DNA War Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और सपा चीफ अखिलेश यादव के बीच इन दिनों वाकयुद्ध जारी है। दोनों तरफ से तीखी भाषाशैली देखने को मिल रही है। जिसके चलते प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, इस विवाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कूद पड़े हैं।
दोनों दलों के बीच टकराव पिछले सप्ताह तब और बढ़ गया जब सपा के आधिकारिक एक्स हैंडल से ब्रजेश पाठक पर व्यक्तिगत हमला किया गया। जब पाठक ने आरोप लगाया कि सपा का ‘डीएनए’ ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ और ‘माफियाओं के साथ सांठगांठ’ से जुड़ा है।
सपा मीडिया सेल की पोस्ट के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और इसके संचालक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इस पर पाठक ने पलटवार करते हुए अखिलेश से पूछा कि क्या यह उनकी पार्टी की भाषा है।
पाठक ने कहा कि ऐसा लगता है कि राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी से ऐसी टिप्पणियां नहीं आतीं। उन्हें तथाकथित समाजवादी कहते हुए उन्होंने अखिलेश को सलाह दी कि वे सपा नेताओं को लोहिया और जयप्रकाश नारायण या जेपी जैसे समाजवादी महापुरुषों की रचनाएं पढ़ने के लिए कहें।
शनिवार की रात अखिलेश ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों से कोई भी अपमानजनक टिप्पणी पोस्ट न करने का आश्वासन लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पाठक भी ऐसे बयान देना बंद कर देंगे, जिससे डीएनए विवाद शुरू हुआ, जो उनके पद की “गरिमा और शालीनता को उचित नहीं ठहराता”।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पाठक की टिप्पणी से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने कहा कि “हम भगवान कृष्ण से संबंधित यदुवंशी हैं, हमारे डीएनए पर आपका हमला हमें धार्मिक रूप से आहत करता है।”
सपा प्रमुख ने कहा कि यूपी के उपमुख्यमंत्री पर की गई टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए हमने पार्टी स्तर पर उन लोगों से स्पष्टीकरण मांगा है, जो ‘समाजवादियों के डीएनए’ पर उनकी बेहद अभद्र टिप्पणी से आहत होकर अपना आपा खो बैठे थे। हमने उनसे आश्वासन लिया है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा, लेकिन हमें उम्मीद है कि वह जिस तरह की बयानबाजी लगातार कर रहे हैं, वह भी बंद हो जाएगी।
सोमवार सुबह पाठक ने एक ताजा पोस्ट में अखिलेश को बताया कि उनकी टिप्पणी का क्या मतलब है। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव जी…डीएनए में गड़बड़ी से हमारा मतलब किसी व्यक्ति विशेष से नहीं, बल्कि आपकी पार्टी की राजनीतिक सोच से है। डीएनए में गड़बड़ी का मतलब है कि आपकी पार्टी की राजनीति की बुनियाद जातिवाद और तुष्टिकरण पर आधारित रही है और आज भी है।
सपा द्वारा अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) अभियान के तहत दलितों को लुभाने पर भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि आपकी पार्टी का डीएनए दलितों के खिलाफ है। उन्होंने अखिलेश से सुधारात्मक कदम उठाने को कहा क्योंकि अन्यथा यह 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में उनके लिए परेशानी का सबब बन जाएगा।
अपने जवाब में अखिलेश ने पाठक को पहले अपने राजनीतिक स्वास्थ्य पर काम करने की सलाह देते हुए दावा किया कि न तो वह (पाठक) और न ही उनका समुदाय (ब्राह्मण) यूपी में सत्ता में बैठे लोगों को पसंद हैं। पीडीए को बढ़ावा देने के अपने प्रयास के तहत अखिलेश ब्राह्मण समुदाय तक भी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पाठक पर हमला करते हुए अखिलेश ने पीडीए से जुड़े सभी लोगों से आह्वान किया कि वे सकारात्मक राजनीति के लिए एकजुट हों और सामाजिक न्याय का शासन लाने के लिए पीडीए सरकार बनाएं। सपा प्रमुख ने कहा कि जिन लोगों से उनकी अपनी पार्टी में सलाह नहीं ली गई और जिन्होंने अपने ही मंत्रालय को विफल करार दिया, वे बेकार की बातें कर रहे हैं।
पाठक के बचाव में आगे बढ़ते हुए सीएम आदित्यनाथ ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि हालांकि समाजवादी पार्टी से किसी आदर्श आचरण की उम्मीद करना बेकार है , लेकिन सभ्य समाज उनके अभद्र और अश्लील बयानों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अपने सोशल मीडिया हैंडल की गहन समीक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां इस्तेमाल की जाने वाली भाषा शालीन, संयमित और गरिमामय हो।
यूपी में 950 एकड़ में बसेगा नया शहर, आवासीय-औद्योगिक-वाणिज्यिक और पर्यटन विकास पर दिया जाएगा जोर
पाठक ने मंगलवार को अखिलेश पर निशाना साधते हुए फिर आरोप लगाया कि सपा का डीएनए तुष्टीकरण और आपराधिक संरक्षण में निहित है। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने सपा प्रमुख को मामले से ध्यान भटकाने के बजाय सीधे जवाब देने की चुनौती दी और कहा कि यदि आपके पास कोई जवाब नहीं है, तो माफी मांगें और मामले को खत्म करें।
उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि एसपी का अतीत माफिया डॉन अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों, राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर पुलिस गोलीबारी और विभिन्न कथित “घोटालों” से जुड़ा रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह अतीक अहमद ही थे जिन्होंने अखिलेश और उनके पिता एवं सपा संस्थापक दिवंगत मुलायम यादव के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
बता दें, यह पहली बार नहीं है कि सपा नेताओं और पाठक के बीच जुबानी जंग हुई है। पिछले कई विधानसभा सत्रों के दौरान, सपा विधायकों ने पाठक द्वारा विभिन्न मुद्दों पर की गई टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए वेल में हंगामा किया या वॉकआउट किया। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। पढ़ें…पूरी खबर