UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जारी सियासी पारा दो साल पहले से ही चढ़ने लगा है। पिछले हफ्ते ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी के गढ़ आजमगढ़ में नए घर और कार्यालय का उद्घाटन किया है। आजमगढ़ में अखिलेश का आशियाना बनना समाजवादी पार्टी की 2027 विधानसभा चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अखिलेश यादव आजमगढ़ में सपा को ज्यादा मजबूत करने के साथ ही पूरे पूर्वांचल को साधने की कोशिश में हैं।
अखिलेश यादव ने जिस घर का उद्घाटन किया है, उसका नाम PDA भवन रखा गया है। सपा के इस कदम सीधा मतलब यही निकाला जा रहा है कि पार्टी मुस्लिम यादव के अलावा पिछड़ों और नॉन यादव ओबीसी वोट बैंक को विस्तार देने में लगी हुई हैं। इसके अलावा अखिलेश यादव आजमगढ़ में अपनी व्यक्तिगत मजबूती को भी बनाए रखने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह यह भी है कि यहां 2022 में 10 विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा हुआ था। जिले की दो लोकसभा सीटों पर भी सपा का ही कब्जा है।
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प्रतीकात्मकता से अलग हटकर देखें तो आजमगढ़ में बनी सपा की ये नई बिल्डिंग यहां पार्टी के कामकाज को आसान बना सकती है। यहां पार्टी का कार्यालय केवल एक कमरे में सीमित था और दिग्गजों की अगुवानी के लिए यहां जगह ही नहीं थी। आजमगढ़ का महत्व सिर्फ़ जिले से कहीं ज़्यादा है, क्योंकि ये पूर्वांचल का अहम हिस्सा है। 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को यहां बड़े झटके लगे थे। यहां सपा ने 39 सीटें हासिल की थी। 2017 में सपा को 16 लीटें मिलीं थी। वहीं 2022 में ये बढ़कर 55 हो गई।
बीजेपी को 2022 में बड़ा झटका इसलिए लगा था क्योंकि 2017 में जिस पूर्वांचल में बीजेपी ने 114 सीटें हासिल की थीं, उसी पूर्वांचल में बीजेपी की सीटें 86 पर आ गई थीं। अखिलेश की रणनीति इस क्षेत्र में ज्यादा फोकस करने की है, जिसके जरिए 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दी जा सके। ये वो लाभ हैं जिन्हें अखिलेश 2027 की लड़ाई के लिए तैयार करते हुए बनाए रखना चाहते हैं।
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इस नए कार्यालय को लेकर सपा के एक नेता ने कहा कि यह घटनाक्रम दर्शाता है कि अखिलेश आजमगढ़ को पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की गतिविधियों का केंद्र बनाने जा रहे हैं। वह अक्सर यहां आएंगे, आस-पास के इलाकों की यात्रा करेंगे और व्यक्तिगत रूप से बैठकें करेंगे। सपा जिला अध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा कि आजमगढ़ में कुछ ही होटल हैं, लेकिन उनमें पर्याप्त व्यवस्था और सुविधाएं नहीं हैं।
सपा नेता ने कहा कि रुकने की कमियों के चलते अखिलेश यादव आजमगढ़ में रात्रि विश्राम से बचते थे। पिछली बार उन्होंने 2019 में यहां से सांसद चुने जाने के बाद रात्रि विश्राम किया था। सपा नेता ने कहा कि और पार्टी के लिए लक्ष्य स्पष्ट है और वो यह कि 2027 में अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना। इस काम को करने के लिए आजमगढ़ और पूर्वांचल में बीजेपी को आक्रामक प्रदर्शन करना होगा।
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इस कार्यालय का उद्घाटन के दौरान अखिलेश यादव ने बड़ी महत्वाकांक्षाओं का उल्लेख किया, जिसके केंद्र में आजमगढ़ ही है। उन्होंने कहा कि पटना और लखनऊ की दूरी आजमगढ़ से लगभग समान है। उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में आरजेडी की मदद करने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहती है। पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव होंगे, और उसने धीरे-धीरे BJP के साथ लड़ाई के लिए तैयार होने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
जुलाई में ही समाजवादी पार्टी ने पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने और अपने मूल मुस्लिम-यादव आधार को मजबूत करने के लिए एक साल का अभियान शुरू किया है। पार्टी की योजना सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में पसमांदा लोगों के साथ बैठकें करने की है, उसके बाद जिला स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे और अंत में विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर राज्य स्तर पर जनसभा आयोजित की जाएगी।
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पार्टी ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में हारी हुई 108 विधानसभा सीटों पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति भी बनाई है। इसने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है और उन्हें एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट अखिलेश को सौंपने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों ने पिछले एक पखवाड़े में इनमें से प्रत्येक सीट पर कम से कम दो दौरे किए हैं और वहां जिला पदाधिकारियों और प्रमुख नेताओं के साथ बैठकें की हैं।
सपा विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए अपनी नीतियों और रणनीतियों को भी संशोधित कर रही है। अखिलेश ने वादा किया है कि अगर वे सत्ता में आए तो उनका प्रशासन लखनऊ में गोमती नदी के किनारे राजा सुहेलदेव की प्रतिमा स्थापित करेगा। यह राजभर समुदाय के लिए एक संकेत है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में मतदाताओं का 18% हिस्सा है। पार्टी ने पूर्व कांग्रेस सांसद शिवदयाल चौरसिया को समर्पित एक स्मारक बनाने का भी वादा किया है, जो सामाजिक न्याय के कट्टर समर्थक थे और दलितों और ओबीसी के उत्थान के लिए काम करते थे।
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