Rajasthan BJP MLA Kanwarlal Meena: राजस्थान की बारां जिले की अंता सीट से बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा ने बुधवार को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें दो सप्ताह की राहत मिली थी। उसके बाद उन्हें 21 मई को ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, अभी भी उनकी दोषसिद्धि के कारण विधायक के रूप में उनकी सदस्यता समाप्त होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा है कि वे अभी भी कानूनी सलाह ले रहे हैं।

अंता और मनोहरथाना से दो बार विधायक रहे मीणा को 2005 में अकलेरा कस्बे के तत्कालीन उपखंड अधिकारी राम निवास मेहता को रिवॉल्वर से धमकाने के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई गई थी। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, दो साल से अधिक की सजा होने पर विधायक अयोग्य घोषित हो जाता है।

मीणा को पहले ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था, लेकिन बाद में 2020 में अपीलीय अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया। इस महीने की शुरुआत में राजस्थान हाई कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सजा को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी।

सूत्रों ने बताया कि भाजपा अभी भी मीणा की विधानसभा सदस्यता समाप्त होने से बचने के लिए उपाय तलाश रही है, जिसमें राज्यपाल से क्षमादान मांगना या उनकी तीन साल की सजा को घटाकर 23 महीने करना शामिल है।

2005 का मामला अब भी मीणा के भविष्य पर छाया हुआ है, लेकिन उनके खिलाफ कम से कम 27 मामले दर्ज हैं। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि इनमें दंगा-फसाद, सरकारी कर्मचारियों पर हमला, धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना और पूजा स्थलों को अपवित्र करने से लेकर घर में घुसने तक के मामले शामिल हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता और उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मीणा के खिलाफ अब तक कुल 27 मामले दर्ज किए गए हैं। मीणा के वकीलों के अनुसार, उन्हें लगभग सभी मामलों में बरी कर दिया गया है।

2005 के रिवॉल्वर मामले में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को खुद को अनुशासित करने की आवश्यकता है। यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है जहां किसी को दोषी ठहराया गया है, अन्यथा आप सब कुछ करते हैं और बिना किसी कार्रवाई के बच निकलते हैं।

मीणा के वकील ने बुधवार को कहा कि 2005 का मामला उनके लिए सजा काटने का पहला मामला होगा। उन्होंने कहा कि सभी मामलों का फैसला हो चुका है, सिर्फ़ एक को छोड़कर कुछ भी नहीं बचा है। सिर्फ़ एक मामला बचा है। बाकी सभी में या तो उन्हें बरी कर दिया गया है या फिर समझौता हो गया है।

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मीणा का पहला मामला 1999 का है, जब वह 25 साल के थे और उन पर अकलेरा, झालावाड़ में गिरधारी लाल मीणा नामक व्यक्ति ने हत्या के प्रयास और अन्य अपराधों का आरोप लगाया था। उन्हें 2003 में दोषी ठहराया गया था।

उसी साल अपने दूसरे मामले में उन्हें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की सात धाराओं के तहत आरोपों का सामना करना पड़ा, जिसमें सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना शामिल था, लेकिन इस मामले में 2011 में समझौता हो गया था।

इसके बाद के मामलों में कथित रूप से एक मस्जिद में घुसकर उसे नुकसान पहुंचाना,किराया मांगने पर एक बस को क्षतिग्रस्त करना, एक राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित करना और एक लोक सेवक को घायल करना, एक शिकायतकर्ता के ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और कृषि उपकरणों को आग लगाना और चोरी करना, एक शिकायतकर्ता के घर में आग लगाना और उसका सामान लूटना, एक मस्जिद में धार्मिक पुस्तकों को अपवित्र करना और लेखों को नष्ट करना, एक समुदाय के खिलाफ नारे लगाना और संपत्ति को नष्ट करना, एक लोक सेवक का रूप धारण करना, 2011 में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन सहायक निदेशक डॉ एसडी शर्मा पर हमला करना, जनवरी 2016 में सरकार और निर्वाचित अधिकारियों के लिए जवाबदेही कानून की मांग को लेकर ‘जवाबदेही यात्रा’ में भाग लेने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की पिटाई करना, इसके अलावा जबरन वसूली के कम से कम दो मामले दर्ज हैं।

