाता है, तो एमबीसी को छोड़ दिया जाता है। रोस्टर प्रणाली आरक्षण न देने का एक तरीका है। उन्होंने आरोप लगाया कि एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस भी इससे प्रभावित हुए हैं।

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विजय ने कहा कि राज्य सरकार ने 2019 में हाईकोर्ट में कहा था कि एमबीसी उम्मीदवारों को पहले सामान्य वर्ग, फिर ओबीसी और फिर एमबीसी श्रेणी में माना जाता है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की कि पिछले 6 वर्षों की आनुपातिक नौकरियां एमबीसी को दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें (सरकार को) इसे लागू करना चाहिए या अगर उन्हें लगता है कि यह गलत है तो एक शुद्धिपत्र जारी करना चाहिए।” समिति ने मांग की है कि राजस्थान न्यायिक सेवाओं में एमबीसी के लिए बैकलॉग भी भरा जाना चाहिए।

गुर्जर प्रदर्शनकारियों ने 5% एमबीसी आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को फिर से उठाया है, ताकि इसे न्यायिक समीक्षा से छूट मिल सके। राज्य सरकार ने 2019 में एमबीसी कोटा कानून पारित किया था, लेकिन इसे नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है।

गुर्जर समुदाय के कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने के लिए भी लंबे समय से दबाव बना रहे हैं। पिछले कई सालों में कई आरक्षण आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। विजय ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में अभी तक एक भी मामला वापस नहीं लिया गया है।

सीएम शर्मा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि सरकार का 74 मामलों को वापस न लेने का फैसला पिछले कई सालों में समुदाय और सरकारों के बीच हुए लिखित समझौतों की भावना के खिलाफ है। दूसरी ओर, उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ आरोपियों की जमीन जब्त करने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने मांग की कि आरक्षण आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजे के अलावा अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलनी चाहिए।

विवाद का एक और मुद्दा गुर्जर छात्रों के कल्याण के लिए देवनारायण योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित है। विजय ने आरोप लगाया कि 17 महीनों से इन योजनाओं का क्रियान्वयन खराब रहा है, साथ ही पात्र छात्रों को न तो पर्याप्त छात्रवृत्ति दी गई है और न ही स्कूटी दी गई है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024 में देवनारायण छात्रा स्कूटी योजना के तहत 20 करोड़ से अधिक के बजट प्रावधान के बावजूद एक भी स्कूटी नहीं दी गई। इसी तरह 2024-25 में इस मद में 50 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के मुकाबले केवल 19 लाख रुपये खर्च किए गए। इस वित्तीय वर्ष के लिए देवनारायण योजनाओं के लिए एक चौथाई से अधिक बजट लैप्स हो गया।

विजय ने कहा कि देवनारायण बोर्ड और सरकार की मासिक समीक्षा बैठक 17 माह से नहीं हुई है, इसे पुनः शुरू करने की मांग की।

विजय ने कहा कि अब जो होगा, वही सीएम ( भजन लाल शर्मा ) चाहेंगे। अगर वह मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं, तो वे हल हो जाएंगे। अगर वह चाहते हैं कि हम पटरियों पर बैठें, तो ऐसा ही हो। गेंद उनके पाले में है।

गौरतलब है कि क्षेत्र के जाटों ने भी गर्जरों के प्रस्तावित आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। गुरुवार को जाट नेता नेम सिंह फौजदार, जो भरतपुर और धौलपुर के जाटों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए अभियान चला रहे हैं। उन्होंने 8 जून की महापंचायत को अपना समर्थन देने की घोषणा की।

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राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेदम, जो कि गुर्जर समुदाय से आते हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि चूंकि विजय बैंसला जी भाजपा नेता हैं और भाजपा की सरकार है, इसलिए उन्हें एक बार मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखनी चाहिए, मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं। अगर बातचीत सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ती है, तो निश्चित रूप से मुद्दों को समयबद्ध और कानूनी तरीके से हल किया जा सकता है।

बेदम ने यह भी कहा कि मैं खुद भी इसमें शामिल हूं और हम चाहते हैं कि सभी मुद्दों का समयबद्ध तरीके से समाधान हो। मैं लगातार अधिकारियों के संपर्क में हूं। हमारी सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है। जो भी मुद्दे हैं, हम मिल-बैठकर उनका सकारात्मक समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।

आरक्षण आंदोलन के दौरान गुर्जरों के खिलाफ पुलिस मामले (2006-2020): कुल मामले: 794, आरोप पत्र: 373। जिनमें से वापस लिए गए: 241। वापस नहीं लिया गए: 74, फैसला: 46, कोर्ट में लंबित: 12, न्यायालयों के समक्ष अंतिम रिपोर्ट: 390, जिनमें से स्वीकृत: 361, न्यायालयों में लंबित: 26, न्यायालय द्वारा लौटाए गए: 03। जबकि 31 मामलों में जांच चल रही है। वहीं, अन्य खबर में बारिश ने गुवाहाटी से इंफाल तक भारी तबाही मचाई है। पढ़ें…पूरी खबर।