2016 के मामले में अरुणा रॉय और निखिल डे के मजदूर किसान शक्ति संगठन (एमकेएसएस) के बैनर तले महिला कार्यकर्ताओं ने मीणा पर दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्हें एक ट्रायल कोर्ट और एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने भी बरी कर दिया था, हालांकि मामला अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है।

मीणा के खिलाफ दर्ज अंतिम ज्ञात मामला अगस्त 2023 में था, जब बारां के अटरू पुलिस स्टेशन के हेड कांस्टेबल नरपत सिंह ने 12 आईपीसी धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया था। जिसमें लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग भी शामिल था।

अपने 2023 विधानसभा चुनाव हलफनामे में मीणा ने 2005 के रिवॉल्वर मामले, 2016 के जवाबी यात्रा मामले और 2023 के तीन मामलों को लंबित बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें दो मामलों में दोषी ठहराया गया था – 1999 में उनका पहला मामला और 2005 का रिवॉल्वर मामला।

27 में से 18 मामलों में मीणा पर दंगा करने का आरोप है, जिनमें से 14 में घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने का आरोप है। इसी तरह, उनके खिलाफ धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करने के लिए आठ मामले दर्ज किए गए हैं। किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थलों को नुकसान पहुंचाने या अपवित्र करने के लिए तीन मामले दर्ज किए गए हैं। कुरान का अपमान करने के लिए भी उनके खिलाफ पांच मामले दर्ज हैं।

मीणा के खिलाफ सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल करने के आठ मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिनमें से चार मामले स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और एक मामले में सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने की धमकी देने का मामला शामिल है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर ने सरकारी कर्मचारियों पर हमलों को मीणा की आदत बताया है कहा कि इसमें वो माहिर हैं।

मीणा पर घर में जबरन घुसने, जालसाजी, आपराधिक धमकी, गलत तरीके से रोकने, गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने के आरोप भी लगे हैं या उन्हें दोषी ठहराया गया है। उन पर आर्म्स एक्ट, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाव अधिनियम और राजस्थान आबकारी अधिनियम की धाराओं के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है।

सोमवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से मुलाकात कर मीणा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की। विपक्ष के नेता टीका राम जूली के नेतृत्व में एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को स्पीकर वासुदेव देवनानी से मुलाकात की और उन्हें याद दिलाया कि वह एक संवैधानिक पद पर हैं और संविधान का सार निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित है।

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देवनानी ने भी मंगलवार को बागड़े से मुलाकात की। ठीक एक दिन पहले मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इन्हें शिष्टाचार मुलाकात बताया गया, लेकिन इन मुलाकातों से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा राज्यपाल से मीना के लिए माफी मांगने की उम्मीद कर रही है।

मीणा के वकीलों ने कहा कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को त्वरित और न्यायपूर्ण निर्णय का आश्वासन देते हुए, स्पीकर के कार्यालय ने कहा कि उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता से उनकी राय साझा करने के लिए कहा है, जो विधानसभा को एक या दो दिन में मिलने की उम्मीद है।

देवनानी ने कहा कि विधायक की सदस्यता समाप्त करने के लिए अदालत के फैसले के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाना चाहिए, ताकि विधायक के साथ कोई अन्याय न हो।

बुधवार को मीना के सरेंडर के बाद एलओपी जूली ने इसे लोकतंत्र पर धब्बा करार देते हुए कहा कि यह अभूतपूर्व है कि विधानसभा अध्यक्ष ने सजा सुनाए जाने के 20 दिन बाद भी सदस्यता रद्द नहीं की है। डोटासरा ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएगी। हालांकि, भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने पलटवार करते हुए कहा कि राजनेताओं पर कई मामले आते हैं, लेकिन उन्हें तभी दोषी माना जाता है, जब अदालत उन्हें सही पाती है। जब तक अदालत सहमत नहीं होती, हम किसी को अपराधी नहीं मान सकते। वहीं, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मध्य सरकार में मंत्री विजय शाह को उनकी टिप्पणी के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। पढ़ें…पूरी खबर